भारतीय उद्योग परिसंघ भी सरकार के समर्थन में आया, एफआइआइ से 40 हजार करोड कर मांग को सही बताया

नयी दिल्ली : भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई ने कहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों, एफआईआई से 40,000 करोड रुपये के बकाये कर की मांग करने में कुछ गलत नहीं है. संगठन ने कहा कि भारत कर चोरी के लिये पनाहगाह नहीं है. भारतीय उद्योग परिसंघ के नये अध्यक्ष सुमित मजूमदार ने भाषा से कहा, ‘‘जब […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 19, 2015 1:28 PM
नयी दिल्ली : भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई ने कहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों, एफआईआई से 40,000 करोड रुपये के बकाये कर की मांग करने में कुछ गलत नहीं है. संगठन ने कहा कि भारत कर चोरी के लिये पनाहगाह नहीं है.
भारतीय उद्योग परिसंघ के नये अध्यक्ष सुमित मजूमदार ने भाषा से कहा, ‘‘जब सरकार ने कहा कि पिछली तिथि से कोई कर नहीं लगेगा, तो वह अपने वचन पर अडिग है लेकिन उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा कि जो बकाया है उसे नहीं लिया जायेगा.’’ मजूमदार ने कहा, ‘‘भारत कभी भी कर चोरी के लिये पनाहगाह नहीं रहा है और न ही रहेगा. एफआइआइ और एफपीआई भारत में कारोबार करना चाहते हैं, आपको कर दायित्वों को पूरा करना चाहिये. इसमें कुछ भी गलत नहीं.’’
आयकर विभाग ने विदेशी संस्थागत निवेशकों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों, एफपीआई पर 40,000 करोडरुपयेके बकाये कर का नोटिस दिया है. यह कर न्यूनतम वैकल्पिक कर, मैट की कर मांग के तहत दिया गया है. एफआईआई और एफपीआई की इस संबंध में ‘अथॉरिटी आफ एडवांस रुलिंग, एएआर’ में की गई अपील पर फैसला उनके खिलाफ गया है.
वित्त मंत्री अरण जेटली भी कह चुके हैं कि भारत कर चोरी की पनाहगाह नहीं है. विदेशी निवेशकों से वैध कर मांग की वसूली की जायेगी.
जेटली ने वाशिंगटन में भी कहा है, ‘‘किसी भी न्यायालय के फैसले के बाद, जिस पर आगे अपील हो सकती है, जो फैसला चलायमान है, कोई भी सरकार ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.’’

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