बॉन्ड में निवेश वाली बचत योजनाओं पर बजट में टैक्स छूट चाहता है म्यूचुअल फंड उद्योग

नयी दिल्ली : म्यूचुअल फंड कंपनियों संगठन एएमएफआई ने बॉन्ड में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में कम खर्चीली बॉन्ड बचत-योजनाओं पर कर छूट की घोषणा करने का सुझाव दिया है. संगठन का कहना है कि इससे बॉन्ड बाजार का दायरा बढ़ेगा. साथ ही, एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) ने दीर्घकालीन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 16, 2020 6:05 PM

नयी दिल्ली : म्यूचुअल फंड कंपनियों संगठन एएमएफआई ने बॉन्ड में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में कम खर्चीली बॉन्ड बचत-योजनाओं पर कर छूट की घोषणा करने का सुझाव दिया है. संगठन का कहना है कि इससे बॉन्ड बाजार का दायरा बढ़ेगा. साथ ही, एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) ने दीर्घकालीन पूंजी लाभ के उद्देश्य से सोना और जिंस ईटीएफ में बने रहने की अवधि मौजूदा तीन साल से कम कर एक साल करने का अनुरोध किया है.

वित्त मंत्रालय को बजट के लिए दिये प्रस्तावों में उद्योग संगठन ने मांग की है कि सरकार विशेषीकृत दीर्घकालीन संपत्ति के रूप में म्यूचुअल फंड को मान्यता के साथ दीर्घकालीन पूंजी लाभ के लिए योग्य करार दें. साथ ही, जीवन बीमा कंपनियों की यूलिप तथा इक्विटी म्यूचुअल फंड को समान स्तर पर लाया जाए.

एएमएफआई ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), एनपीएस और बीमा कंपनियों को लाभांश वितरण कर से छूट देने का भी आग्रह किया. साथ ही, श्रेणी तीन के अंतर्गत आने वाले वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) जो सूचीबद्ध शेयरों में 65 फीसदी निवेश करते हैं, उन्हें ‘पास थ्रो’ का दर्जा दिया जाना चाहिए. पास थ्रो दर्जा से आशय यह है कि निवेशकों के पास निवेश से जो आय सृजित हो, उसी पर कर लगे न कि फंड को उस पर कर देना पड़े.

संगठन के मुख्य कार्यकारी एनएस वेंकटेश ने कहा कि एएमएफआई का सुझाव पिछले कुछ साल से बजट प्रस्ताव में है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार हमारी लंबित मांगों का समाधान होगा. इससे देश में म्यूचुअल फंड को न केवल अगले स्तर तक ले जाने में मदद मिलेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. खासकर बांड बाजार का दायरा बढ़ने से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.

बुनियादी ढांचा के लिए दीर्घकालीन कोष की उपलब्धता होगी और शुद्ध रूप से सोने में निवेश के बजाए स्वर्ण ईटीएफ में निवेश होने से राजकोषीय घाटा भी कम होगा. उन्होंने कहा कि कुछ प्रस्तावों का मकसद म्यूचुअल फंड को निवेश के दूसरे विकल्पों के समरूप बनाना और खुदरा निवेशकों के लिए इस क्षेत्र को और अनुकूल बनाना है.

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