Project Kaveri: भारत की कावेरी परियोजना से चीन-पाकिस्तान की छाती पर लोटेगा सांप, दुश्मन होंगे पस्त

Project Kaveri: भारत की कावेरी इंजन परियोजना अब निर्णायक मोड़ पर है, और इसके सफल होते ही चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ना तय है. यह स्वदेशी टर्बोफैन इंजन न केवल भारत की लड़ाकू ताकत को मजबूती देगा, बल्कि विदेशी इंजनों पर निर्भरता भी खत्म करेगा. कावेरी इंजन का उपयोग भविष्य के मानवरहित लड़ाकू विमानों (UCAV) और LCA तेजस में भी किया जा सकता है.

By Sakshi Sinha | May 29, 2025 4:29 PM

Project Kaveri : पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के सफाए के लिए अभी हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की ओर से घातक हवाई हमले किए गए, जिसमें भारत के राफेल और सुखोई जेट्स का मुकाबला पाकिस्तान के एफ-16 और जे-17 से हुआ. इस तरह की हमलों में असली ताकत जेट्स के दमदार इंजनों की होती है, जो इन्हें पलक झपकते ही आसमान में उड़ने की क्षमता देते हैं. भारत भी लंबे समय से अपने फाइटर जेट्स के लिए स्वदेशी इंजन बनाने की कोशिश में है, जिसका नाम ‘कावेरी प्रोजेक्ट’ है. भारत के इस कावेरी परियोजना के सफल होते ही पाकिस्तान-चीन की छाती पर भी सांप लोटना तय माना जा रहा है, क्योंकि इससे दुश्मन देशों के फाइट प्लेनों की हालत पस्त हो जाएगी.

क्या है कावेरी इंजन 

कावेरी इंजन भारत का स्वदेशी टर्बोफैन जेट इंजन है, जिसे DRDO के तहत GTRE द्वारा विकसित किया जा रहा है.  इसकी शुरुआत 1980 के दशक के अंत में हुई थी, जिसका मकसद एलसीए तेजस को घरेलू इंजन से शक्ति देना था.  यह भारत की डिफेंस आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है.  DRDO के मुताबिक, यह लो-बाईपास ट्विन-स्पूल टर्बोफैन इंजन है, जिसे करीब 80 kN थ्रस्ट देने के लिए डिजाइन किया गया है.  हाई टेम्परेचर और स्पीड में थ्रस्ट लॉस को कम करने के लिए इसका फ्लैट-रेटेड डिजाइन तैयार किया गया है.  साथ ही, इसकी FADEC प्रणाली मैन्युअल बैकअप के साथ सटीक और भरोसेमंद नियंत्रण सुनिश्चित करती है, जिससे यह कई ऑपरेशनल स्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करता है. 

UCAV परियोजना में होगीकावेरी  शामिल 

DRDO रूस में स्वदेशी कावेरी जेट इंजन का परीक्षण कर रही है, जिसका इस्तेमाल भारत में बनाए जा रहे लंबी दूरी के मानवरहित लड़ाकू विमान (UCAV) को शक्ति देने के लिए किया जाएगा.  फिलहाल रूस में इंजन के करीब 25 घंटे के परीक्षण बाकी हैं, जिसके लिए स्लॉट्स तय किए जा रहे हैं.  रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, इस इंजन को देश की UCAV परियोजना में शामिल करने की योजना है. 

सोशल मीडिया पर भी हो रही ट्रेंड

सोशल मीडिया पर इन दिनों #फंडकावेरी ट्रेंड कर रहा है.  दरअसल, कावेरी इंजन को DRDO ने स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) के लिए विकसित करने की योजना बनाई थी, लेकिन देरी के चलते LCA को फिलहाल अमेरिकी GE-404 इंजन से पावर दिया जा रहा है.  GE-404 का इस्तेमाल 32 एलसीए मार्क 1 और ट्रेनर वर्जन में किया गया है, और 83 एलसीए मार्क 1ए भी इसी इंजन पर आधारित हैं.  हालांकि, अमेरिकी कंपनी से सप्लाई में आई रुकावटों के कारण प्रोजेक्ट में देरी हो रही है.  ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कावेरी इंजन अब भी LCA को पावर देने के विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है. 

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