ट्रंप के टैरिफ को फिच की चुनौती, भारत की साख को रखा बरकरार

Credit Ratings: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने के बावजूद दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां इसकी साख को बढ़ा रही हैं. पिछले दिनों ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने 18 वर्षों में पहली बार भारत की रेटिंग को बढ़ाकर बीबीबी करने का फैसला किया. इसके बाद डीबीआरएस ने भी भारत की साख को बढ़ाने का काम किया है. अब एक अन्य रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भी भारत की साख को बीबीबी माइनस की श्रेणी में रखने का ऐलान किया है. ये सभी एजेंसियां भारत की साख को बढ़ाकर एक प्रकार से ट्रंप की टैरिफ को सीधी चुनौती देने का काम कर रही हैं.

By KumarVishwat Sen | August 25, 2025 6:13 PM

Credit Ratings: ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने सोमवार को भारत की साख (क्रेडिट रेटिंग) को ‘बीबीबी-’ पर स्थिर परिदृश्य (स्टेबल आउटलुक) के साथ बरकरार रखा है. यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से प्रस्तावित 50% आयात शुल्क (टैरिफ) की चुनौतीपूर्ण स्थिति के बीच आया है, जो 28 अगस्त, 2025 से लागू होने वाला है. एजेंसी का मानना है कि भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर और बाहरी वित्तीय स्थिति (एक्सटर्नल फाइनेंस) उसकी रेटिंग को मजबूती प्रदान करती हैं.

अमेरिकी टैरिफ और भारत की वृद्धि पर असर

अमेरिका की ओर से प्रस्तावित 50% टैरिफ भारत की वृद्धि दर पर हल्का दबाव डाल सकता है. फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5% की दर से बढ़ेगा. यह दर बीबीबी रेटिंग वाले अन्य देशों के औसत 2.5% से कहीं अधिक है. हालांकि, टैरिफ के कारण वृद्धि दर पर मामूली नकारात्मक असर पड़ने की आशंका जताई गई है.

जीएसटी सुधारों से उपभोग को बढ़ावा

फिच ने अपने आकलन में जीएसटी सुधारों को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक बताया. सरकार ने मंत्रिसमूह के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि कर संरचना को 5% और 18% की दो दरों में सीमित किया जाए, जबकि वर्तमान में 12% और 28% की दरें मौजूद हैं. इसके अलावा, पांच से सात वस्तुओं के लिए 40% की कर दर का भी प्रस्ताव है. एजेंसी का कहना है कि यदि ये जीएसटी सुधार लागू किए जाते हैं, तो इससे उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा और वृद्धि से जुड़े कुछ जोखिम कम हो जाएंगे.

निवेशकों का भरोसा और रेटिंग की अहमियत

फिच ने कहा कि भारत की क्रेडिट रेटिंग को उसकी मजबूत वृद्धि दर और ठोस बाह्य वित्तीय स्थिति से समर्थन प्राप्त है. हालांकि, राजकोषीय घाटे और उच्च कर्ज का स्तर अभी भी चिंता का विषय है. ‘बीबीबी-’ निवेश श्रेणी (इन्वेस्टमेंट ग्रेड) की सबसे निचली रेटिंग मानी जाती है, लेकिन इसका बरकरार रहना निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है.

एसएंडपी और मॉर्निंग डीबीआरएस ने भी बढ़ाई साख

फिच का यह फैसला उस समय आया है, जब दूसरी रेटिंग एजेंसियां भारत के प्रति पहले ही सकारात्मक संकेत दे चुकी हैं. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 14 अगस्त 2025 को भारत की साख को ‘बीबीबी-’ से बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर दिया था. यह बदलाव 18 वर्षों में पहली बार हुआ. इसी वर्ष मई में मॉर्निंग डीबीआरएस ने संरचनात्मक सुधारों का हवाला देते हुए भारत की रेटिंग बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर दी थी.

भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि क्षमता

फिच ने कहा कि भारत का आर्थिक परिदृश्य समकक्ष देशों की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है. भले ही, पिछले दो वर्षों में वृद्धि की गति थोड़ी धीमी हुई हो, लेकिन सार्वजनिक पूंजीगत व्यय, निजी निवेश और अनुकूल जनसांख्यिकी भारत की वृद्धि का आधार बने हुए हैं. एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि मध्यम अवधि में भारत की वृद्धि क्षमता लगभग 6.4% बनी रहेगी.

राजकोषीय मोर्चे पर चिंता

हालांकि, सकारात्मक संकेतों के बीच फिच ने भारत के राजकोषीय घाटे और कर्ज को लेकर चिंता भी जताई है. एजेंसी का मानना है कि ‘बीबीबी’ श्रेणी के अन्य देशों की तुलना में भारत का घाटा और ऋण स्तर अधिक है, जो वित्तीय अनुशासन की चुनौती को रेखांकित करता है.

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चुनौतियों के बीच मजबूत है भारतीय अर्थव्यवस्था

फिच का यह आकलन बताता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है. अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित होगा और जीएसटी सुधारों जैसे कदम वृद्धि को और गति देंगे. हालांकि, सरकार को राजकोषीय अनुशासन और कर्ज नियंत्रण पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भारत की साख आने वाले वर्षों में ‘बीबीबी’ से ऊपर जा सके.

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