किसानों की आमदनी बढ़ेगी और 55 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार, 10 प्वाइंट्स में जानिए वित्त मंत्री ने क्या किया ऐलान

देश में लागू लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किये गए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के ऐलान में से शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीसरे किस्त में विस्तार से जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने देश के किसानों की आमदनी और कृषि क्षेत्र में रोजगार को बढ़ाने के लिए किये गये उपायों पर चर्चा की.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 16, 2020 6:40 AM

नयी दिल्ली : देश में लागू लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किये गए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के ऐलान में से शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीसरे किस्त में विस्तार से जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने देश के किसानों की आमदनी और कृषि क्षेत्र में रोजगार को बढ़ाने के लिए किये गये उपायों पर चर्चा की. इसके साथ ही, उन्होंने कृषि और उसकी बुनियादी संरचना के विकास पर सरकार की ओर से बनायी गयी योजनाएं और उसके जरिये किये जाने वाले खर्च के प्रावधानों का भी ऐलान किया, तो आइए 10 प्वाइंट्स में जानते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए किन-किन योजनाओं का ऐलान किया और किन योजनाओं में कितना खर्च किया जाएगा…

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1. कृषि बुनियादी ढांचा विकास पर सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये की योजना तैयार किया है. इसके तहत शीत भंडारण संयंत्रों और यार्ड जैसी बुनियादी ढांचा के निर्माण के लिए कृषि बुनियादी संरचना कोष बनाया जाएगा.

2. वित्त मंत्री ने सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों को औपचारिक बनाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की है. इससे करीब दो लाख सूक्ष्म खाद्य इकाइयों को लाभ मिलेगा. इस योजना के तहत बिहार में मखाना के क्लस्टर, केरल में रागी, कश्मीर में केसर, आंध्र प्रदेश में मिर्च, यूपी में आम से जुड़े क्लस्टर बनाये जा सकते हैं.

3. वित्त मंत्री ने मत्स्यपालन और मछली उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जरूरत ढांचागत सुविधाओं खड़ी करने के वास्ते 20 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की है. इसके तहत 11,000 करोड़ रुपये समुद्री मत्स्यपालन और 9,000 करोड़ रुपये फिशरीज के लिए बुनियादी ढांचा पर खर्च किया जाएंगे. मछुआरों और उनकी नाव का बीमा होगा. सरकार के इस प्रयास से मत्स्यपालन क्षेत्र में करीब 55 लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा.

4. पशुपालन के क्षेत्र के विकास और मवेशियों के टीकाकरण के लिए वित्त मंत्री 13,343 करोड़ रुपये की योजना का ऐलान किया है. इसके लिए सरकार की ओर से देश के करीब 53 करोड़ पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने के लिए 100 फीसदी टीकाकरण किया जाएगा. गाय, भैंस और बकरियों का 100 फीसदी टीकाकरण का प्रावधान है.

5. डेयरी प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष बनाया जाएगा. इससे देश के दुग्ध उत्पाद और उत्पादकों को लाभ मिल सकेगा.

6. सरकार ने औषधीय खेती को बढ़ावा देने और अगले दो साल में 10 लाख हेक्टेयर के रकबे को औषधीय खेती के दायरे में लाने के लिए 4,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना तैयार की है. इसके तहत किसानों को करीब 5,000 करोड़ रुपये की आमदनी होने का अनुमान है. इसके साथ ही सरकार ने औषधीय पौधों की खेती के लिए गंगा के किनारे 800 हेक्टेयर भूमि पर हर्बल प्रॉडक्ट्स के लिए कॉरिडोर बनाने का ऐलान किया है.

7. सरकार ने देश में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. इससे देश के ग्रामीण क्षेत्रों के दो लाख मधुमक्खी पालकों को लाभ मिलने की संभावना जाहिर की गयी है तथा मधुमक्खी पालकों के उत्पाद के निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.

8. सभी फलों और सब्जियों तक ऑपरेशन हरित के विस्तार के लिए 500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त कोष का गठन किया जाएगा. परिवहन, भंडारण पर सरकार की ओर से 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. इसके तहत आलू, प्याज और टमाटर के अलावा अन्य सब्जियों और फलों को भी शामिल किया गया है.

9. कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा लाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 में संशोधन किया जाएगा. कानून में संशोधन के जरिये अनाज, खाद्य तेलों, तिलहनों, दालों, आलू और प्याज को इस कानून के दायरे से नियमन मुक्त किया जाएगा. आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के बाद प्रसंस्करण करने वालों तथा मूल्य शृंखला के अन्य भागीदारों पर भंडारण सीमा लागू नहीं होगी. राष्ट्रीय आपदा, भुखमरी जैसी आपात स्थितियों में ही भंडारण सीमा रहेगी.

10. कृषि विपणन क्षेत्र में सुधार किया जाएगा. इससे किसानों को विपणन का विकल्प मिलेगा. अब किसानों को एपीएमसी के लाइसेंसी कारोबारियों के हाथों औने-पौने दामों में कृषि उत्पाद बेचने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा. वे ई-मार्केटिंग के जरिये किसी भी खरीदार के हाथों अपने उत्पाद को बेच सकेंगे और उचित समर्थित मूल्य हासिल कर सकेंगे.

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