PSU Bank Merger: दो सरकारी बैंकों के विलय की तैयारी में सरकार, देश में रहेंगे सिर्फ चार बैंक

PSU Bank Merger: केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े विलय की तैयारी में है. वित्त मंत्रालय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया के मर्जर पर विचार कर रहा है. अगर यह प्रस्ताव मंजूर हुआ तो देश को एसबीआई के बाद दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक मिलेगा. दोनों बैंकों के खाताधारकों की संख्या 25.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी. सरकार का लक्ष्य छोटे बैंकों को मिलाकर मजबूत, प्रतिस्पर्धी और वैश्विक स्तर पर सक्षम बैंकिंग प्रणाली बनाना है.

By KumarVishwat Sen | November 4, 2025 5:53 PM

PSU Bank Merger: भारत के बैंकिंग सेक्टर में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने जा रहा है. केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के मेगा मर्जर की नई योजना पर काम कर रही है. इस योजना के तहत सरकार दो प्रमुख सरकारी बैंकों के विलय की तैयारी कर रही है, जिससे देश में सिर्फ चार बड़े सरकारी बैंक ही बचे रह जाएंगे. बाकी छोटे बैंकों को इन दिग्गज बैंकों में मिलाने की रूपरेखा तैयार की जा रही है. इन बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.

यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया का होगा विलय

मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) और बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) के विलय की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रहा है. अगर यह प्रस्ताव हकीकत बनता है, तो देश को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाद दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक मिलेगा. वर्तमान में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पास करीब 21 करोड़ खाताधारक हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के लगभग 5.5 करोड़ ग्राहक हैं. दोनों बैंकों के विलय के बाद यह संख्या 25.5 करोड़ खातों तक पहुंच जाएगी, जो एसबीआई के 26 करोड़ खाताधारकों से बस थोड़ा ही कम है. यह विलय भारतीय बैंकिंग सिस्टम के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है.

क्या है सरकार का उद्देश्य

इस विलय का उद्देश्य सरकारी बैंकों को वित्तीय रूप से अधिक मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाना है. पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने बैंकिंग सुधारों की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनमें 2019 का मेगा मर्जर प्रमुख रहा था. तब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को मिलाकर एक बड़ा बैंक बनाया गया था. वर्तमान योजना के तहत सरकार चाहती है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटाकर उन्हें ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा करने योग्य संस्थान बनाया जाए. इससे न केवल पूंजी प्रबंधन आसान होगा, बल्कि डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में एकरूपता भी आएगी.

आगे और मर्जर की भी तैयारी

सरकार केवल यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के मर्जर पर ही नहीं रुकने वाली है. रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त मंत्रालय इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (सीबीआई), बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) के संभावित विलय पर भी काम कर रहा है. इससे देश में बचे हुए छोटे सरकारी बैंकों का अस्तित्व बड़े बैंकों में समा सकता है.

इसे भी पढ़ें: Inequality Report: संपत्ति बनाने में भारत के 1% अमीरों ने चीन को पछाड़ा, 23 साल में 62% बढ़ी प्रॉपर्टी

खाताधारकों पर क्या होगा असर?

यदि यह मर्जर होता है, तो खाताधारकों के खातों की सेवाओं में कोई तात्कालिक बदलाव नहीं होगा. उनके खातों, जमा, एटीएम कार्ड या लोन पर इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि एकीकृत बैंकिंग सिस्टम से ग्राहकों को बेहतर डिजिटल सेवाएं, विस्तृत शाखा नेटवर्क और वित्तीय सुरक्षा का लाभ मिलेगा.

इसे भी पढ़ें: Gopichand Hinduja Death: अपने पीछे अरबों की दौलत छोड़ गए अशोक लीलैंड के मालिक, गोपीचंद हिंदुजा 85 साल की उम्र में निधन

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.