कोयला सेक्टर में विदेशी कंपनियों के लिए दरवाजा खोलेंगे पीएम मोदी

नयी दिल्ली: भारत विदेशी कंपनियों को कोयला खनन के क्षेत्र में प्रवेश देने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया की पांच प्रमुख कोयला खनन कंपनी में शुमार रियो टिंटो के लिए भारत का दरवाजा खोल सकते हैं. हालांकि इस कंपनी ने अभी इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 22, 2014 4:30 PM
नयी दिल्ली: भारत विदेशी कंपनियों को कोयला खनन के क्षेत्र में प्रवेश देने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया की पांच प्रमुख कोयला खनन कंपनी में शुमार रियो टिंटो के लिए भारत का दरवाजा खोल सकते हैं. हालांकि इस कंपनी ने अभी इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय बिजनेस न्यूज एजेंसी रायटर ने अपने वेब संस्करण की एक खबर में उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से किया है.
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम देश के कोयला सेक्टर में कायम अराजकता को खत्म करेगा और देश को गाहे-बगाहे ब्लैक आउट की समस्या का सामना करने की स्थिति से मुक्त करायेगा. भारत द्वारा आर्थिक उदारीकरण को अपनाने के ढाई दशक बीत जाने के बाद भी देश बिजली संकट ङोल रहा है. बहुत सारे उद्योगों व व्यापारियों की अब भी भारत में महंगे जेनेरेटर पर निर्भरता बनी हुई है. इससे भारत की आर्थिक विकास दर भी प्रभावित होती है. फिलहाल भारत में स्टील, पॉवर व सीमेंट सेक्टर की कंपनियां कोयला खनन कर सकती है और बाकी कोयला खनन पर सरकार की कंपनियों का कब्जा है.
पर, भारत सरकार इस पुरानी राह को छोड़ सबके लिए इस क्षेत्र में मार्ग खोलना चाहती है. सरकार 74 कोल फिल्ड की नीलामी करने की तैयारी में है. बुधवार को कोयला मंत्रलय ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की गयी 27 पेज के एक्ज्क्यूटिव ऑर्डर में कहा है कि भारत में सक्रिय किसी भी कंपनी को अपने उपयोग व बिक्री के लिए कोयला खनन की अनुमति होगी और इस मामले में 42 साल पुराना प्रतिबंध खत्म हो जायेगा.
सरकार की नीति में इस बदलाव के बाद यह माना जा रहा है कि कई और वैश्विक कोल कंपनियां भारत में प्रवेश कर सकती हैं. इसमें बीएचपी बिलिशन व अमेरिकी फर्म पीबॉडी आदि शामिल हो सकती हैं. कोयला मंत्रलय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि आर्थिक दृष्टिकोण से मजबूत कोल कंपनियों के लिए भारत का दरवाजा खोलने का सरकार का उद्देश्य कोयला व पॉवर सेक्टर में सुधार करते हुए ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना है. फिलहाल, भारत अभी ऊर्जा सेक्टर का तीन/पांच हिस्सा की ही आपूर्ति कर पाता है. बाकी इसे दूसरे स्नेतों पर निर्भर रहना पड़ता है.
उद्योग जगत भी मोदी सरकार के इस संभावित फैसले से उत्साहित है. भारत दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा कोयला रिजर्व वाला देश है. आर्थिक सुधारों को अपनाने के बावजूद भारत अबतक ऊर्जा सेक्टर में अहम सुधार नहीं कर सका है, जिससे अर्थव्यवस्था की बढ़ती जरूरतों की मांग को पूरा करने में भारत विफल रहा. उल्लेखनीय है कि पिछले ही महीने सर्वोच्च न्यायालय ने गलत तरीके से आवंटित 200 कोल ब्लॉकों को रद्द कर दिया था.

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