टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा मुनाफा देने की तैयारी में सरकार, माफ कर सकती है 40,000 करोड़ रुपये का बकाया

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ करीब 40,000 करोड़ रुपये के विवादों से जुड़े कानूनी मामलों को वापस लेने पर विचार करने के लिए 17 नवंबर तक की मोहलत दी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2021 8:56 AM

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार देश की टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा मुनाफा देने की तैयारी कर रही है. खबर है कि वह स्पेक्ट्रम यूजर शुल्क बकाया मामले में करीब 40,000 करोड़ रुपये का बकाया माफ कर सकती है. सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि दूरसंचार विभाग ने अनिल अंबानी के खिलाफ एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया है कि सरकार टेलीकॉम कंपनियों के स्पेक्ट्रम यूजर शुल्क बकाया की वसूली प्रक्रिया की समीक्षा कर रही है.

उधर, खबर यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ करीब 40,000 करोड़ रुपये के विवादों से जुड़े कानूनी मामलों को वापस लेने पर विचार करने के लिए 17 नवंबर तक की मोहलत दी है. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने इस मामले को 17 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.

सॉलिसीटर ने कोर्ट से मांगा तीन हफ्ते का समय

इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें उसने कहा है कि वह दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ मामले वापस लेने पर विचार कर रही है. उन्होंने इस मामले में जवाब के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा, जिससे सरकार इस पर फैसला कर सके.

टीडीसैट ने सरकार के फैसले को किया रद्द

केंद्र सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के खिलाफ अपील में हलफनामा दायर किया है, जिसमें उसने दूरसंचार विवाद समाधान अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) के आदेश को चुनौती दी है. टीडीसैट ने सरकार द्वारा आरकॉम को आवंटित अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए शुल्क लेने के फैसले को रद्द कर दिया था. टीडीसैट ने दूरसंचार विभाग को कंपनी को 2,000 करोड़ रुपये लौटाने को भी कहा था.

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सरकार की ये है दलील

विभाग ने कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र विभिन्न परिस्थितियों के कारण वित्तीय संकट से गुजर रहा है और दूरसंचार सेवाप्रदाता घाटे में चल रहे हैं. सरकार ने कहा कि भारतीय बैंक संघ उसे सूचित किया है कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिकूल घटनाक्रमों से विफलता, गायब होती प्रतिस्पर्धा, एकाधिकार, अस्थिर संचालन जैसी समस्याएं आ सकती हैं और यह बैंकिंग प्रणाली के लिए गंभीर नुकसान का कारण बन सकता है, जो इस क्षेत्र को काफी लोन मुहैया कराता है.

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