संसद के मौजूदा सत्र में पेश हो सकता है जीएसटी विधयक: जेटली

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज उम्मीद जतायी कि बहु-प्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक, जिसके जरिए एक समान अप्रत्यक्ष कर ढांचे की व्यवस्था की जानी है, को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में सरकार की तरफ से पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम इस सत्र में जीएसटी पेश करने की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 1, 2014 3:03 PM

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज उम्मीद जतायी कि बहु-प्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक, जिसके जरिए एक समान अप्रत्यक्ष कर ढांचे की व्यवस्था की जानी है, को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में सरकार की तरफ से पेश किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि हम इस सत्र में जीएसटी पेश करने की कोशिश करेंगे. राज्य के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की 12 दिसंबर को होने वाली बैठक के बाद मंत्रिमंडल जीएसटी विधेयक पर विचार करेगा. सरकार ने एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव किया है और नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली से जुड़े मामलों पर विचार करने के लिए नए वित्त आयोग का गठन समय से पहले किया जाएगा.
जीएसटी में केंद्रीय स्तर पर वसूले जाने वाले उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क और राज्य के मूल्यवर्धित कर और कुछ स्थानीय कर समाहित होंगे. जीएसटी लागू करने के संबंध में केंद्र और राज्यों के बीच कुछ मतभेद हैं, जिनमें राजस्व निरपेक्ष दर और पेट्रोलियम, शराब को इसके दायरे से बाहर रखने से जुड़े मद्दे शामिल हैं. जीएसटी की उप-समिति ने सुझाव दिया है कि जीएसटी की राजस्व निरपेक्ष दर करीब 27 प्रतिशत तय की गई है लेकिन इस पर अभी राज्यों को फैसला करना है.
इस उप-समिति ने राज्यों को सुझाव दिया है कि राज्य जीएसटी 13.91 प्रतिशत और केंद्रीय जीएसटी 12.77 प्रतिशत हो. इसके अलावा राज्यों की मांग है कि पेट्रोलियम, शराब और तंबाकू को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए.
जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसकी समय सीमा खत्म हो गयी है. इसलिए राजग सरकार को इस विधेयक को नए सिरे से पेश करना होगा.
जीएसटी से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यों के बीच सहमति नहीं बन जाने के कारण इस नयी कर प्रणाली को पेश किए जाने की कई समय सीमा पार हो चुकी है.

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