रुपये में गिरावट के लिए घरेलू कारण भी जिम्मेदार : चिदंबरम

नई दिल्ली : रुपये की विनिमय दर में अभूतपूर्व गिरावट के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि वर्ष 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभावों से निपटने के लिए देश केअंदरउठाए गए कदम भी रुपये के मूल्य ह्रास के लिए जिम्मेदार हैं.चिदंबरम ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि रुपया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 27, 2013 12:07 PM

नई दिल्ली : रुपये की विनिमय दर में अभूतपूर्व गिरावट के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि वर्ष 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभावों से निपटने के लिए देश केअंदरउठाए गए कदम भी रुपये के मूल्य ह्रास के लिए जिम्मेदार हैं.

चिदंबरम ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि रुपया अपनी वास्तविक दर से नीचे चल गया है. पर उन्होंने विश्वास जताया कि रुपया अपने उचित स्तर को पुन: प्राप्त कर लेगा.

उन्होंने सदस्यों के पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा, ‘‘ हम मानते हैं कि केवल बाहरी कारण ही नहीं बल्कि घरेलू कारण भी हैं. इनमें से एक कारण यह है कि हमने राजकोषीय घाटे को सीमा तोड़ने दिया और चालू खाते का घाटा भी बढने दिया गया. ऐसा 2009 और 2011 के दौरान किए गए कुछ फैसलों के कारण हुआ. ’’

चिदंबरम के अनुसार, यह वह अवधि थी जब सरकार ने पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के लड़खड़ाने से उत्पन्न वैश्विक परिस्थितियों के असर से घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कुछ राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की थी.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इससे अर्थव्यवस्था स्थिर हुई और वृद्धि दर में सुधार हुआ. हम वर्ष 2008 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने के बहुत गंभीर प्रतिकूल प्रभावों से बच गए. लेकिन इसका नतीजा हमारे सामने राजकोषीय घाटे और चालू वित्त घाटे के रुप में आया.’’ उन्होंने कंवरदीप सिंह के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि सरकार ने राजकोषीय घाटे पर अंकुश के लिए कदम उठाए हैं और देश राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की ओर बढ रहा है.

वित्त मंत्री ने कहा कि अगस्त 2012 से मई 2013 के बीच विनिमय दर स्थिर थी लेकिन 22 मई के बाद से रुपया दबाव में है. चिदंबरम ने कहा कि सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा दबाव में है. ‘‘हम मानते हैं कि रुपये की विनिमय दर अपने वास्तविक मूल्य से नीचे है.’’ बहरहाल उन्होंने इस बारे में कुछ कहने से इन्कार किया कि रपया आने वाले समय में किस तरह उपर होगा.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमें धैर्य से और मजबूती से काम करना होगा. मुझे पूरा विश्वास है कि रुपया अपना उचित स्तर हासिल कर लेगा.’’ उन्होंने उच्च मुद्रास्फीती और चालू वित्त घाटे को निवेशकों की चिंता का कारण बताते हुए कहा कि सरकार को राजकोषीय घाटे को कम करने में पूरा भरोसा है पर हमें चालू खाते के घाटे (कैड) और मुद्रास्फीति पर अपनी नीतियों को और विश्वसनीय तरीके से प्रस्तुत करना होगा.

चिदंबरम ने बताया कि अवसंरचना और निर्माण.. दोनों ही क्षेत्रों में रुकी पड़ी हुई परियोजनाओं को शुरु करने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने कहा ‘‘एक बार निवेश चक्र शुरु हो जाएगा तो निर्माण को गति मिल जाएगी और मुझे विश्वास है कि हमारी अर्थव्यवस्था पर और खास तौर पर चालू वित्त घाटे के संदर्भ में इसके सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे.’’

अर्थव्यवस्था की राह की चुनौतियों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि मुद्रास्फीति, शुरुआती तिमाही में निर्यात की धीमी गति और सोने का आयात बड़ी चुनौती रहे हैं. उन्होंने कहा ‘‘किसी भी विकासशील देश में मुद्रास्फीति रहेगी ही, लेकिन वृद्धि के लक्ष्य पर निगाह हमेशा बनी रहनी चाहिए.’’

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