राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के पार निकला, 5.68 लाख करोड रुपये पर

नयी दिल्ली : राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी की अवधि में 5.68 लाख करोड रुपये पर पहुंच गया है. यह बजट अनुमान का 107 प्रतिशत है. ऐसे में सरकार को 2014-15 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 2, 2015 8:51 PM

नयी दिल्ली : राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी की अवधि में 5.68 लाख करोड रुपये पर पहुंच गया है. यह बजट अनुमान का 107 प्रतिशत है. ऐसे में सरकार को 2014-15 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और कडे उपाय करने होंगे.

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले दस माह (अप्रैल-जनवरी) में राजकोषीय घाटा 5.68 लाख करोड रुपये रहा है. यह जनवरी अंत तक के 5.31 लाख करोड रुपये के बजट अनुमान का 107 प्रतिशत बैठता है. राजकोषीय घाटा बढने की प्रमुख वजह राजस्व प्राप्तियों में कमी को माना जा रहा है.

सरकार के खर्च व राजस्व का अंतर राजकोषीय घाटा कहलाता है. यह अप्रैल-जनवरी, 2013-14 में 98.2 प्रतिशत रहा था. गत शनिवार को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार 2014-15 में राजकोषीय घाटे के 4.1 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल कर लेगी.

चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सात साल में सबसे कम है. हालांकि, सरकार ने 2015-16 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बढाकर 3.9 प्रतिशत कर दिया है. पहले इसे 3.6 प्रतिशत रखा गया था. सरकार ने जनवरी में कोल इंडिया में बिक्री पेशकश के जरिये अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से 22,000 करोड रुपये जुटाए थे. इस महीने और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश होने की संभावना है.

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