आयातित प्याज को भाव ही नहीं दे रहे राज्य, केंद्र को सता रहा स्टॉक सड़ने का डर

नयी दिल्ली : प्याज कीमतों में उछाल पर अंकुश लगाने के लिए इस सब्जी का आयात करने को बाध्य होने के बाद अब केंद्र सरकार को यह डर सता है कि प्याज कहीं गोदामों में पड़ा-पड़ा सड़ न जाए. इसका कारण यह है कि केंद्र द्वारा परिवहन लागत की पेशकश के बावजूद राज्यों ने इन्हें […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 14, 2020 9:32 PM

नयी दिल्ली : प्याज कीमतों में उछाल पर अंकुश लगाने के लिए इस सब्जी का आयात करने को बाध्य होने के बाद अब केंद्र सरकार को यह डर सता है कि प्याज कहीं गोदामों में पड़ा-पड़ा सड़ न जाए. इसका कारण यह है कि केंद्र द्वारा परिवहन लागत की पेशकश के बावजूद राज्यों ने इन्हें खरीदने में बहुत कम दिलचस्पी दिखायी है.

उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि केंद्र राज्यों को 55 रुपये प्रति किलोग्राम की बंदरगाह पर बैठने वाली दर से प्याज की पेशकश कर रहा है और वह इन प्याजों के परिवहन की लागत भी वहन करने को तैयार है. केंद्र ही अकेले प्याज का आयात कर सकता है और उसके बाद यह राज्यों का जिम्मा बनता है कि वे उपभोक्ताओं को इसकी खुदरा बिक्री कर पहुंचाएं.

खुदरा प्याज की कीमतें सितंबर के अंत से बढ़ने लगीं और दिसंबर में 170 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर जा पहुंची. इसके बाद केंद्र सरकार को तुर्की और मिस्र जैसे देशों से प्याज आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा. बाद के हफ्तों में बाजार में नयी खरीफ की फसल के आगमन के साथ दरें नरम होने लगीं.

पासवान ने कहा कि अभी तक हमने 36,000 टन प्याज का आयात किया है. इसमें से 18,500 टन शिपमेंट भारत में पहुंच गया है, लेकिन राज्यों ने केवल 2,000 टन लिया है. वे भी बहुत मान-मनौव्वल के बाद. हम इन्हें खपाने को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह खराब होने वाली वस्तु है. उन्होंने कहा कि कल कोई अदालत न चला जाए और यह कहे कि आयातित प्याज सड़ रहे थे.

पासवान ने कहा कि केंद्र आयातित प्याज को 55 रुपये प्रति किलो की औसत दर पर दे रहा है और पूरा परिवहन खर्च भी उठा रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकारें प्याज खरीदने के लिए आगे नहीं आ रही हैं. यह पूछे जाने पर कि आयात के बावजूद कीमतें अभी भी अधिक क्यों हैं, पासवान ने कहा कि आयात प्याज का घरेलू आपूर्ति में सुधार लाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है. यदि राज्य सरकारें आयातित प्याज लेने को तैयार नहीं हैं, तो हम क्या कर सकते हैं?

उन्होंने कहा कि अब तक आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार ने आयातित प्याज लिए हैं. कई राज्यों ने अपनी मांग वापस ले ली है. सूत्रों ने कहा कि आयातित प्याज का स्वाद घरेलू प्याज से अलग है और घरेलू प्याज के समान दर पर उपलब्ध होने के कारण उपभोक्ता आयातित प्याज नहीं खरीद रहे हैं.

सरकार अपनी एजेंसी एमएमटीसी के माध्यम से प्याज आयात कर रही है. तुर्की, अफगानिस्तान और मिस्र से प्याज का आयात किया जा रहा है. खरीफ उत्पादन में 25 फीसदी की गिरावट के कारण प्याज की कीमतों में वृद्धि हुई है. पासवान ने यह भी कहा कि मंत्रालय अन्य वस्तुओं, विशेष रूप से खाद्य तेलों और दालों की कीमतों पर कड़ी नजर रख रहा है. सरकार उचित समय पर कार्रवाई करेगी.

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