भारत में बिस्कुट बेचता है जिन्ना का नाती, 48 साल में खड़ा कर दिया अरबों का कारोबारी साम्राज्य
Independence Day 2025: मोहम्मद अली जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया वाडिया समूह के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 48 साल में भारत में अरबों का कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया. जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया ने भारत में रहना चुना और उनके बेटे नुस्ली ने कपड़ा, रियल एस्टेट, एविएशन और खाद्य क्षेत्रों में समूह का विस्तार किया. बॉम्बे डाइंग, गोएयर (गो फर्स्ट) और ब्रिटानिया जैसी कंपनियां इनके साम्राज्य का हिस्सा हैं. 7 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ नुस्ली भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में गिने जाते हैं.
Independence Day 2025: शुक्रवार 15 अगस्त 2025 को पूरा भारत स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएगा. लेकिन, हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बंटवारे की टीस हर किसी के दिल में दहाड़ मारने लगती है. 14 अगस्त 1947 को हुए विभाजन के बाद पाकिस्तान भारत से अलग हो गया और इस बंटवारे का खलनायक मोहम्मद अली जिन्ना को माना जाता है. लेकिन, यह जानकर आप चौंक जाएंगे कि जिस जिन्ना की वजह से भारत को बंटवारे का दंश झेलना पड़ा और पूरब-पश्चिम में दो दुश्मन पैदा हो गए, उस जिन्ना के नाती भारत में बिस्कुट बेचने का काम करते हैं. चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिन्ना के नाती ने पिछले 48 सालों के दौरान भारत में अरबों रुपये का कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर दिया. इतना कुछ जानने के बाद क्या आप यह नहीं जानना चाहेंगे कि उस शख्स का नाम क्या है? हम बता देते हैं कि उनका नाम नुस्ली वाडिया है.
जिन्ना के नाती है नुस्ली वाडिया
वाडिया समूह के चेयरमैन नुस्ली वाडिया भारत से पाकिस्तान को अलग कराने वाले मोहम्मद अली जिन्ना के नाती हैं. जिन्ना परिवार का भारत में एक महत्वपूर्ण कारोबारी साम्राज्य आज भी मौजूद है. यह साम्राज्य जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया और उनके बेटे नुस्ली वाडिया के माध्यम से स्थापित हुआ. नुस्ली वाडिया भारत के प्रमुख उद्योगपति हैं और वाडिया समूह के अध्यक्ष हैं. यह समूह कपड़ा, रियल एस्टेट, एविएशन और खाद्य जैसे विविध क्षेत्रों में सक्रिय है.
जिन्ना की बेटी ने भारत में रहने का क्यों किया फैसला
मोहम्मद अली जिन्ना ने 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान का रुख किया, लेकिन उनकी इकलौती बेटी दीना वाडिया ने भारत में रहने का फैसला किया. दीना ने 1938 में पारसी उद्योगपति नेविल वाडिया से शादी की थी, जिसे जिन्ना ने कभी स्वीकार नहीं किया था. इस शादी के बाद दीना ने अपने पिता से संबंध तोड़ लिये और बंटवारे के बाद भी मुंबई में रही. दीना ने कहा था कि वह मुंबई को पसंद करती हैं और इसे छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी. उनकी मृत्यु 2017 में न्यूयॉर्क में हुई, लेकिन उनके बेटे नुस्ली वाडिया ने भारत में रहकर वाडिया समूह को एक विशाल कारोबारी साम्राज्य में बदल दिया.
नुस्ली वाडिया ने कब संभाली वाडिया समूह की कमान
जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया वाडिया समूह के वर्तमान अध्यक्ष हैं. नुस्ली वाडिया ने वाडिया समूह को 1977 में संभालना शुरू किया. उस समय उनके पिता नेविल वाडिया ने कारोबार की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी थी. नुस्ली ने तब से समूह को कपड़ा, रियल एस्टेट, एविएशन और खाद्य जैसे क्षेत्रों में विस्तारित किया. वाडिया समूह की स्थापना 1736 में लवजी वाडिया द्वारा की गई थी, जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए जहाज निर्माण में शामिल थे. नुस्ली ने इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए समूह को आधुनिक भारत के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में से एक बनाया.
वाडिया समूह की प्रमुख कंपनियां
- बॉम्बे डाइंग: यह समूह की फ्लैगशिप कंपनी है, जो कपड़ा और रियल एस्टेट में अग्रणी है. बॉम्बे डाइंग भारत की सबसे पुरानी और विश्वसनीय टेक्सटाइल कंपनियों में से एक है.
गोएयर (अब गो फर्स्ट): वाडिया समूह ने एविएशन क्षेत्र में भी कदम रखा और गोएयर की स्थापना की, जो कम लागत वाली एयरलाइन के रूप में जानी जाती है. हालांकि, यह कंपनी हाल के वर्षों में वित्तीय संकट से गुजरी है. - ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज: यह भारत की अग्रणी बिस्किट और खाद्य उत्पाद निर्माता कंपनी है, जिसने वाडिया समूह की बाजार उपस्थिति को और मजबूत किया.
- अन्य क्षेत्र: वाडिया समूह रियल एस्टेट, रसायन और अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय है, जिससे इसकी पहुंच और प्रभाव बढ़ा है.
वाडिया समूह का बाजार पूंजीकरण
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाडिया समूह का बाजार पूंजीकरण और कारोबारी प्रभाव इसे भारत के शीर्ष औद्योगिक समूहों में से एक बनाता है. नुस्ली वाडिया की नेतृत्व क्षमता ने समूह को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई. उनकी कुल संपत्ति का अनुमान 2025 तक लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो उन्हें भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में से एक बनाता है.
जिन्ना परिवार का भारत में प्रभाव
बंटवारे के खलनायक मोहम्मद अली जिन्ना के अधिकांश रिश्तेदारों ने पाकिस्तान जाने के बजाय भारत में रहना पसंद किया. उनके भाई अहमद अली ब्रिटेन में रहे, जबकि बहन मरियम और रहमत बाई के वंशज मुंबई और कोलकाता में बसे. जिन्ना की बहन मरियम के पोते लियाकत मर्चेंट ने पाकिस्तानी अखबार डेली टाइम्स में लिखा कि जिन्ना के परिवार के कई सदस्यों ने भारत को चुना, जिससे उनकी विरासत भारत में जीवित रही. नुस्ली वाडिया इस विरासत का सबसे प्रमुख चेहरा हैं, जिन्होंने न केवल कारोबारी सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी योगदान दिया.
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वाडिया समूह की चुनौतियां और विवाद
वाडिया समूह ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. गोएयर के वित्तीय संकट और बॉम्बे डाइंग के कुछ क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा ने समूह को चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसके अलावा, जिन्ना की संपत्ति को लेकर भी विवाद रहा है. उनकी बहन फातिमा जिन्ना की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति को लेकर कराची में 1968 से 1984 तक मुकदमा चला, जो शरिया कानून के अनुसार सुलझाया गया. हालांकि, नुस्ली वाडिया ने इन विवादों से दूरी बनाए रखी और अपने कारोबार पर ध्यान केंद्रित किया.
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