बड़ी खबर : अकाउंट में जीरो बैलेंस रहने पर भी बैंक से निकाल सकते हैं अपनी सैलरी का तीन गुना पैसा, जानिए कैसे?

आपके बैंक अकाउंट में हर महीने सैलरी आती है, तो आप चेक कर सकते हैं कि आप ओवरड्राफ्ट करने के लायक हैं या नहीं.

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2021 4:43 PM

Salary Overdraft: नौकरी करने वाले लोगों को अगर तत्काल इमरजेंसी में पैसों की जरूरत है और फिलहाल कोई उपाय नहीं सूझ रहा है, तो वे अपने परिचितों से उधार लेने या बैंकों से पर्सनल लोन लेने से बच सकते हैं. अपने सैलरी अकाउंट में जीरो बैलेंस रहने पर भी वे ओवरड्राफ्ट करके अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. आइए, जानते हैं कि इसका कैसे फायदा उठाया जा सकता है?

क्या है सैलरी ओवरड्राफ्ट?

आपके बैंक अकाउंट में हर महीने सैलरी आती है, तो आप चेक कर सकते हैं कि आप ओवरड्राफ्ट करने के लायक हैं या नहीं. अगर आप बैंक नियमों के अनुसार ओवरड्राफ्ट लेने के लायक होंगे, तो आपको कोई मुश्किल नहीं होगी. सैलेरी ओवरड्राफ्ट एक तरह का क्रेडिट होता है, जिसकी सुविधा आपको अपने सैलेरी अकाउंट पर मिलता है. जब भी आपको पैसे की जरूरत हो, तो आप सैलेरी अकाउंट से जीरो बैलेंस पर भी पैसे निकाल सकते हैं.

किसे मिलेगी ओवरड्राफ्ट की सुविधा

सभी बैंक ग्राहकों को सैलरी ओवरड्राफ्ट करने की सुविधा नहीं मिलती. बैंक के ग्राहक और कंपनी की क्रेडिट प्रोफाइल को देखकर ही ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है. अगर आपको ओवरड्राफ्ट की सुविधा चाहिए, तो आपको कस्टमर केयर पर बात करनी होगी.

कैसे होता है फायदा

सैलरी ओवरड्राफ्ट की सुविधा तब काफी काम आती है, जब अचानक ही कोई खर्च आ जाए या कोई ईएमआई या एसआईपी जानी हो. अगर कोई चेक लगा है, लेकिन अकाउंट में पैसे कम हैं तो चेक बाउंस हो सकता है. ऐसी स्थिति में ओवरड्राफ्ट की सुविधा मदद करती है.

एक तरह का लोन होता है सैलेरी ओवरड्राफ्ट

ओवरड्राफ्ट एक तरह से इंस्टैंट लोन होता है. इस पर आपको ब्याज और प्रोसेसिंग फीस भी देने होते हैं. जैसे आईसीआईसीआई बैंक इंस्टा फ्लेक्सी कैश की सुविधा देता है और इसे ग्राहक ऑनलाइन एक्टिवेट करा सकते हैं. इस सुविधा के तह ग्राहक अपनी सैलेरी का तीन गुना ओवरड्राफ्ट ले सकते हैं. कस्टमर 48 घंटे में ओवरड्राफ्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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कितना लगता है ब्याज?

सैलरी ओवरड्राफ्ट कराने पर ग्राहक को हर महीने 1 से 3 फीसदी का ब्याज देना होता है. यानी सालाना 12 से 30 फीसदी का ब्याज देना होता है. क्रेडिट कार्ड की तरह इस पर भी ज्यादा ब्याज लगता है.

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