Vastu Tips: सुखी और समृद्ध घर के लिए मूल वास्तु सिद्धांत

एक खुशहाल और समृद्ध जीवन के लिए घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बेहद महत्वपूर्ण है. वास्तु शास्त्र, वास्तुकला का एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जो आपके रहने वाले स्थान में वस्तुओं की व्यवस्था और स्थान के महत्व पर जोर देता है. [21] घर की नियमित सफाई, पंच तत्वों का संतुलन और सही रंग-रूप का चुनाव करके आप अपने घर को सकारात्मकता से भर सकते हैं और जीवन में खुशियां आमंत्रित कर सकते हैं. [1]

By Rajeev Kumar | September 4, 2025 12:00 AM



अक्सर लोग अपने घरों में सुख-शांति और समृद्धि की तलाश में रहते हैं। आधुनिक जीवनशैली की भागदौड़ में घर को सुकून का ठिकाना बनाना एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसी बीच, प्राचीन भारतीय विज्ञान, वास्तु शास्त्र के मूलभूत सिद्धांत एक बार फिर चर्चा में हैं, जो आपके घर के हर कोने में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि वास्तु के सरल नियमों का पालन करके न सिर्फ घर का माहौल बदला जा सकता है, बल्कि यह परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, संबंधों और आर्थिक स्थिति पर भी सीधा असर डालता है। आजकल हर कोई अपने घर को खुशहाल और समृद्ध देखना चाहता है, और ऐसे में वास्तु के ये पारंपरिक ज्ञान बेहद प्रासंगिक हो गए हैं।

वास्तु शास्त्र का महत्व और मूल सिद्धांत

वास्तु शास्त्र, भारत की एक प्राचीन विद्या है, जिसका संबंध दिशाओं और ऊर्जाओं से है. यह पंचमहाभूतों – पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश – के संतुलन पर आधारित है. वास्तु शास्त्र का मुख्य उद्देश्य किसी भी स्थान में मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं को सकारात्मक ऊर्जा में बदलना है, ताकि मानव जीवन पर उनका बुरा प्रभाव न पड़े और घर में रहने वाले लोगों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आए.

वास्तु के नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. यदि घर में वास्तु दोष होते हैं, तो इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ सकता है, जिससे बीमारियां, मानसिक तनाव और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. वास्तु शास्त्र का वैज्ञानिक आधार भी है, क्योंकि यह प्रकृति के स्थूल और सूक्ष्म प्रभावों को मानव के अनुरूप उपयोग में लाने पर केंद्रित है.

मुख्य द्वार और प्रवेश द्वार के वास्तु नियम

घर का मुख्य द्वार अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा और अवसरों को घर में आमंत्रित करता है. वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार को साफ-सुथरा और सजाकर रखना चाहिए. मुख्य द्वार की दिशा पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम होनी चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं अत्यधिक शुभ मानी जाती हैं. उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिशा से सूर्य की रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है.

    • मुख्य दरवाजा 90 डिग्री पर खुलना चाहिए और उसके सामने कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए.
    • दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि यह वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है और परिवार में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और रिश्तों में अनबन का कारण बन सकता है. हालांकि, धातु के पिरामिड का उपयोग करके इन दिशाओं के दोषों को ठीक किया जा सकता है.
    • घर में दरवाजों की संख्या सम होनी चाहिए.
    • घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाना अत्यंत शुभ होता है, क्योंकि यह सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.
    • मुख्य द्वार पर अशोक की पत्तियों से बनी वंदनवार लगाना भी शुभ होता है, जिससे घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है.
    • मुख्य द्वार के सामने ऊपर जाती हुई सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह आर्थिक उन्नति में बाधा मानी जाती है.
    • घर के मुख्य द्वार पर कांटे वाले पौधे नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं.
    • मुख्य द्वार पर पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए.
    • मुख्य द्वार के लिए लकड़ी का दरवाजा सबसे शुभ माना जाता है.
    • मुख्य द्वार का रंग हल्का पीला, लकड़ी का रंग या मिट्टी का रंग होना चाहिए. लाल या चमकीले रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

रसोईघर (किचन) के वास्तु सिद्धांत

रसोईघर घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और वास्तु के अनुसार इसका सही स्थान और व्यवस्था घर में खुशहाली और समृद्धि ला सकती है.

    • वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोईघर हमेशा अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में होना चाहिए. इस दिशा में खाना बनाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और अन्न का भंडार भरा रहता है.
    • खाना बनाते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. उत्तर या दक्षिण दिशा में मुख करके खाना बनाने से बचना चाहिए.
    • पानी का स्रोत (जैसे सिंक) हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. अग्नि कोण में पानी का स्रोत नहीं रखना चाहिए, क्योंकि आग और पानी विरोधी तत्व हैं, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच झगड़े हो सकते हैं.
    • पीने का पानी भी रसोईघर की उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए.
    • माइक्रोवेव, मिक्सर या अन्य धातु के उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखने चाहिए. रेफ्रिजरेटर या फ्रिज उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं.
    • रसोईघर में प्लास्टिक के बर्तन या डिब्बे नहीं रखने चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं और सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं.
    • रसोईघर में कभी भी जूते के रैक नहीं रखने चाहिए.
    • रसोईघर में टूटे हुए बर्तन और खाली डिब्बे नहीं रखने चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाते हैं और दरिद्रता ला सकते हैं.
    • खुले डस्टबिन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और डस्टबिन को ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां नजर न पड़े.

शयनकक्ष (बेडरूम) के वास्तु नियम

बेडरूम वह स्थान है जहां व्यक्ति आराम करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बेहतर नींद और रिश्तों के लिए महत्वपूर्ण है.

    • मास्टर बेडरूम (मुख्य शयनकक्ष) घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए, क्योंकि यह घर के मुखिया के लिए शुभ माना जाता है और घर में शांति व स्थिरता को बढ़ावा देता है.
    • बच्चों का कमरा पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जो उनकी प्रगति में सहायक होता है.
    • अविवाहित कन्याओं और मेहमानों का बेडरूम उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए.
    • बेडरूम घर के मध्य भाग, उत्तर-पूर्व दिशा और दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए. उत्तर-पूर्व दिशा में बेडरूम होने से धन की हानि और अशांति बनी रह सकती है. दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी है और दंपतियों के बीच विवाद बढ़ा सकती है.
    • बिस्तर का सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में होना चाहिए, जिससे सोते समय पैर उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर हों. यह अच्छी नींद और लंबे, सुखी जीवन के लिए शुभ माना जाता है.
    • बिस्तर को कमरे के बीच में रखना चाहिए और कोनों में बिस्तर रखने से बचना चाहिए, ताकि ऊर्जा का प्रवाह बेहतर बना रहे.
    • बिस्तर का मुंह दरवाजे की ओर नहीं होना चाहिए.
    • बेडरूम की दीवारों के लिए हल्के गुलाबी, ग्रे, नीले, भूरे, हरे और अन्य हल्के रंगों का उपयोग करना चाहिए, जो सुखदायक और सकारात्मक माहौल बनाते हैं. गहरे और आंखों को चुभने वाले रंगों से बचना चाहिए.
    • बेडरूम में दर्पण नहीं रखने चाहिए, खासकर बिस्तर के सामने, क्योंकि यह अशांति पैदा कर सकते हैं और वैवाहिक संबंधों में तनाव बढ़ा सकते हैं. यदि दर्पण हैं, तो सोते समय उन्हें ढक देना चाहिए.
    • बेडरूम में हिंसा या संघर्ष को दर्शाने वाली पेंटिंग या मूर्तियां नहीं होनी चाहिए. इसके बजाय, प्रेम, सद्भाव और एकजुटता की भावना को बढ़ावा देने वाली कलाकृतियों का उपयोग करना चाहिए.
    • कमरे में अकेली सजावटी वस्तुएं रखने से बचें, इसके बजाय जोड़े में आने वाली वस्तुओं का चयन करें, जो प्यार और एकजुटता का प्रतीक हैं.
    • इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे टीवी, फ्रिज, कंप्यूटर को बिस्तर के पास रखने से बचना चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं और बीमारी का कारण बन सकते हैं.

