पेट्रोलियम मंत्रालय ने की नेचुरल गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत

नयी दिल्ली : आम बजट से पहले पेट्रोलियम मंत्रालय ने प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की वकालत की है. मंत्रालय का मानना है कि जीएसटी के दायरे में लाये जाने से इस पर कई तरह के कर समाप्त होंगे और कारोबारी वातावरण में सुधार होगा. इससे पर्यावरणनुकूल इस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 29, 2020 9:09 PM

नयी दिल्ली : आम बजट से पहले पेट्रोलियम मंत्रालय ने प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की वकालत की है. मंत्रालय का मानना है कि जीएसटी के दायरे में लाये जाने से इस पर कई तरह के कर समाप्त होंगे और कारोबारी वातावरण में सुधार होगा. इससे पर्यावरणनुकूल इस ईंधन को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा.

देश में जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया. इसमें 17 केंद्रीय और राज्य शुल्कों को समाहित किया गया है. उस समय पांच जिंसों (कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ) को इसके दायरे से बाहर रखा गया. मंत्रालय ने वाहनों, रसोईघरों और उद्योगों में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को प्रोत्साहन के लिए एक पुस्तिका बनायी है.

इस पुस्तिका में कहा गया है कि वर्तमान में प्राकृतिक गैस पर विभिन्न राज्यों में तीन से 20 फीसदी के दायरे में मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाया जाता है. मंत्रालय ने कहा कि यदि प्राकृतिक गैस को जीएसटी के तहत लाया जाता है, तो इसके बाद इस पर देश में किसी भी स्थान पर समान दर से कर लगेगा. जीएसटी के तहत आने के बाद इस पर अलग अलग लगने वाला उत्पाद शुल्क और वैट समाप्त हो जायेगा.

पुस्तिका में कहा गया है कि इससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, जिससे राज्य घरेलू उत्पाद बढ़ेगा और सामाजिक आर्थिक विकास को गति मिलेगी. आखिरकार, इससे रोजगार के अवसरों का सृजन होगा. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी लगातार गैस को जीएसटी के दायरे में लाने पर जोर देते रहे हैं.

सोमवार को उन्होंने कहा था, ‘हमारा मानना है कि प्राकृतिक गैस के साथ ही विमानन ईंधन एटीएफ को जीएसटी व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है.’ मंत्रालय की पुस्तिका में कहा गया है, ‘गैस जीएसटी के दायरे में नहीं होने की वजह से इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट भी उपलबध नहीं होता. इसके साथ ही, विपणन उद्योग को प्राकृतिक गैस की खरीदारी पर दिया जाना वाले वैट पर क्रेडिट का दावा करने की सुविधा नहीं मिलती है, जबकि यह सुविधा वैकल्पिक ईंधनों और कच्चे माल पर उपलब्ध है.’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2020-21 को आम बजट पेश करेंगी.

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