1 अप्रैल से अब बैंक ही तय करेंगे होम लोन, पर्सनल लोन आैर व्हिकल लोन की ब्याज दरें

मुंबई : अगर आप अगले होम लोन, पर्सनल लोन, व्हिकल लोन या फिर उद्योग धंधा शुरू करने के लिए कर्ज लेना चाहते हैं, तो सोच-विचार कर लें. इसका कारण यह है कि जैसे देश में पेट्रोलियम पदार्थ (पेट्रोल, डीजल आैर अन्य पेट्रोलियम पदार्थ) आैर चीनी समेत कर्इ आवश्यक वस्तुआें की दरों को तय करने का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 6, 2018 11:13 AM

मुंबई : अगर आप अगले होम लोन, पर्सनल लोन, व्हिकल लोन या फिर उद्योग धंधा शुरू करने के लिए कर्ज लेना चाहते हैं, तो सोच-विचार कर लें. इसका कारण यह है कि जैसे देश में पेट्रोलियम पदार्थ (पेट्रोल, डीजल आैर अन्य पेट्रोलियम पदार्थ) आैर चीनी समेत कर्इ आवश्यक वस्तुआें की दरों को तय करने का जिम्मा बाजार के हवाले कर दिया गया है, वैसे ही आगामी एक अप्रैल, 2019 से लोन की ब्याज दरें तय करने का जिम्मा भी बैंकों के हवाले होगा. इस लिहाज से यदि आप अब अगले साल से बैंकों का कर्ज लेकर कोर्इ महत्वपूर्ण काम करना चाह रहे हों, तो पहले यह तय कर लें कि आपको भविष्य में करना क्या है.

रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि पर्सनल, होम, व्हिकल और सूक्ष्म एवं लुघ उद्यम कर्ज पर ‘फ्लोटिंग’ (परिवर्तनीय) ब्याज दरें अगले साल एक अप्रैल से रेपो दर या सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर प्रतिफल जैसे बाहरी मानकों से संबद्ध की जायेंगी. फिलहाल, बैंक अपने कर्ज पर दरों को प्रधान उधारी दर (पीएलआर), मानक प्रधान उधारी दर (बीपीएलआर), आधार दर तथा अपने कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) जैसे आंतरिक मानकों के आधार पर तय करते हैं.

इसे भी पढ़ें : अब दो लाख सालाना कमाने वाले भी ले सकेंगे 35 लाख तक का Home Loan

आरबीआई के ‘विकासात्मक और नियामकीय नीतियों पर बयान’ में कहा गया है कि बाहरी मानकों से ब्याज दर को जोड़े जाने को लेकर अंतिम दिशा-निर्देश इस माह के अंत में जारी किया जायेगा. आरबीआई ने एमसीएलआर प्रणाली की समीक्षा के लिए एक आंतरिक अध्ययन समूह का गठन किया था. समूह ने फ्लोटिंग ब्याज दर को बाह्य मानकों से जोड़ने का सुझाव दिया है. आरबीआई ने कहा कि यह प्रस्ताव किया जाता है कि व्यक्ति या खुदरा कर्ज (होम लोन, व्हिकल लोन आदि) तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए सभी नयी फ्लोटिंग ब्याज दरें एक अप्रैल से (रिजर्व बैंक द्वारा तय) रेपो दर या 91 दिन या 182 दिन के ट्रेजरी बिल (सरकारी बांडों) पर यील्ड (निवेश-प्रतिफल) या फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) द्वारा तय की जाने वाली किसी अन्य मानक बाजार ब्याज दर से संबद्ध होंगी.

केंद्रीय बैंक के अनुसार, किसी कर्ज के लिए ब्याज दर निर्धारित मानक दर से कितनी ऊंची रखी जाये, यह फैसला कर्ज देने वाले बैंक का होगा. मानक दर और कर्ज की दर के बीच का यह अंतर कर्ज की पूरी अवधि के लिए एक जैसा बना रहेगा, बशर्ते उस कर्ज के आकलन में अचानक कोई बड़ा बदलाव न आ जाये या दोनों पक्षों की बीच अनुबंध में बदलाव की सहमति न हो जाये. इसमें कहा गया है कि बैंक अन्य कर्जदारों को भी बाह्य मानकों से जुड़े ब्याज पर कर्ज देने को आजाद है.

आरबीआई ने यह भी कहा है कि पारदर्शिता, मानकीकरण और कर्जदारों के लिए कर्ज उत्पादों के बारे में आसान समझ सुनिश्चित करने के लिए बैंक किसी एक कर्ज श्रेणी में एक समान बाह्य माकक दर अपनायेंगे. अन्य शब्दों में एक ही बैंक द्वारा किसी एक कर्ज श्रेणी में कई मानकों को अपनाने की अनुमति नहीं होगी.

Next Article

Exit mobile version