बैंक दरों में बदलाव का लाभ जनता तक पहुंचाने में भारतीय बैंक सुस्त : आइएमएफ

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि ब्याज दरों में बदलाव के मुद्दे पर भारतीय बैंकों का रवैया उपभोक्ताओं के अनुकूल नहीं रहता. भारतीय बैंक कर्ज पर ब्याज दर बढाने के मामले में तो तुरंत कदम उठाते हैं लेकिन जब जमा पर ब्याज दर बढाने की बात […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 29, 2015 3:26 PM

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि ब्याज दरों में बदलाव के मुद्दे पर भारतीय बैंकों का रवैया उपभोक्ताओं के अनुकूल नहीं रहता. भारतीय बैंक कर्ज पर ब्याज दर बढाने के मामले में तो तुरंत कदम उठाते हैं लेकिन जब जमा पर ब्याज दर बढाने की बात आती है तो उनका रवैया काफी ढीला रहता है.

आइएमएफ के अनुसंधान पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में कटौती की घोषणा के बाद ब्याज दरों में बदलाव की रफ्तार धीमी रही है. आइएमएफ की अर्थशास्त्री सोनाली दास के एक अनुसंधान पत्र भारत की मौद्रिक नीति बैंक ब्याज दर का प्रेषण में कहा गया है कि नीतिगत दर में बदलावों का बैंक ब्याज दरों में अंतरण धीमा रहा है. इसके ताजा सबूत हाल में दिखाई दिये हैं. उन्होंने कहा मौद्रिक नीति समायोजन के विषम साक्ष्य है. नीतिगत दर में कमी के मुकाबले सख्ती के समय बैंक ब्याज दर में ज्यादा तेजी से समायोजित की जाती हैं. इसके अलावा हाल के वर्षों में नीतिगत दर में बदलाव कि साथ ही जमा और कर्ज की ब्याज दर में समायोजन की गति बढी है. इससे पहले भी आईएमएफ ने इस मामले को सामने रखा था कि भारतीय बैंक, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति में सख्ती पर ज्यादा तेजी से अमल करते हैं. इस मामले में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन समेत कई लोगों ने कहा था कि बैंक नीतिगत दर में कटौती का फायदा देने से बचते हैं.

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