YES BANK कभी था बाजार का चहेता बैंक मगर आज हालत पतली, ऐसा रहा अर्श से फर्श तक का सफर

YES BANK एक अच्छा खासा बैंक, जिसे बाजार में औसत दर से ज्यादा ब्याज देने के लिए जाना जाता था. लेकिन आज वह संकट से गुजर रहा है. आऱबीआई इस बैंक को बचाने में जुटा है.

By Utpal Kant | March 6, 2020 10:03 AM

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में करीब 15 साल पहले एक निजी बैंक खुला और बहुत जल्द ही चर्चा के केंद्र में आ गया. यह पहली बार था जब किसी बैंक के नाम में लोगों की दिलचस्‍पी देखने को मिली. उसका नाम था YES BANK. कुछ ही वर्षों में येस बैंक एक जाना पहचाना नाम बन गया. लेकिन देश के चर्चित निजी बैंकों में शुमार येस बैंक आज संकट के दौर से गुजर रहा है. एक अच्छा खासा बैंक, जिसे बाजार में औसत दर से ज्यादा ब्याज देने के लिए जाना जाता था. उसके इतने बुरे दिन आ गए कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा येस बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार रुपये निकासी सीमा तय कर दी गई. हालांकि आरबीआई की यह पाबंदी फिलहाल एक माह के लिए ही हैं.

रिजर्व बैंक ने गुरुवार को येस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. अब चारों तरफ एक ही चर्चा है कि क्या येस बैंक डूबने वाला है? इसके ग्राहक जल्द से जल्द अपना पैसा इस बैंक से निकाल लेना चाहते हैं. देश भर में येस बैंक के एटीएम पर गुरुवार रात से ही लाइन लगी है.

येस बैंक की बदहाली इतनी बढ़ गई है कि सिर्फ 15 महीने के भीतर बैंक के निवेशकों को 90 फीसदी से अधिक का नुकसान हो चुका है. आखिर क्या हुआ ऐसा कि निजी क्षेत्र के टॉप बैंकों में से एक बैंक के इतने बुरे दिन आ गए? हर किसी के मन में ये सवाल है. आइए जानते हैं कि बीते से येस बैंक की शुरुआत कैसे हुई और आज ऐसी हालत क्‍यों हो गई है.

क्या उबर पायेगा येस बैंक

येस बैंक पर कुल 24 हजार करोड़ डॉलर की देनदारी है. बैंक के पास करीब 40 अरब डॉलर (2.85 लाख करोड़ रुपए) की बैलेंस शीट है. सरकार इस बैंक को डूबने से बचाना चाहती है. यस बैंक को कैपिटल बेस बढ़ाने के लिए 2 अरब डॉलर चुकाने होंगे. बैंक ने इसके लिए अपना रेजोल्यूशन प्लान घरेलू लेंडर्स एसबीआई, एचडीएफसी, एक्सिस बैंक और एलआईसी को भी सौंपा था, लेकिन उनके प्लान पर लेंडर्स में सहमति नहीं बनी . अगस्त 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस 400 रुपए था, जो नकदी की कमी के चलते फिलहाल 30 से 40 रुपये के बीच है. बैंक का मार्केट कैप 8,888.40 करोड़ रुपए है.

Yes bank कभी था बाजार का चहेता बैंक मगर आज हालत पतली, ऐसा रहा अर्श से फर्श तक का सफर 3
बाजार के चहेता बैंक की ऐसे हुई शुरुआत

2004 में ज्वैलरी का काम करने वाले राणा कपूर ने अपने रिश्तेदार अशोक कपूर के साथ मिलकर येस बैंक की शुरुआत की थी. 26/11 के मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हो गई. जिसके बाद अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई. मधु अपनी बेटी शगुन को बैंक के बोर्ड में शामिल करना चाहती थीं. मामला बंबई हाईकोर्ट तक पहुंचा. 2011 में फैसला राणा कपूर के पक्ष में आया.

ज्वैलर्स फैमिली से ताल्लुक रखने वाले राणा कपूर यस बैंक में अपने शेयर्स को हीरा-मोती बताते थे. जिसे वे कभी नहीं बेचने की बात कहते थे. लेकिन वक्त बदला और वो हुआ जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा. आज राणा कपूर अपने शेयर्स बेच रहे हैं. इस समय राणा कपूर और उनके ग्रुप की येस बैंक भयंकर नकदी संकट से गुजर रहा है. बीते साल अक्टूबर में यस बैंक का शेयर अब तक के सबसे निचले स्तर 32 रुपए प्रति शेयर पर बंद हुआ. 3 अक्टूबर को बैंक के सीनियर ग्रुप प्रेसिडेंट रजत मोंगा ने इस्तीफा दे दिया. वे 2004 से ही बैंक के साथ जुड़े

कौन है राणा कपूर?
Yes bank कभी था बाजार का चहेता बैंक मगर आज हालत पतली, ऐसा रहा अर्श से फर्श तक का सफर 4

एक ज्‍वेलर्स परिवार से आने वाले यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर(rana kapoor) ने अपने करियर की शुरुआत सिटी बैंक में इंटर्न के तौर पर की थी. वह न्‍यूयॉर्क में इंटर्नशिप कर रहे थे. इसके बाद नीदरलैंड की फाइनेंशियल फर्म राबो बैंक को भारतीय मार्केट में स्थापित करने में मदद की थी. 1998 में अपने साथी अशोक कपूर और हरकीरत सिंह के साथ राणा ने राबो इंडिया फाइनेंस कंपनी बनाई. गौरतलब है कि राणा कपूर के पिता पायलट थे जबकि उनके दादा की ज्‍वेलरी की दुकान थी. जबकि राणा कपूर ने अपनी पढ़ाई दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पूरी की है. राणा कपूर को फोर्ब्‍स ने दुनिया के सबसे अमीर बैंकर्स की सूची में भी शामिल किया था.

Next Article

Exit mobile version