कहीं आपके हाथ में जाली नोट तो नहीं

नयी दिल्ली : भारत में जाली नोट का जाल बिछता जा रहा है जिससे जनता परेशान है. आये दिन यह खबर सुनने को मिलता है कि नेपाल या बंग्लादेश के रास्ते लाये जा रहे जाली नोट बरामद किये गये. ज्यादातर 500 रूपये या इससे कम के जाली नोट बाजार में देखने को मिल रहे हैं. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 15, 2014 9:22 AM

नयी दिल्ली : भारत में जाली नोट का जाल बिछता जा रहा है जिससे जनता परेशान है. आये दिन यह खबर सुनने को मिलता है कि नेपाल या बंग्लादेश के रास्ते लाये जा रहे जाली नोट बरामद किये गये. ज्यादातर 500 रूपये या इससे कम के जाली नोट बाजार में देखने को मिल रहे हैं. इसका मुख्य कारण है कि पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी (आईएसआई) द्वारा जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएल) छापने के लिए चलाया जा रहा माफिया गिरोह 1000 रुपये के नोट के बजाय 500 रुपये तथा इससे कम मूल्य के जाली नोट छापने पर जोर दे रहा है.

सूत्रों की माने तो 1000 रुपये के जाली नोट छापने की अधिक लागत लगता है जबकि इससे कम मुल्य के रुपये छापने में उन्हें कम लागत आती है. इसलिए माफिया कम मूल्य के नोट छापने पर ध्यान ज्यादा देते है. अधिकारियों ने हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हाल ही में पकडी गई जाली नोटों की खेप तथा संलिप्त लोगों से पूछताछ के आधार पर यह जानकारी दी है.केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (सीईआईबी) की रपट के अनुसार भारत को नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया व थाइलैंड के जरिए जाली नोट पहुंचाये जाने का खतरा सबसे अधिक है. अधिकारियों ने कहा, जाली भारतीय मुद्रा में सबसे अधिक नोट 500 रुपये का होता है. उसके बाद 100 रुपये व 1000 रुपये के नोट का नंबर आता है. इसके अलावा 50 रुपये व 20 रुपये के जाली नोट भी प्रचलन में हैं.

एक रपट में पुष्टि की गई है कि भारत में नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया व थाइलैंड के जरिए जाली नोट आने का खतरा सबसे अधिक है. इन देशों में पाकिस्तान एजेंट पाकिस्तान से आई मुद्रा लेते हैं और फिर उसे किसी न किसी माध्यम से भारत पहुंचाते हैं. रपटों में यह भी संकेत मिलता है कि जाली भारतीय मुद्रा के कारोबार में संलिप्त रैकेट वाले लोग जाली नोट चलाने के लिए नेपाल व बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों के गांवों, साप्ताहिक हाट, शराब की दुकानों तथा पेट्रोल पंपों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

इसके अलावा खुफिया एजेंसियों ने यह भी पाया है कि जाली मुद्रा नोटों की छपाई ढाका में हो रही है. बांग्लादेश में एफआईसीएन की बरामदगी की जांच में पाया गया कि इनकी छपाई ढाका में ही हो रही है और स्थानीय अपराधियों के पास पर्याप्त उपकरण हैं. पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में खुफिया एजेंसियों ने पाया कि बांग्लादेश से भारत को जाली भारतीय मुद्रा भिजवाने में स्थानीय पशु तस्करों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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