पीयूष गोयल बोले, अमेरिका संतुष्ट है तो भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर तुरंत हस्ताक्षर करे
India-US Trade: भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर नई उम्मीदें दिख रही हैं. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यदि अमेरिका भारत की पेशकश से संतुष्ट है, तो उसे तुरंत एफटीए पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए. दोनों देशों के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, जबकि अमेरिकी प्रतिनिधियों ने भारतीय प्रस्ताव को अब तक का सबसे अच्छा बताया है. मोदी-ट्रंप बातचीत और बढ़ते आर्थिक सहयोग के बीच यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को नई दिशा दे सकता है.
India-US Trade: भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर विश्वास और उम्मीदों का माहौल बनता दिख रहा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि अगर अमेरिका भारतीय पेशकश से संतुष्ट है, तो उसे बिना किसी देरी के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए. यह बयान तब आया है, जब अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीयर ने कहा कि भारत की ओर से मिला प्रस्ताव अमेरिका के लिए अब तक का सबसे अच्छा है. गोयल ने इस टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि यह खुशी की बात है कि अमेरिका भारत की पेशकश से सहज है, लेकिन यदि संतुष्टि इतनी अधिक है तो समझौते पर दस्तखत में देरी समझ से बाहर है.
भारत की पेशकश के विवरण पर गोयल का संयम
अब जबकि अमेरिकी पक्ष भारत की ओर से दी जा रही रियायतों की सराहना कर रहा है, तो पीयूष गोयल ने यह स्पष्ट किया कि भारत द्वारा पेश की गई शर्तों या ढांचे के विवरण को फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यापार समझौते के दायरे और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखते हुए विस्तृत जानकारी साझा करना उचित नहीं होगा. गोयल ने आगे बताया कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और अभी बातचीत लगातार आगे बढ़ रही है. लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत किसी तैयार समय-सीमा के दबाव में आकर समझौता नहीं करना चाहता.
वार्ता का क्या उद्देश्य
इस समय अमेरिका के उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर भारत दौरे पर हैं. हालांकि, गोयल ने उनकी इस यात्रा को किसी नए वार्ता दौर का हिस्सा नहीं बताया. उनके अनुसार, यह यात्रा दोनों देशों के बीच बेहतर समझ और विश्वास को मजबूत करने के उद्देश्य से हो रही है. भारत और अमेरिका की टीमों ने दो दिन तक कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें कृषि, औद्योगिक उत्पाद, आयात-निर्यात शुल्क और बाजार पहुंच जैसे विषय शामिल रहे.
मोदी और ट्रंप के बीच उच्चस्तरीय बातचीत
इसी क्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच भी टेलीफोन पर महत्वपूर्ण बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, तकनीक और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर बात की. इस बातचीत को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि दोनों देश जल्द से जल्द द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण को अंतिम रूप देना चाहते हैं. इस हाई-लेवल बातचीत ने व्यापार वार्ता को नई गति दी है और दोनों देशों के बीच एक सकारात्मक राजनीतिक माहौल तैयार हुआ है, जिससे समझौते के रास्ते आसान हो सकते हैं.
समयसीमा विवाद पर गोयल ने किया इंकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने यह टिप्पणी की थी कि एफटीए पर हस्ताक्षर अगले साल मार्च तक संभव है. लेकिन इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि वह इस बयान से अवगत नहीं हैं और किसी भी समझौते के लिए समय-सीमा तय करना उचित नहीं होता. उनके अनुसार जल्दीबाजी में लिए गए निर्णय कभी-कभी गलत साबित हो सकते हैं. इसलिए किसी भी व्यापार समझौते को सावधानी और परिपक्वता के साथ अंतिम रूप दिया जाना चाहिए.
अमेरिका की चिंताएं और भारत की भूमिका
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ग्रीयर ने अमेरिकी सीनेट की सुनवाई में कहा कि भारत में कृषि उत्पादों (जैसे मक्का, गेहूं, सोयाबीन, कपास और मांस) को लेकर काफी प्रतिरोध है. इसके बावजूद उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हालिया दौर में भारत ने अत्यंत प्रगतिशील और सकारात्मक रवैया अपनाया है. ग्रीयर का यह भी कहना था कि भारत एक बेहद सक्षम वैकल्पिक बाजार के रूप में उभर रहा है. खासकर, उन परिस्थितियों में जब अमेरिका अपने सप्लाई चेन को विविध बनाना चाहता है.
भारतीय निर्यात पर अमेरिकी शुल्क का प्रभाव
यह वार्ता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि फिलहाल अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% तक का भारी आयात शुल्क लगाया हुआ है. पहले 25% शुल्क भारत के व्यापार अधिशेष को लेकर लगाया गया था, जबकि अगला 25% शुल्क रूस से कच्चे तेल की खरीद के कारण लगाया गया. इन शुल्कों ने भारत के निर्यात को काफी प्रभावित किया है और व्यापार संतुलन में असंतुलन पैदा किया है. एक ठोस व्यापार समझौते से इन बाधाओं के दूर होने की संभावना है.
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संभावनाओं से भरा व्यापार समीकरण
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं. अमेरिका की ओर से भारत की पेशकश की खुली प्रशंसा यह संकेत है कि जल्द ही कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. पीयूष गोयल की दो-टूक टिप्पणी ‘अगर वे खुश हैं, तो हस्ताक्षर कर दें’ वार्ता को सीधे, स्पष्ट और निर्णायक मोड़ दे रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका अगले कदम कितनी जल्दी उठाता है और यह समझौता वैश्विक व्यापार समीकरणों में किस तरह का बड़ा बदलाव लाता है.
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