पूजा घर के वास्तु नियम

पूजा घर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है, और इसकी सही दिशा और व्यवस्था घर में सकारात्मकता और समृद्धि लाती है.

    • वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर के लिए सबसे उत्तम दिशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) मानी जाती है. इस दिशा को देव दिशा और ऊर्जा का भंडार माना जाता है.
    • यदि ईशान कोण में पूजा घर बनाना संभव न हो, तो आप उत्तर या पूर्व दिशा में भी पूजा घर बना सकते हैं.
    • पूजा घर को कभी भी बेडरूम में, सीढ़ियों के नीचे, किचन या बाथरूम के आसपास नहीं बनवाना चाहिए.
    • पूजा घर के दरवाजे और खिड़कियाँ उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खुलनी चाहिए.
    • पूजा घर में खड़ी हुई लक्ष्मी जी की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए.
    • पूजा घर में एक से ज्यादा गणेश जी की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए.
    • पूजा घर में खंडित मूर्तियां, पितरों के चित्र या महाभारत की प्रतिमाएं, प्राणी तथा पक्षियों के चित्र नहीं होने चाहिए.
    • पूजा घर को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए और पुराने व सूखे फूल हटा देने चाहिए.
    • पूजा घर में टूटा-फूटा सामान, पुराने कपड़े, पुराने बर्तन, चमड़े से बनी चीजें आदि नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.
    • पूजा घर के लिए सफेद, पीला, हल्का नीला और नारंगी रंग सर्वोत्तम हैं. काला, भूरा या किसी भी गहरे रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
    • पूजा घर में मूर्तियों के ऊपर अलमारियां नहीं बनानी चाहिए.

धन और समृद्धि के लिए वास्तु टिप्स

वास्तु शास्त्र धन और समृद्धि को आकर्षित करने में सहायक होता है.

    • आभूषण, धन और वित्तीय दस्तावेजों को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना धन भाग्य और समृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण वास्तु युक्तियों में से एक है. इस दिशा में रखी गई वस्तुओं की संख्या में वृद्धि होती है.
    • धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर से संबंध होने के कारण उत्तर दिशा को धन और समृद्धि की दिशा माना जाता है. इस दिशा में धन रखने से आर्थिक लाभ होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.
    • घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में एक्वेरियम या फव्वारा रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व कोना धन को आकर्षित करने के लिए एक्वेरियम में पानी के तत्वों को रखने के लिए सबसे अच्छी दिशा है.
    • घर में कुबेर यंत्र रखने से धन और समृद्धि को आकर्षित किया जा सकता है.
    • घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में तांबे का स्वस्तिक रखने से धन को आकर्षित किया जा सकता है.
    • तिजोरी के पास किसी भी तरह की टूटी-फूटी वस्तुओं को नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ संकेत माना जाता है.
    • अमावस्या के दिन गाय को पांच फल खिलाना आर्थिक पक्ष को मजबूत करता है.
    • सोमवार को शिव मंदिर में रुद्राक्ष चढ़ाना भी जीवन में सुख-समृद्धि लाता है.
    • घर के मंदिर में पीतल की बांसुरी रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परेशानियों से मुक्ति मिलती है.

स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए वास्तु

वास्तु दोष स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का कारण बन सकते हैं. वास्तु नियमों का पालन करके स्वस्थ और सुखी जीवन जिया जा सकता है.

    • बेड के सामने शीशा होने से सोते समय छवि दर्पण में नज़र आने से व्यक्ति धीरे-धीरे बीमार होने लगता है.
    • घर की उत्तर-पूर्व दिशा में वॉशरूम या सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह बीमारियों का कारण बन सकती हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर धन खर्च करा सकती हैं.
    • यदि किसी जातक के घर में पूर्व दिशा का स्थान ऊंचा हो, तो ऐसे जातकों को पेट संबंधी बीमारियां और आर्थिक अभावों का सामना करना पड़ता है.
    • घर के केंद्र (ब्रह्म स्थान) को हमेशा खाली और स्वच्छ रखना चाहिए, क्योंकि यह धन समृद्धि की वृद्धि और पारिवारिक सदस्यों में आपसी प्रेम के लिए महत्वपूर्ण है.