आसमान में उड़ने से पहले बेलने पड़ते हैं पापड़! जानिए कितना मुश्किल है भारत में पायलट बनना
How to Become Pilot After 12th: 12वीं के बाद अगर आप भी पायलट बनना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. पायलट बनने वालों को लेकिन बहुत मेहनत करनी पड़ती है, बहुत सारी परीक्षाएं देनी होती हैं और लंबी ट्रेनिंग होती है. आइए, जानते हैं कि भारत में पायलट कैसे बनते हैं और इसका खर्च कितना आता है.
How to Become Pilot After 12th: आसमान में उड़ान भरने का सपना जितना रोमांचक लगता है, उसकी राह उतनी ही कठिन होती है. पायलट बनने से बहुत मेहनत करनी पड़ती है. कई सारी परीक्षाओं से गुजरना होता है. कॉकपिट तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं होता है. ऐसे में अगर आप भी पायलट बनने की सोच रहे हैं तो पापड़ बेलने यानी कि मेहनत करने के लिए तैयार हो जाइए. आइए, जानते हैं भारत में पायलट बनने के लिए क्या करना पड़ता है, पायलट कैसे बनते हैं, उनकी सैलरी कितनी होती है और ट्रेनिंग के लिए कितने पैसे खर्च करने होते हैं.
How to Become Pilot: पायलट कैसे बनते हैं?
भारत में पायलट बनने के दो रास्ते हैं-
- पारंपरिक तरीका
- एयरलाइन कंपनी के कैडेट पायलट प्रोग्राम से
भारत में पायलट बनने के लिए उम्र 18 साल (Pilot Age Limit) होनी चाहिए. साथ ही फिजिक्स और मैथ्स के साथ 12वीं की डिग्री चाहिए. कम से कम 50 प्रतिशत मार्क्स लाना अनिवार्य है. अगर कोई कॉमर्स या आर्ट्स बैकग्राउंड से आता है तो उनके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग या किसी भी स्टेट बोर्ड के ओपेन एग्जामिनेशन के जरिए 12वीं की फिजिक्स और मैथ्स के एग्जाम्स पास करना जरूरी है.
Pilot Eligibility: पायलट बनने के लिए जरूरी शर्तें
- भारत में पायलट ट्रेनिंग और मेडिकल जांच की जिम्मेदारी DGCA (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) की होती है
- DGCA ने देशभर में कई डॉक्टरों को पायलट मेडिकल जांच के लिए मान्यता दी है
- पायलट ट्रेनिंग शुरू करने से पहले क्लास 2 मेडिकल सर्टिफिकेट जरूरी होता है
- यह सर्टिफिकेट DGCA अप्रूव्ड डॉक्टर जारी करते हैं, जिससे पता चलता है कि स्टूडेंट ट्रेनिंग के लिए मेडिकल रूप से फिट है या नहीं
- इसके बाद क्लास 1 मेडिकल एग्जाम होता है, जिसे इंडियन एयरफोर्स अप्रूव्ड डॉक्टर करते हैं
- कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) के लिए क्लास 1 मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य है
- जांच में आंखों की टेस्ट, ECG, ब्लड टेस्ट, नाक-कान-गला जांच शामिल होती है
- दोनों मेडिकल जांच का खर्च करीब 10 हजार रुपये आता है
- कलर ब्लाइंडनेस होने पर पायलट नहीं बन सकते
- ब्लड या यूरिन जैसी शुरुआती जांच में फेल होने पर भी पायलट बनने की योग्यता नहीं मिलती
Pilot Selection Process In India: सेलेक्शन कैसे होता है?
एलिजिबिलिटी से जुड़ी सभी शर्तें पूरी करने के बाद उम्मीदवारों को DGCA की CPL परीक्षा देनी होती है. यह परीक्षा आमतौर पर साल में चार बार आयोजित की जाती है.
CPL परीक्षा पास करने के बाद पायलट ट्रेनिंग दो हिस्सों में होती है-
- ग्राउंड ट्रेनिंग
- फ्लाइंग ट्रेनिंग
ग्राउंड ट्रेनिंग पायलट ट्रेनिंग (Pilot Training in India) का अकैडमिक चरण होता है, जिसमें मौसम विज्ञान (मेटरोलॉजी), एयर रेगुलेशन, नेविगेशन, रेडियो टेलीफोनी और टेक्निकल सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते हैं. इन सभी विषयों की लिखित परीक्षा में कम से कम 70 फीसदी अंक लाना जरूरी होता है.
इसके बाद कैंडिडेट DGCA अप्रूव्ड फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (FTO) में एडमिशन लेते हैं, जहां उन्हें करीब 200 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव हासिल करना होता है. इसके अलावा पायलट बनने का एक दूसरा रास्ता कैडेट पायलट प्रोग्राम भी है, जिसे अलग-अलग एयरलाइन कंपनियां संचालित करती हैं.
What Cost to Become a Pilot: पायलट बनने में कितना खर्च आता है?
भारत में किसी अच्छे स्कूल में ये ट्रेनिंग 14-15 महीने में होती है, जिसमें 50-44 लाख रुपये का खर्च आता है. अलग- अलग देशों में इस तरह की ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग फीस (Pilot Training Fees) है. जैसे कि अमेरिका में पायलट ट्रेनिंग के लिए करीब 50-52 लाख रुपये का खर्च है. यहां ट्रेनिंग की अवधि केवल 10 महीने की होती है. वहीं दक्षणि अफ्रीका में यह ट्रेनिंग 12-14 महीने की होती है और खर्च 35-40 लाख रुपये का आता है.
Pilot Salary India: कितनी होती है पायलट की सैलरी?
अगर सैलरी की बात करें तो एक फर्स्ट ऑफिसर को हर महीने करीब 2 लाख रुपये तक वेतन मिल सकता है. वहीं, अनुभव बढ़ने के साथ जब पायलट कैप्टन की पोस्ट पर पहुंचता है, तो उसकी मासिक कमाई 4 लाख से 8 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा हो जाती है. इसी वजह से पायलट का करियर न सिर्फ प्रतिष्ठित माना जाता है, बल्कि सैलरी के लिहाज से भी काफी अच्छा करियर माना जाता है.
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