BSNL को हर हाल में नकदी संकट से उबारेगी सरकार, वित्तीय पैकेज देने के लिए बनायी जा रही योजना

कोच्चि : केंद्र सरकार नकदी संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को वित्तीय पैकेज देने की योजना बना रही है. केंद्रीय भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोमवार को कहा कि बीएसएनएल को आगे बढ़ाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है. इसे भी देखें […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 9, 2019 6:59 PM

कोच्चि : केंद्र सरकार नकदी संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को वित्तीय पैकेज देने की योजना बना रही है. केंद्रीय भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोमवार को कहा कि बीएसएनएल को आगे बढ़ाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है.

इसे भी देखें : बीएसएनएल की हालत खराब

मेघवाल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बीएसएनएल को सरकार से कुछ पैकेज की जरूरत है. हम चाहते हैं कि बीएसएनएल को आगे बढ़ाया जाये. यह हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है. ऐसे में हम पैकेज पर विचार कर रहे हैं. भविष्य में हम बीएसएनएल को कुछ पैकेज दे सकते हैं.

उन्होंने बताया कि बीएसएनएल की से दिये गये पैकेज के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है. मेघवाल ने कहा कि बीएसएनएल की समस्याएं 1995 में शुरू हुईं. अब सरकार इस दूरसंचार कंपनी को आगे बढ़ाना चाहती है. उन्होंने कहा कि आज बीएसएनएल को बंद किये जाने का कोई मुद्दा नहीं है. यह 1995 में था.

गौरतलब है कि भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल के दौरान 15 सितंबर, 2000 को की गयी थी. एक अक्टूबर, 2000 से दूरसंचार क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की इस नवस्थापित कंपनी ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था. उस समय यह देश में फिक्स्ड लैंडलाइन और ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करने वाली सबसे बड़ी कंपनी थी और इसके पास करीब 60 फीसदी बाजार हिस्सेदारी थी. इसके अलावा, मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों में यह चौथे स्थान पर थी.

दरअसल, दूरसंचार क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल भारत की सबसे पुरानी संचार सेवा प्रदाता कंपनी है. भारत में अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही इसके इतिहास का पता लगाया जा सकता है. अंग्रेजी शासनकाल के ही दौरान भारत में पहली टेलीग्राफ लाइन पुराने कलकत्ता (अब कोलकाता) और डायमंड हार्बर के बीच स्थापित की गयी थी. वर्ष 1851 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने टेलीग्राफ का उपयोग करना शुरू कर दिया और वर्ष 1854 तक पूरे देश में टेलीग्राफ की लाइनें बिछा दी गयीं.

वर्ष 1854 में पहली दफा टेलीग्राफ सेवा जनता के उपयोग के लिए खोला गया और मुंबई से पुणे पहला टेलीग्राम भेजा गया. वर्ष 1885 में ब्रिटिश इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल की ओर से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम को पारित किया गया. आजादी के करीब 33 साल बाद वर्ष 1980 के दशक में भारत सरकार द्वारा टेलीग्राफ और डाक विभाग का विभाजन कर दिया गया और वर्ष 1990 के दशक में सरकार की ओर से दूरसंचार विभाग (डीटीओ) की स्थापना की गयी.

21वीं सदी के आरंभिक वर्ष 2000 के सितंबर महीने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में दूरसंचार विभाग के तहत काम करने वाली टेलीग्राफ विभाग के स्थान पर भारत संचार निगम लिमिटेड की स्थापना की गयी. बीएसएनएल ने तब तक भारत में टेलीग्राफ सेवाओं को जारी रखा जब तक कि उसने 15 जुलाई 2013 को टेलीग्राफ सेवाओं को पूरी तरह से बंद नहीं कर दिया.

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