भारत की अर्थव्यवस्था को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमी के कुलपति ने कही बड़ी बात
Indian Economy: लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कुलपति लैरी क्रेमर ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के पास अपार आर्थिक अवसर हैं. दिल्ली में कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के दौरान उन्होंने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे पर निवेश को भारत की विकास कहानी की कुंजी बताया. क्रेमर ने विदेशी निवेश के साथ घरेलू निवेश पर भी जोर दिया और कहा कि आने वाले तीन दशकों में भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का अहम केंद्र बन सकता है.
Indian Economy: भारत की अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (एलएसई) के अध्यक्ष और कुलपति लैरी क्रेमर ने शुक्रवार को भारत की अर्थव्यवस्था की वैश्विक स्तर पर सराहना करते हुए कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के पास अपार आर्थिक अवसर मौजद हैं. दिल्ली में आयोजित चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में उन्होंने भारत की विकास यात्रा, चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की.
वैश्विक चुनौतियों के बीच मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था
लैरी क्रेमर ने कहा कि मौजूदा वैश्विक अस्थिरता और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत मजबूती से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि देश लंबे समय से विकास की राह पर अग्रसर है और अब जरूरत इस गति को अगले स्तर तक ले जाने की है. वैश्विक उथल-पुथल को घरेलू निवेश की दिशा में रुकावट न बनने देना भारत के लिए सबसे बड़ी रणनीति हो सकती है.
शिक्षा, महिला भागीदारी और बुनियादी ढांचे पर जोर
क्रेमर ने यह भी कहा कि भारत को अपनी बुनियादी आर्थिक कहानी पर ध्यान देना चाहिए. बच्चों की बेहतर शिक्षा, कार्यबल में महिलाओं की व्यापक भागीदारी और बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश से देश की विकास गति और तेज हो सकती है. उनके अनुसार, यही वे क्षेत्र हैं जिन पर भारत को अगले तीन दशकों तक प्राथमिकता के साथ कार्य करना चाहिए.
वैश्विक टैरिफ और व्यापार की नई दिशा
वैश्विक टैरिफ घटनाक्रम पर बोलते हुए क्रेमर ने कहा कि इसके पूर्ण प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी. उन्होंने बताया कि लगातार बदलते टैरिफ नियमों ने व्यापारिक अनिश्चितता को बढ़ाया है, लेकिन लंबे समय में इसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था से हटकर अन्य देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करेगा. इससे नए व्यापार समझौते होंगे और अमेरिका पर निर्भरता घटेगी.
भारत की विशिष्ट वैश्विक स्थिति
भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी मजबूत आंतरिक नींव है. क्रेमर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति अद्वितीय है, क्योंकि यह केवल बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि अगले 30 वर्षों में भारत का मुख्य लक्ष्य निवेश को बढ़ावा देना होना चाहिए. हालांकि, विदेशी निवेश जरूरी है, लेकिन घरेलू निवेश को बढ़ाना और भी महत्वपूर्ण है.
प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स में बड़ी भूमिका
क्रेमर ने इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को भारत के लिए अहम बताया. उन्होंने कहा कि भारत इन क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्थान हासिल कर सकता है. साथ ही, उन्होंने यह भी जोर दिया कि देश को बुनियादी ढांचे, परिवहन और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारी निवेश करना होगा.
ऊर्जा और दीर्घकालिक दृष्टिकोण
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कुलपति लैरी क्रेमर ने ऊर्जा क्षेत्र को भी भारत के लिए निर्णायक बताया. उन्होंने कहा कि आज ऊर्जा के कई रूप अपेक्षाकृत सस्ते हैं, लेकिन भारत को केवल वर्तमान नहीं, बल्कि मध्यम और दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए ऊर्जा निवेश की दिशा भारत की आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता तय करेगी.
लैरी क्रेमर की टिप्पणी भारत के लिए अहम
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कुलपति लैरी क्रेमर की टिप्पणियां यह स्पष्ट करती हैं कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत अवसरों का केंद्र बनकर उभरा है. शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित कर भारत आने वाले दशकों में न केवल अपनी विकास यात्रा को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी अहम भूमिका निभाएगा.
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एएनआई इनपुट के साथ
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