ई-कामर्स कंपनियों के लिये बने अलग नियामक प्राधिकरण : कैट

नयी दिल्ली : व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन ‘कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)’ ने ई-कामर्स कंपनियों पर सस्ते दाम में माल बेचकर बाजार बिगाडने का आरोप लगाते हुये सरकार से इनके लिये एक अलग नियामकीय प्राधिकरण बनाने की मांग की है. कैट ने इस संबंध में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 18, 2016 7:59 PM

नयी दिल्ली : व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन ‘कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)’ ने ई-कामर्स कंपनियों पर सस्ते दाम में माल बेचकर बाजार बिगाडने का आरोप लगाते हुये सरकार से इनके लिये एक अलग नियामकीय प्राधिकरण बनाने की मांग की है. कैट ने इस संबंध में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर कहा है कि ई-कामर्स यानी ऑनलाइन खुदरा बिक्री मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियां खुले आम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति का उल्लंघन कर रही है और खुदरा बाजार को बिगाड रही हैं.

कैट की यहां जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने कहा है, ‘इसमें कोई दो राय नहीं कि इंटरनेट और मोबाइल फोन के बढते उपयोग से ई-कामर्स भविष्य का बडा बाजार बनने जा रहा है लेकिन इस बाजार को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिये एक नियामकीय प्राधिकरण और समुचित नियम कानून का होना आवश्यक है ताकि ये कंपनियां अपनी मनमानी नहीं कर सकें.’

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि खुदरा व्यापारी किसी प्रतिस्पर्धा से डरते नहीं है लेकिन इसके लिये सभी को बराबरी की सुविधायें और समान कायदे कानून होने जरुरी हैं. ई-कामर्स कंपनियों को विदेशी धन प्राइवेट इक्विटी अथवा उद्यम पूंजी कोष के जरिये प्राप्त होता है जिस पर कोई ब्याज नहीं देना पडता है जबकि किसी अन्य स्रोत से धन लेने पर ब्याज देना पडता है.

खंडेलवाल ने कहा कि ई-कामर्स कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिये नियामकीय प्राधिकरण होना जरुरी है क्योंकि डीआईपीपी ने स्पष्ट किया है कि वह केवल नीति बनाने का काम करता है, एफडीआई उल्लंघन का मामला फेमा कानून के तहत आता है जो कि रिजर्व बैंक के अधीन आता है और प्रवर्तन निदेशालय उसकी जांच करता है.

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