असम और पश्चिम बंगाल के चाय उद्योग को मार्च से मई तक 2,100 करोड़ रुपये का नुकसान के आसार

कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए देश में बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचने का अनुमान है. सरकार के साथ-साथ अर्थशास्त्रियों ने भी अनुमान जाहिर किया है कि देश में लागू लॉकडाउन की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 1.9 फीसदी या फिर इससे नीचे जाकर ऋणात्मक रुख अख्तियार कर सकती है. इस बीच, मार्च से लेकर मई तक अनवतर जारी लॉकडाउन में घरेलू औद्योगिक क्षेत्रों में लाखों करोड़ों रुपये के उत्पादन का नुकसान हुआ है. खासकर, असम और पश्चिम बंगाल में चाय का उत्पादन ठप रहने से इस उद्योग को करीब 2,100 करोड़ रुपये के आर्थिक नुकसान का अनुमान जाहिर किया जा रहा है.

By Agency | May 25, 2020 8:39 PM

कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए देश में बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचने का अनुमान है. सरकार के साथ-साथ अर्थशास्त्रियों ने भी अनुमान जाहिर किया है कि देश में लागू लॉकडाउन की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 1.9 फीसदी या फिर इससे नीचे जाकर ऋणात्मक रुख अख्तियार कर सकती है. इस बीच, मार्च से लेकर मई तक अनवतर जारी लॉकडाउन में घरेलू औद्योगिक क्षेत्रों में लाखों करोड़ों रुपये के उत्पादन का नुकसान हुआ है. खासकर, असम और पश्चिम बंगाल में चाय का उत्पादन ठप रहने से इस उद्योग को करीब 2,100 करोड़ रुपये के आर्थिक नुकसान का अनुमान जाहिर किया जा रहा है.

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कोलकाता : भारतीय चाय संघ (आईटीए) का अनुमान है कि लॉकडाउन की वजह से असम और पश्चिम बंगाल में चाय उद्योग को मार्च-मई की अवधि में 2,100 करोड़ रुपये की कमाई का नुकसान हुआ है. संघ के मुताबिक, इन दोनों राज्यों में दो महीने के लॉकडाउन के दौरान चाय के उत्पादन में 14 करोड़ किलोग्राम का घाटा होने का अनुमान है. पिछले साल की नीलामी की कीमतों के आधार पर चाय उद्योग को इससे 2,100 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का अनुमान लगाया है.

संघ के अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 को लेकर लागू लॉकडाउन की वजह से चाय उद्योग पर बहत वित्तीय दबाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में चाय उद्योग की उत्पादन लागत बढ़ी है, लेकिन उसके अनुपात में कीमत नहीं बढ़ी. लॉकडाउन की वजह से असम और बंगाल में मार्च और अप्रैल में करीब 65 फीसदी और मई में 50 फीसदी गिरा है.

अधिकारी ने कहा कि सामान्य से कम संख्या में लोगों के चाय बागानों में काम करने से परिचालन संबंधी दिक्कतें भी पेश आ रही हैं. भारतीय चाय संघ ने वाणिज्य मंत्रालय और दोनों प्रदेशों की राज्य सरकारों से चाय उत्पादकों के लिए आर्थिक राहत पैकेज की मांग की है. इसमें ब्याज पर छूट, कार्यशील पूंजी की सीमा बढ़ाना और बिजली बिल के भुगतान और भविष्य निधि के बकायों को चुकाने पर राहत शामिल है. निर्यात के पक्ष पर संघ ने कहा कि ईरान, रूस, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोप जैसे देशों से असम में दूसरे दौर की तुड़ाई वाली चाय की मांग काफी है.

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