ICICI Bank ने लोन पर घटायी ब्याज दर 0.10 फीसदी, ईएमआई होंगे सस्ते

मुंबई : देश में दूसरे नंबर के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी सभी परिपक्वता के ऋण की ब्याज दरों में 0.10 फीसदी की कटौती की है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. बैंक ने सीमांत लागत पर आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) वाले सभी परिपक्वता अवधि के कर्जों पर ब्याज दर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 4, 2019 8:43 PM

मुंबई : देश में दूसरे नंबर के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी सभी परिपक्वता के ऋण की ब्याज दरों में 0.10 फीसदी की कटौती की है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. बैंक ने सीमांत लागत पर आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) वाले सभी परिपक्वता अवधि के कर्जों पर ब्याज दर में यह कटौती है. रिजर्व बैंक ब्याज दर में कटौती के लिए बैंकों पर लगातार दबाव डालता रहा है.

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आईसीआईसीआई बैंक की इस कटौती के बाद अप्रैल के बाद से उसकी कर्ज की ब्याज दर में कुल 0.20 फीसदी की कटौती हो चुकी है. बैंक की नयी ब्याज दरों के तहत अब एक सितंबर से बैंक की एक साल की एमसीएलआर की ब्याज दर घटकर 8.55 फीसदी, जबकि एक दिन की एमसीएलआर दर 8.30 फीसदी रह गयी है. खुदरा ऋण के लिहाज से बैंक की एमसीएलआर आधारित एक साल की कर्ज दर को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.

सूत्रों के अनुसार, बैंक के दीर्घकालिक सभी तरह के कर्ज को इसी दर से जोड़ा जाता है. इसमें आवास ऋण जैसे कर्ज भी इस दर से जुड़ते हैं. आईसीआईसीआई बैंक के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी बैंक एचडीएफसी बैंक की एक साल की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) 8.60 फीसदी पर है, जबकि यही दर तीसरे नंबर के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एक्सिस बैंक के मामले में 8.55 फीसदी पर है. आईसीआईसीआई बैंक ने इससे पहले अपनी ब्याज दरों की जुलाई के पहले सप्ताह में समीक्षा की थी. तब बैंक ने ब्याज दर में 0.05 फीसदी कटौती की थी.

रिजर्व बैंक इस बात को लेकर काफी नाराज है कि बैंक रेपो रेट में काफी कटौती किये जाने के बाद भी ब्याज दर कम नहीं कर रहे हैं. रिजर्व बैंक 2019 में चार बार रेपो दर में कुल मिलाकर 1.10 फीसदी की कटौती कर चुका है. इस वित्त वर्ष में अप्रैल के बाद से अब तक केंद्रीय बैंक 0.85 फीसदी तक की कटौती कर चुका है.

रिजर्व बैंक का कहना है कि उसकी रेपो रेट में 0.85 फीसदी कटौती के बाद बैंक अगस्त तक केवल 0.30 फीसदी तक ही कटौती कर पाये हैं. बैंकों का कहना है कि उनकी देनदारियों की लागत कम होने में समय लगता है, जिसकी वजह से रिजर्व बैंक की कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को देने में समय लगता है.

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