Repo Rate : RBI ने रेपो दर को 0.5 % घटाकर 5.5 % किया, आम लोगों को बड़ी राहत

Repo Rate : महंगाई दर में नरमी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है. वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितता के बीच केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है. जानें आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने क्या कहा?

By Amitabh Kumar | June 6, 2025 10:19 AM

Repo Rate : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजे आ गए हैं, जिसमें एक बार फिर आम लोगों को राहत दी गई है. केंद्रीय बैंक ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है और इसे 50 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.50% कर दिया है. इससे पहले दो बैठकों में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी. इस फैसले का सीधा फायदा उन लोगों को होगा जो बैंक से लोन ले रहे हैं, क्योंकि अब उनकी EMI और भी कम होने वाली है. यह कदम महंगाई नियंत्रित रखने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए उठाया गया है. शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने रेपो दर को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.5% करने का फैसला किया.

आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा बोले, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि वैश्विक स्थिति नाजुक, विभिन्न देशों में आर्थिक परिदृश्य कमजोर बना हुआ है. वैश्विक स्तर पर कमजोर आर्थिक परिदृश्य के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है. आरबीआई ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.50 प्रतिशत किया. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था निवेशकों के लिए अपार अवसर प्रदान करती है. वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान चार प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत किया गया.

चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि काफी तेजी से रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती के बाद अब मौद्रिक नीति में वृद्धि को समर्थन देने के लिए सीमित गुंजाइश है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. भू-राजनीतिक तनाव एवं मौसम संबंधी अनिश्चितताएं बाधाएं उत्पन्न कर सकती हैं.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अब एमपीसी भविष्य की नीति तैयार करने के लिए आय के आंकड़ों और उभरते परिदृश्य का सावधानीपूर्वक आकलन करेगी. वित्त वर्ष 2024-25 में चालू खाते का घाटा (कैड) कम रहा; 2025-26 में भी प्रबंधन के स्तर पर बना रहेगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.