जानें म्यूचुअल फंड के प्रचलित मिथक व सच्चाई के बारे में

ललित त्रिपाठी निदेशक, वेदांत एसेट्स जब भी निवेश की बात होती है, तो शेयर बाजार के खतरों को देखते हुए उसके अलावे बेहतर निवेश विकल्प की तलाश होती है. ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश की बात सामने आती है तब इससे जुड़े कुछ मिथक भी दिमाग में घूमने लगते हैं जो निवेश प्रक्रिया में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2019 8:09 AM
ललित त्रिपाठी
निदेशक, वेदांत एसेट्स
जब भी निवेश की बात होती है, तो शेयर बाजार के खतरों को देखते हुए उसके अलावे बेहतर निवेश विकल्प की तलाश होती है. ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश की बात सामने आती है तब इससे जुड़े कुछ मिथक भी दिमाग में घूमने लगते हैं जो निवेश प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करते हैं. म्यूचुअल फंड से जुड़े इन कुछ प्रचलित मिथकों और उससे जुड़ी सही बात को इस बार के कल्पवृक्ष में पेश किया जा रहा है, ताकि लोगों के मन में बैठे गलत सोच को दूर किया जा सके.
मिथक 1
म्यूचुअल फंड में हमेशा बड़ा निवेश करना होता है
– सच्चाई
म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए बड़ी राशि की जरूरत नहीं होती. इसमें न्यूनतम 500 रुपये से भी निवेश शुरू किया जा सकता है. सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआइपी) के माध्यम से हर महीने एक छोटी रकम से निवेश किया जा सकता है. वास्तव में जितना जल्द आप निवेश शुरू करेंगे, लंबी अवधि में उतना ही बेहतर रिटर्न मिलता है क्योंकि उसमें कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है.
मिथक 2
डाइवर्सिफिकेशन के लाभ के लिए बहुत सारे म्यूचुअल फंड में निवेश
– सच्चाई
म्यूचुअल फंड में विभिन्न तरह के एसेट क्लास में निवेश करता है जैसे इक्विटी, डेब्ट और हाइब्रिड फंड्स. निवेशक अपनी जोखिम क्षमता और निवेश लक्ष्य के अनुरूप एसेट क्लास चुन सकता है और हर एसेट क्लास जैसे इक्विटी के अंदर भी कैटेगराइजेशन बना हुआ है जैसे कि इक्विटी में इंडेक्स फंड, लार्ज कैप फंड, मिड कैप, स्मॉल कैप आदि.
डेब्ड फंड में मनी मार्केट, शॉर्ट टर्म डेब्ट और लॉन्ग टर्म डेब्ट. हर निवेशक अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार इनमें से किसी भी एएमसी के फंड में निवेश कर सकता है. और अपने निवेश को डाइवर्सिफाइ कर सकता है. यह जरूरी नहीं कि ज्यादा फंड में निवेश करने से ज्यादा रिटर्न आयेंगे.
मिथक 3
पुराना रिटर्न देख कर म्यूचुअल फंड में निवेश करना ही बेहतर रिटर्न की गारंटी होती है
– सच्चाई
पिछला रिटर्न देख कर म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं करना चाहिए. पूर्व में कम समय में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले फंड भविष्य में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे, यह सुनिश्चित नहीं होता. फंड मैनेजर के परफॉरमेंस को ट्रैक करें वह ज्यादा बेहतर होता है. और पिछले एक या दो साल के रिटर्न को देखने के बजाय पिछले दस साल के रिटर्न को देखते हुए फंड में निवेश करना लाभकारी होता है. म्यूचुअल फंड में किये गये निवेश को समय-समय पर रिव्यू करना चाहिए कि वह आपकी जरूरतों के अनुसार प्रदर्शन कर रहा है या नहीं.
मिथक 4
म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए डीमैट एकाउंट की जरूरत होती है.
