GST: क्या देश में पेट्रोल-डीजल के बढ़ेंगे दाम? जीएसटी बढ़ने से तेल-गैस खोजना होगा महंगा
GST: जीएसटी परिषद ने तेल और गैस क्षेत्र से जुड़ी सेवाओं पर टैक्स 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया है. नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी. इससे पेट्रोलियम खोज और उत्पादन महंगा होगा और कंपनियों की लागत बढ़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल और गैस की बिक्री जीएसटी से बाहर रहने के कारण टैक्स ऑफसेट नहीं मिलेगा. इससे घरेलू उत्पादन प्रभावित होगा और आयात निर्भरता बढ़ सकती है.
GST: जीएसटी परिषद ने तेल और गैस क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है. अब पेट्रोलियम कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज, खनन और ड्रिलिंग सेवाओं पर कर की दर 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है. यह नई दर 22 सितंबर से लागू होगी. साथ ही, इस क्षेत्र की सहयोगी सेवाओं पर भी समान दर लागू होगी.
इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रावधान
नई व्यवस्था के तहत कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ मिलेगा. हालांकि, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. ऐसे में बिक्री के समय टैक्स समायोजित नहीं किया जा सकेगा, जिससे कंपनियों को फंसे हुए कर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
उद्योग विशेषज्ञों की चिंता
रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ के अनुसार, उत्पादन लागत बढ़ने से पेट्रोलियम कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा. चूंकि, वैश्विक बाजार में पहले से ही तेल और गैस की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है, ऐसे में बढ़ा हुआ जीएसटी क्षेत्र के लिए दोहरी चुनौती साबित होगा.
मुनाफे और प्रतिस्पर्धा पर असर
चॉइस इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के धवल पोपट का मानना है कि जीएसटी दर में यह बढ़ोतरी परिचालन लागत को बढ़ा देगी और कंपनियों के मुनाफे पर असर डालेगी. खोज और उत्पादन परियोजनाएं कम प्रतिस्पर्धी होंगी, जिससे घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात निर्भरता घटाने के प्रयास कमजोर पड़ सकते हैं.
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उपभोक्ताओं पर संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर उत्पादन लागत बढ़ी और कंपनियों ने बोझ उपभोक्ताओं पर डाला, तो भविष्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं. हालांकि, वैश्विक बाजार में तेल-गैस की कीमतों में गिरावट फिलहाल इस दबाव को कुछ हद तक संतुलित कर सकती है.
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