एक दिन में 650 उड़ानें भरती थी, जानें जेट एयरवेज के सफर के बारे में, ऐसे बदली स्थिति

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज कभी देश की सबसे बड़ी हवाई सेवाओं में एक हुआ करती थी. दिसंबर, 2018 तक इसके पास बोइंग 777, एयरबस ए330, सिंगल बी737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे. अपने अच्छे दिनों में कंपनी प्रतिदिन 650 उड़ानें भरा करती थी. लेकिन 17 अप्रैल, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 21, 2019 6:01 AM
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज कभी देश की सबसे बड़ी हवाई सेवाओं में एक हुआ करती थी. दिसंबर, 2018 तक इसके पास बोइंग 777, एयरबस ए330, सिंगल बी737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे. अपने अच्छे दिनों में कंपनी प्रतिदिन 650 उड़ानें भरा करती थी. लेकिन 17 अप्रैल, 2019 को इसने केवल पांच विमानों के साथ उड़ान भरी.
जेट एयरवेज का सफर
1 अप्रैल, 1992 को नरेश गोयल ने जेट एयरवेज की स्थापना की.
मई 5, 1993 को मुंबई से अहमदाबाद के बीच जेट की पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी.
मार्च, 2004 में जेट ने चेन्नई से कोलंबो के बीच अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान की शुरुआत की.
अप्रैल 12, 2007 को जेट ने एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपये में खरीदा. माना जाता है कि इसी खरीद के बाद कंपनी 20,000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूब गयी और इसकी वित्तीय मुश्किलें बढ़ती गयीं.
अप्रैल 16, 2007 को एयर सहारा का नाम बदलकर जेट लाइट किया गया.
अक्तूबर, 2008 में जेट ने लगभग दो हजार कर्मचारियों की छंटनी की थी, लेकिन उड्डयन मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद इन्हें दोबारा काम पर रख लिया गया.
नवंबर, 2013 में यूएई की एत्तिहाद एयरलाइंस ने लगभग दो हजार करोड़ रुपये में जेट एयरवेज का 24 प्रतिशत शेयर खरीद लिया.
वित्त वर्ष 2018 की पहली तिमाही में जेट ने 1,323 करोड़ रुपये का पहला तिमाही घाटा घोषित किया.
अगस्त, 2018 में जेट ने अपने कर्मचारियों से उनके वेतन में 25 प्रतिशत कटौती की बात कही.
जून की तिमाही में घाटा दिखाने के साथ ही नवंबर, 2018 में जेट ने तीसरी बार अपना तिमाही घाटा घोषित किया.
तिमाही घाटा घोषित होने के 10 दिनों बाद 22 नवंबर, 2018 को कंपनी के स्वतंत्र निदेशक रंजन मथाई ने इस्तीफा दिया.
जनवरी, 2019 में जेट ने बैंकों के कर्ज की किश्तें नहीं भरी.
14 फरवरी, 2019 को जेट एयरवेज के बोर्ड ने बैंकों के नेतृत्व में वित्तीय स्थिति के तात्कालिक समाधान योजना को मंजूरी दी, जिसके अनुसार ऋणदाता एयरलाइन के सबसे बड़े शेयरहोल्डर बन जायेंगे.
फरवरी के अंत में जेट ने फरवरी और मार्च के लिए 300 से अधिक उड़ानों को रद्द कर दिया.
मार्च 25, 2019 को नरेश गोयल ने जेट एयरवेज के अध्यक्ष पद और सदस्यता से इस्तीफा दिया. उनकी पत्नी अनिता गोयल ने भी बोर्ड की सदस्यता छोड़ दी.
17 अप्रैल, 2019 की रात, जेट ने अमृतसर से मुंबई के बीच आखिरी उड़ान भरी.
ऐसे बदली स्थिति
डीजीसीए के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2003-04 व 2007 में घरेलू यात्री बाजार में क्रमश: 44 प्रतिशत और 27.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ जेट एयरवेज अग्रणी भूमिका निभा रहा था. लेकिन, इसके बाद कंपनी का वित्तीय संकट बढ़ता गया. फरवरी 2019 में घरेलू यात्री बाजार में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ जेट चौथे स्थान पर पहुंच गया, जबकि 43.4 प्रतिशत के साथ इंडिगो पहले, 13.7 प्रतिशत के साथ स्पाइस जेट दूसरे और 12.8 प्रतिशत के साथ एयर इंडिया तीसरे स्थान पर रहे थे.
कर्मचारियों के भविष्य पर संकट
जेट एयरवेज ने परिचालन जारी रखने के लिए बैंकों से मांग की थी कि वे 400 करोड़ रुपये आपात स्तर पर मुहैया करा कर बैंक उसकी मदद करें, लेकिन बैंकों ने ऐसा करने से मना कर दिया. नतीजा, जेट एयरवेज ने अस्थायी तौर पर परिचालन पर रोक लगा दी है. इस कारण कंपनी के 16,000 स्थायी और 6,000 अनुबंध वाले कर्मचारियों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है.
कंपनी पर साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये का कर्ज
जेट एयरवेज पर कुल 26 बैंकों का करीब 8,500 करोड़ रुपये कर्ज है. इसमें केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इलाहाबाद बैंक, एसबीआई और पीएनबी जैसे पब्लिक सेक्टर बैंक के साथ ही निजी और विदेशी बैंक भी शामिल हैं.
बिक्री के लिए बोली आमंत्रित
जेट एयरवेज को कर्ज देनेवाले बैंकों के समूह की ओर से एसबीआई ने बीते 8 अप्रैल को जेट एयरवेज की 32.1 से 75 प्रतिशत तक हिस्सेदारी की बिक्री के लिए 8 से 12 अप्रैल के बीच बोलियां आमंत्रित की थी. बैंकों ने एत्तिहाद एयरवेज, नेशनल इन्वेस्टमेंट फंड, निजी क्षेत्र के टीपीजी आदि को पात्र बोलीदाता के तौर पर पहचान की थी. इन कंपनियों को अंतिम वित्तीय बोली लगाने के लिए आगामी 10 मई तक का समय दिया गया है.

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