करोड़ों का कारोबार, लेकिन कोई संभालने वाला नहीं, जर्मनी के 42% बिजनेस घरानों की यही कहानी
Germany succession crisis: जर्मनी से एक अजीब सा मामला सामने आया है. वहां के कई बिजनेसमेन चिंता में है कि उनके कारोबार का क्या होगा. जर्मनी के कई बिजनेसमेन अब बूढे़ हो रहे है और उन्हें रिटायर होना है उनको अपने बिजनेस को संभालने के लिए एक वारिश की जरूरत जो नहीं मिल रही है.
खूब मेहनत की खूब कमाया बहुत बड़ा कारोबार खड़ा किया और अब उसे संभालेगा कौन इसकी हो रही है खूब टेंशन. जर्मनी से आया एक अजीब सा मामला जो बन रहा है आर्थिक मंदी का कारण.
वारिस ढूंढ रहे
रिपोर्टस के मुताबिक, जर्मनी में रहने वाले 62 साल के रुडॉल्फ किसलिंग अब रिटायर होना चाहते हैं. उन्होंने दिन रात एक करके हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडिशनिंग का कारोबार खड़ा किया. किसलिंग का बेटा उनके कारोबार में जरा भी रुचि नहीं लेता, वह अलग पेशे में इंगेज है. इसलिए वो अपने बिजनेस को संभालने के लिए वारिस या उत्तराधिकारी ढूंढ रहे हैं. ये समस्या ऐसे हजारों कारोबारियों की है, उनका कारोबार बंद होने के कगार पर पहुंच गया है.
जर्मनी की लगभग 99 फीसदी कंपनियां छोटे और मध्यम (SME) दर्जे की हैं, उन्हें सामूहिक रूप से एसएमई कहा जाता है. बता दें कि इन्हें जर्मन अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. इन्हें प्राइवेट इनवेस्टमेंट का इंजन भी माना जाता है. एसएमई लगभग 60 फीसदी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती हैं.
रिटायर होना चाहते हैं
आंकड़ो के अनुसार, वहां के आधे एसएमई के मालिक 55 साल से ज्यादा उम्र के है. वे अपने काम से रिटायर होना चाहते हैं, लेकिन यह सोच कर अपने कारोबार को चलाये जा रहे हैं कि कभी तो योग्य वारिस मिल जाएगा.
आर्थिक मंदी
ये सुनने में आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था के सामने ये एक बड़ा संकट है. इस समय जर्मनी दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की सबसे लंबी आर्थिक मंदी से जूझ रहा है.
मिडिया रिपोर्टस की मानें तो, किसलिंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, “मेरे पास कोई नहीं है. मेरा एक बेटा है लेकिन वह ये काम नहीं करना चाहता है. कर्मचारी भी जिम्मेदारी लेने से डरते हैं.”
कंपनियां बंद करने की योजना
सरकारी विकास बैंक केएफडब्ल्यू के सर्वे से पता चला है कि लगभग 2,31,000 उद्यमी इस साल के आखिर में अपनी कंपनियां बंद करने की योजना बना रहे हैं. पिछले साल की तुलना में ये संख्या 67,500 ज्यादा है. उत्तराधिकारी की समस्या जर्मनी की आर्थिक स्थिति को काफी हद तक प्रभावित कर रही है.
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