नौ जुलाई से सेब उत्पादक किसान करेंगे हड़ताल, आयात शुल्क में बढ़ोतरी का कर रहे विरोध

Farmers Strike: भारतीय सेब किसान महासंघ (एएफएफआई) ने 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लेने की घोषणा की है. किसानों की मांग है कि अमेरिकी सेब के आयात को रोकने के लिए आयात शुल्क 100% किया जाए. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के सेब उत्पादक इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं. बढ़ती लागत, एमएसपी की कमी और बीमा योजना के अभाव से किसान नाराज हैं. यह आंदोलन सेब उत्पादकों के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को केंद्र सरकार के समक्ष मजबूती से उठाता है.

By KumarVishwat Sen | June 23, 2025 11:56 PM

Farmers Strike: भारतीय सेब किसान महासंघ (एएफएफआई) ने सोमवार को घोषणा की है कि वह 9 जुलाई 2025 को आहूत राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में भाग लेगा. यह हड़ताल केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई है और सेब किसानों की मांगों को लेकर समर्थन में की जा रही है. एएफएफआई के संयोजक मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि सरकार की ओर से सेब पर आयात शुल्क 100% करने की मांग अब तक नहीं मानी गई है.

अमेरिकी सेब को लेकर चिंता

मोहम्मद यूसुफ ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी सेब के आयात को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क घटा सकते हैं, जिससे देश के सेब उत्पादक किसान संकट में आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि महासंघ ने इसके खिलाफ निर्णायक आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली है.

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य यूसुफ ने बताया कि देश के प्रमुख सेब उत्पादक राज्य (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित हैं. इन राज्यों में लाखों लोग सेब की खेती पर निर्भर हैं, लेकिन किसानों को अब तक एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने का वादा पूरा नहीं किया गया है.

बढ़ती लागत, घटता समर्थन

यूसुफ ने कहा कि उर्वरक, कीटनाशक और कवकनाशक जैसी आवश्यक कृषि सामग्रियों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन सरकार की ओर से कोई सब्सिडी नहीं दी जा रही है. इसके साथ ही, कश्मीर में सेब किसानों के लिए कोई बीमा योजना भी लागू नहीं है, जिससे उनकी जोखिम और बढ़ गए हैं.

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किसानों ने जताई गहरी नाराजगी

बैठक में शामिल तीनों राज्यों के सेब उत्पादकों ने केंद्र सरकार की नीतियों पर गहरी नाराजगी जताई. उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना न सिर्फ उनके संरक्षण के लिए जरूरी है, बल्कि यह वर्षों से लंबित मांग भी रही है, जो हर चुनाव में राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है.

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