किस्सा नेताजी का : बरेली में इस्लाम साबिर और रामेश्वर नाथ चौबे ने रामलहर में भी बचाया कांग्रेस का ‘गढ़’

वर्ष-1991 के चुनाव में बरेली की नौ सीट में से सात पर कब्जा कर लिया. मगर रामलहर में भी इस्लाम साबिर ने बरेली कैंट और रामेश्वर नाथ चौबे ने सन्हा (बिथरी चैनपुर) सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी.

By Prabhat Khabar | January 3, 2022 1:36 PM

Bareilly News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी. इसके कुछ महीने बाद ही यूपी में आयोजित चुनाव में भाजपा को सिर्फ 11 सीट मिलीं थीं जबकि अगले चुनाव 1985 में भाजपा ने 16 सीट पर जीत दर्ज की.

कांग्रेस को जीत दिलाई

वहीं, लालकृष्ण आडवाणी के रथयात्रा निकालने के बाद यूपी में भाजपा के लिए राम लहर शुरू हो गई. भाजपा ने रामलहर में बड़ा करिश्मा किया. वर्ष-1991 के चुनाव में बरेली की नौ सीट में से सात पर कब्जा कर लिया. मगर रामलहर में भी इस्लाम साबिर ने बरेली कैंट और रामेश्वर नाथ चौबे ने सन्हा (बिथरी चैनपुर) सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी.

बरेली की सियासत के चाणक्य

बरेली की सियासत के चाणक्य माने जाने वाले इस्लाम साबिर ने रामलहर में भी कांग्रेस का किला बचा लिया था. उन्होंने इस सीट पर भाजपा को हराया था जबकि रामेश्वर नाथ चौबे ने जनता दल के विधायक कुंवर सर्वराज सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी. वर्ष-1991 की राम लहर में भोजीपुरा विधानसभा में भाजपा ने पहली बार जीत का स्वाद चखा. यहां से जनता दल के विधायक नरेंद्र पाल सिंह को हराकर कुंवर सुभाष पटेल विधायक बने.

भाजपा की यूपी में सरकार बनी

इसी तरह कांवर (मीरगंज) विधानसभा से सुरेंद्र प्रताप सिंह, बहेड़ी विधानसभा से हरीश गंगवार, फरीदपुर सुरक्षित विधानसभा से नंद राम, नवाबगंज विधानसभा से भगवत शरण गंगवार, आंवला विधानसभा से श्याम बिहारी सिंह और शहर विधानसभा सीट पर डॉ. दिनेश जौहरी ने जीत दर्ज की थी. बरेली की नौ में सात सीट जीतने वाली भाजपा की यूपी में सरकार बनी थी.

पहली बार विधायक बनें

बरेली कैंट सीट पर इस्लाम साबिर ने पहली बार विधायक बनकर कांग्रेस का किला ढहने से बचाया था.इससे पहले उनके पिता अशफाक अहमद एमएलए और ताऊ रफीक अहमद विधायक बने थे जबकि रामेश्वर नाथ चौबे ने बिथरी चैनपुर विधानसभा से वर्ष- 1977, 1980 और 1985 में जीत दर्ज की थी. यहां से 1989 में जनता दल के कुंवर सर्वराज सिंह ने जीत दर्ज की थी.

दो साल बाद ढह गया किला

दो साल बाद मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने एक बड़े घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके चलते 1993 में फिर विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में इस चुनाव में 4 अक्टूबर 1992 को स्थापित होने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ा. पहले ही चुनाव में सपा ने भाजपा का किला ध्वस्त कर दिया. नौ में सात सीट पर जीत दर्ज की. भाजपा और कांग्रेस से सात सीट छीन ली. भाजपा के पास नवाबगंज और बरेली शहर सीट ही बची थी जबकि बरेली कैंट, बहेड़ी, फरीदपुर, बिथरी चैनपुर, भोजीपुरा, मीरगंज और आंवला सीट को जीतकर रिकॉर्ड कायम किया था.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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