दुनिया के बाजारों में भारत ने खोयी शीर्षता, मगर टॉप के छह बेहतर बाजारों में बरकरार

दावोस : दुनिया भर के कार्यकारी अधिकारी यह मानते हैं कि अगले 12 माह के दौरान यदि सकल वृद्धि की बात की जाये, तो भारत टॉप के छह देशों में शामिल है. हालांकि, इसके साथ ही उनका यह भी मानना है कि तीन साल पहले भारत में निवेश को लेकर जितना उत्साह था, उसमें अब […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 17, 2017 2:44 PM

दावोस : दुनिया भर के कार्यकारी अधिकारी यह मानते हैं कि अगले 12 माह के दौरान यदि सकल वृद्धि की बात की जाये, तो भारत टॉप के छह देशों में शामिल है. हालांकि, इसके साथ ही उनका यह भी मानना है कि तीन साल पहले भारत में निवेश को लेकर जितना उत्साह था, उसमें अब कमी आयी है. वैश्विक सलाहकार संस्था पीडब्ल्यूसी के ताजा सालाना वैश्विक सीईओ सर्वेक्षण के मुताबिक, वृद्धि के लिहाज से दुनिया के शीर्ष दो बाजारों में 43 फीसदी सीईओ ने पहले स्थान पर अमेरिका जबकि 33 फीसदी सीईओ ने चीन को दूसरा स्थान दिया है. इसके बाद जर्मनी तीसरे, ब्रिटेन चौथे नंबर पर, जापान पांचवें और भारत को छठा स्थान दिया गया है. पिछले साल इस तरह के सर्वेक्षण में सबसे बेहतर संभावनाओं वाले बाजारों में भारत शीर्ष पांच देशों में शामिल था.

पीडब्ल्यूसी सर्वेक्षण में कहा गया है कि कुछ समय से मुख्य कार्यकारी अधिकारियों में भारत के प्रति उत्साह में कमी आयी है. शायद इसकी वजह भारत में ढांचागत सुधारों की धीमी गति होना है. इसके अलावा, हाल ही में वहां मुद्रा में बदलाव को लेकर भी कुछ अल्पकालिक समस्याएं खड़ी होने से ऐसा हुआ है. हालांकि, सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि इन सब बातों के बावजूद भारत अपनी तीव्र वृद्धि और मौद्रिक तथा वित्तीय सुधारों के मामले में अलग से पहचान रखता है.

सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि बाजारों में यह बदलाव देशों की मुद्राओं में होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से भी हुआ है. इसकी वजह से कंपनी सीईओ विभिन्न देशों की तरफ मुडे हैं. इस साल के अध्ययन से पता चलता है कि अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन अब सीईओ के लिए बड़ी प्राथमिकताओं में आ गये हैं, जबकि ब्राजील, भारत, रूस और अर्जेंटीना की तरफ आकर्षण तीन साल पहले के मुकाबले कम हुआ है.

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