– सच्चाई
बिना डीमैट एकाउंट के भी म्यूचुअल फंड में निवेश किया जा सकता है. म्यूचुअल फंड के लिए डीमैट एकाउंट होना जरूरी नहीं है. वैसे आप डीमैट एकाउंट या बिना डीमैट एकाउंट के भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए डीमैट एकाउंट अनिवार्य नहीं है. निवेश करते समय केवल आपको एक आवेदन फार्म भरना पड़ता है और अपना केवाइसी पूरा करना होता है. अच्छा तरीका है कि आप किसी अच्छे वित्तीय सलाहकार की मदद लें जो आपको फंड के विषय में भी बतायेगा, आपकी शंकाओं को दूर करते हुए निवेश की प्रक्रिया को पूरा करने में मदद करेगा.
मिथक 5
नये निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड सही विकल्प नहीं होता
– सच्चाई
यह बहुत बड़ा भ्रम है. म्यूचुअल फंड नये और छोटे निवेशकों के लिए एक बेहतर निवेश विकल्प होता है. इसमें फंड मैनेज करने के लिए प्रोफेशनल फंड मैनेजर होते है. हाल के वर्षों में सेबी द्वारा उठाये गये कदमों से म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों के लिए पारदर्शिता काफी बढ़ गयी है. इसमें ठगे जाने की संभावना बिलकुल नहीं होती. अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप इंडेक्स फंड या लार्ज कैप फंड में ही निवेश करें या एसआइपी के माध्यम से भी निवेश कर सकते हैं.
मिथक 6
म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर टैक्स में बचत नहीं की जा सकती.
– सच्चाई
म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आयकर विभाग से 80सी के तहत कर छूट प्राप्त होता है. उसके लिए म्यूचुअल फंड के इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (इएलएसएस) में ही निवेश करना होता है. इसका निवेश इक्विटी में होता है और इक्विटी का फायदा इसमें मिलता है. इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम भी एक तरह का म्यूचुअल फंड ही है. इसमें तीन साल का लॉक इन पीरियड होता है. इसका फायदा है कि यह एक टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट है जो टैक्स बचाने में आपकी मदद करता है.
मिथक 7
सेक्टोरल फंड या ज्यादा जोखिम वाले फंड ही बेहतर रिटर्न देते हैं.
– सच्चाई
ऐसा बिलकुल नहीं है. फंड्स का प्रदर्शन बहुत सारे कारकों पर निर्भर होता है. और यह एक इकोनॉमिक साइकिल पर काम करता है. ऐसा जरूरी नहीं कि हर तरह के फंड एक साथ अच्छा रिटर्न दे. लंबी अवधि और अधिक जोखिम लेनेवाले निवेशकों के लिए स्मॉल कैप सेक्टर फंड्स ठीक हो सकता है, पर नये निवेशक, छोटे निवेशक और कम जोखिम लेने वाले निवेशकों को हमेशा डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में ही निवेश करना चाहिए. सेक्टर फंड में तभी निवेश करें जब आपको उस सेक्टर के विषय में पूरी जानकारी हो.
म्यूचुअल फंडों में अपने निवेश पर रखें नजर
म्यूचुअल फंड में अपने निवेश को समय समय पर रिव्यू करते रहें. और जिस लक्ष्य और उद्देश्य के लिए निवेश किया गया था, वह पूरा हो रहा है , उसे देखें. कई बार देखा जाता है कि जो निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं और अगर कम समय में निगेटिव रिटर्न आ गया तो वे अपना एसआइपी रोक देते हैं और अपना निवेश की अपनी प्रक्रिया को बंद कर देते हैं. यह उनके लिए बिलकुल सही नहीं है.
अगर आपने सही फंड चुना है और लंबी अवधि यानी दस से पंद्रह साल के लिए निवेश किया है तो यह मान कर चले कि आपका फंड उतार चढ़ाव से जायेगा और इसके लिए आपको मानसिक रूप से तैयार भी रहना चाहिए. यह आप और आपके निवेश के लिए बेहतर होता है. इसके लिए आप किसी अच्छे वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं.

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