International Red Panda Day : भारत के इन राज्यों में देखे जा सकते हैं विलुप्ती की कगार पर पहुंच चुके रेड पांडा
रेड पांडा, हिमालय के सबसे प्यारे जानवरों में से एक है,लेकिन यह छोटा सा जानवर विलुप्त होने की कगार पर है. रेड पांडा की अनुमानित संख्या 10,000 से भी कम बची है और इसे बचाने की कोशिशें लगातार जारी हैं. इस प्रयास के तहत ही 20 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय लाल पांडा दिवस (International Red Panda Day) मनाया जा रहा है. इस दिन को मनाने की शुरुआत 15 साल पहले हई थी, तब से यह दिन हर साल सितंबर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है. यह एक वैश्विक अभियान है, जो दुनिया को एक ऐसी प्रजाति को बचाने के लिए एकजुट करता है, जो स्वाभाव से बेहद शर्मीली है और चुपचाप विलुप्त हो सकती है...
International Red Panda Day : दुनिया भर में 10,000 से भी कम रेड पांडा बचे हैं. लगभग 50 प्रतिशत रेड पांडा पूर्वी हिमालय में रहते हैं. नेपाल में 25 जिलों के शीतोष्ण बांस के जंगलों में इनकी संख्या 500 से 1,000 के बीच है. यह शर्मीली और एकांतप्रिय प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही है. इसका मुख्य कारण तेजी से हो रहा विकास, जैसे कि सड़क निर्माण और जलविद्युत परियोजनाओं का विस्तार, साथ ही मानव गतिविधियों के कारण इनके निवास स्थान का खराब होना , बांस के जंगल, जिन पर वे निर्भर रहते हैं, का छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटना आदि है. गाढ़े भूरे और लाल फर एवं लोमड़ी जैसे चेहरे वाला लाल पांडा घरेलू बिल्ली के आकार का होता है, लेकिन संतुलन के लिए इसकी एक लंबी धारीदार पूंछ होती है. यह नेपाल, भारत, भूटान, म्यांमार और चीन के ऊंचे पहाड़ी जंगलों में रहता है और लगभग सिर्फ बांस खाता है, लेकिन कभी-कभी अपने आहार में फल, बेरी, अंडे और कीड़े भी शामिल कर लेता है.
पहली बार 2010 में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय रेड पांडा दिवस
अंतरराष्ट्रीय रेड पांडा दिवस पहली बार 18 सितंबर, 2010 में मनाया गया था. तब से यह दिन हर साल सितंबर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है. नेपाल स्थित एक गैर-लाभकारी संरक्षण समूह रेड पांडा नेटवर्क द्वारा इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी. इसका लक्ष्य सीधा था हर साल एक दिन इस लुप्तप्राय प्रजाति पर दुनिया का ध्यान केंद्रित करना और इससे भी बढ़कर, इस ध्यान को इन्हें बचाने के लिए अमल में बदलना था. चिड़ियाघरों और स्कूलों ने इस विचार को तुरंत अपनाया और कार्यक्रम, खेल और धन जुटाने वाले आयोजन किये. परिवारों ने दान देकर, ऑनलाइन जानकारी साझा करके या अपने बच्चों को इस प्रजाति के बारे में सिखाकर इसमें भाग लिया. समय के साथ, यह भागीदारी नेपाल और भारत से लेकर उत्तरी अमेरिका और यूरोप तक, पूरे महाद्वीपों में फैल गयी, जिससे यह एक वैश्विक आयोजन बन गया.
भारत में इन स्थानों में देख सकते हैं रेड पांडा
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान : कंचनजंगा पर्वत की छाया में स्थित यह यूनेस्को स्थल रेड पांडा के लिए एक अभयारण्य है. यह सिक्किम में एक समृद्ध जैव-सांस्कृतिक विरासत है और यह 1100 से अधिक जानवरों, पक्षियों, कवक और पौधों की प्रजातियों का घर है, जिनमें रेड पांडा भी शामिल हैं. इस राष्ट्रीय उद्यान को जुलाई 2016 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया था.
सिंगालिला राष्ट्रीय उद्यान : पश्चिम बंगाल में स्थित, सिंगालिला रेड पांडा को देखने के लिए एक बेहतरीन जगह है. यहां के संदाकफू के धुंधले रास्तों पर ट्रेकिंग करके वन्यजीवों को देखने का एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त कर सकते हैं, इन वन्यजीवों में रेड पांडा भी शामिल हैं.
नेओरा वैली नेशनल पार्क : यह राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम बंगाल के कलिंगपोंग में स्थित है और लाल पांडा के लिए एक बेहतरीन स्थान है. नेओरा वैली नेशनल पार्क, पूरे पूर्वोत्तर के सबसे समृद्ध जैविक क्षेत्रों में से एक है, जहां जीव-जंतुओं में लुप्तप्राय प्रजातियां, जैसे धूमिल तेंदुआ, रेड पांडा और कस्तूरी मृग देखे जा सकते हैं.
नामदफा राष्ट्रीय उद्यान : अरुणाचल प्रदेश के नामदफा का यह उष्णकटिबंधीय वर्षावन रेड पांडा का घर है, जहां रोमांचक जंगल सफारी और दुर्लभ वन्यजीवों को देखने का मौका मिलता है. यह भारत का चौथा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है.
दिबांग वन्यजीव अभयारण्य :अरुणाचल प्रदेश में स्थित यह अभयारण्य अपने दुर्लभ वन्यजीवों के लिए जाना जाता है, जिनमें मिश्मी ताकिन, रेड पांडा और हिम तेंदुआ शामिल हैं. भारत-चीन सीमा के निकट स्थित होने के कारण यहां प्रवेश अत्यधिक नियंत्रित है. भारतीय पर्यटकों को अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा जारी इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है.
शिंगबा रोडोडेंड्रोन अभयारण्य : सिक्किम के इस के अल्पाइन जंगल में रोडोडेंड्रोन के जीवंत फूल फैले हुए हैं, जिससे यह एक सुंदर परिदृश्य बन जाता है, जहां रेड पांडा फलते-फूलते हैं. यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक खुशनुमा जगह है.
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