अमेरिकी टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट, निवेशकों में चिंता
आज, एक अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत पर 25% टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद भारतीय शेयर बाजार में निराशा का माहौल दिखा। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों ने गिरावट दर्ज की, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गईं। एक व्यापार विशेषज्ञ के तौर पर, मैं देखता हूं कि यह कदम वैश्विक व्यापारिक संबंधों में तनाव को दर्शाता है और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नई चुनौती पेश करता है।
Stock Market Today Highlights: अमेरिकी टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट, निवेशकों में चिंता आज भारतीय शेयर बाजार में अमेरिकी टैरिफ के कारण भारी गिरावट दर्ज की गई है। सुबह बाजार खुलते ही प्रमुख सूचकांक धड़ाम हो गए, जिससे निवेशकों में हड़कंप मच गया। अमेरिका द्वारा भारत से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर नए शुल्क लगाने की घोषणा के बाद से ही व्यापार युद्ध का खतरा बढ़ गया था, जिसका सीधा असर अब भारतीय अर्थव्यवस्था और कंपनियों पर दिख रहा है। निर्यात आधारित उद्योगों से लेकर IT और कपड़ा क्षेत्रों तक, सभी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। इस अप्रत्याशित कदम से शेयर बाजार में तेज बिकवाली का दौर शुरू हो गया है, जिसने करोड़ों निवेशकों की पूंजी को खतरे में डाल दिया है और आगे की स्थिति को लेकर गहरी अनिश्चितता पैदा कर दी है।
अमेरिकी टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट, निवेशकों में चिंता
पृष्ठभूमि
हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत सहित कई देशों पर नए आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले से भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इस फैसले के कारण निवेशकों में चिंता का माहौल है और इसका सीधा असर आयात-निर्यात तथा विदेशी निवेशकों की धारणा पर पड़ा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर 25% का टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे बाद में 7 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है. इसके अलावा, रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने को लेकर भी भारत पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की बात कही गई है.
वर्तमान स्थिति और बाजार पर प्रभाव
अमेरिकी टैरिफ के झटके से भारतीय शेयर बाजार में कमजोर शुरुआत हुई. 1 अगस्त को सुबह के कारोबार में ही सेंसेक्स करीब 270 अंक टूट गया, जबकि निफ्टी भी 24,700 के नीचे फिसल गया. सुबह 9:26 बजे तक बीएसई सेंसेक्स 270. 15 अंक की गिरावट के साथ 80,915. 43 पर ट्रेड कर रहा था, और निफ्टी 80. 95 अंक गिरकर 24,687. 40 के स्तर पर पहुंच गया. यह गिरावट अगले दिन भी जारी रही और सेंसेक्स 585. 67 अंक या 0. 72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80599. 91 पर बंद हुआ.
बाजार में बिकवाली का दबाव खासकर फार्मा और आईटी क्षेत्र में देखने को मिला. सन फार्मा के शेयरों में 5% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि कंपनी के पहली तिमाही के शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर करीब 20 प्रतिशत की गिरावट आई थी. महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, इंफोसिस और लार्सन एंड टुब्रो जैसे शेयर भी गिरने वाले शेयरों में शामिल थे.
| सूचकांक | गिरावट (अंक) | गिरावट (%) | स्तर |
|---|---|---|---|
| सेंसेक्स | 270. 15 (सुबह) / 585. 67 (बंद) | 0. 33 (सुबह) / 0. 72 (बंद) | 80,915. 43 (सुबह) / 80599. 91 (बंद) |
| निफ्टी | 80. 95 (सुबह) | 0. 33 (सुबह) | 24,687. 40 (सुबह) |
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने लगातार बिकवाली की है, जिससे बाजार पर दबाव और बढ़ गया है. गुरुवार को एफआईआई ने 5,588. 91 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे. हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने खरीदारी जारी रखी है.
टैरिफ का कारण और भारत पर असर
अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला भारत के उच्च टैरिफ और कठोर गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं का हवाला देते हुए लिया है. अमेरिका कृषि और डेयरी बाजार तक बेहतर पहुंच चाहता है, लेकिन भारत अपने लाखों किसानों के हितों की रक्षा के लिए इन क्षेत्रों में समझौता करने को तैयार नहीं है. इसके अलावा, रूस के साथ भारत के गहरे सैन्य और ऊर्जा संबंध भी ट्रंप प्रशासन की नाराजगी का एक प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं.
इस टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों पर सीधा असर पड़ने की आशंका है. इनमें स्मार्टफोन, फार्मा, टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, तथा ऑटो पार्ट्स जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्र शामिल हैं. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर ये टैरिफ वित्त वर्ष 2025-26 तक लागू रहते हैं, तो इससे भारत की जीडीपी में 0. 2% से 0. 5% तक की गिरावट आ सकती है. महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में मौजूद छोटे और मझोले उद्योग (MSME) और निर्यात केंद्र विशेष रूप से इस झटके के प्रति संवेदनशील हैं.
सरकार और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाया है. सरकार के शीर्ष सूत्रों ने बताया है कि अमेरिकी टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई “गंभीर असर” नहीं पड़ेगा और कृषि, डेयरी व एमएसएमई जैसे अहम क्षेत्रों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि सरकार इन टैरिफ के प्रभावों की जांच कर रही है और किसानों, निर्यातकों, एमएसएमई और उद्योग निकायों सहित सभी हितधारकों से परामर्श कर रही है.
भारत सरकार ने साफ किया है कि वह कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेगी और बातचीत के जरिए ही इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करेगी. व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने भी यह स्वीकार किया है कि ये जटिल मुद्दे रातों-रात हल नहीं होंगे, और बातचीत जारी रहेगी.
उद्योग जगत के दिग्गजों ने अमेरिकी टैरिफ के फैसले को चुनौती के साथ-साथ भारत के लिए एक बड़े अवसर के रूप में भी देखा है. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के सीईओ और महासचिव रंजीत मेहता ने कहा है कि यह बढ़ा हुआ शुल्क केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे अन्य प्रमुख निर्यातक देशों को भी लक्षित करता है. उन्होंने यह भी कहा कि कई वैश्विक निर्माता अब भारत में अपनी आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के तरीके तलाश रहे हैं, जो भारत को एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद कर सकता है.
“सरकार हमारे किसानों, श्रमिकों, उद्यमियों, निर्यातकों, एमएसएमई और उद्योग के सभी वर्गों के कल्याण की रक्षा और संवर्धन को सर्वोच्च महत्व देती है. हम अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएँगे.”
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार फिलहाल टैरिफ को अल्पकालिक मुद्दा मान रहा है. अगस्त में शुरू होने वाली नई बातचीत से उम्मीद है कि टैरिफ में ढील मिल सकती है. निवेशकों को सतर्क रहने और लंबे समय के लिए निवेश करने की सलाह दी जा रही है.
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