आर्थिक गलियारा बनाने के लिए भारत की शरण में चीन, भगवान ”शिव की स्थली” को करेगा इस्तेमाल

बीजिंग : चीन ने बुधवार को एक भारत-नेपाल-चीन आर्थिक गलियारे का प्रस्ताव किया है. वह हिमालय के जरिये क्षेत्र में बहुआयामी संपर्क कायम करना चाहता है. माना जा रहा है कि वह ऐसा प्रस्ताव कर नेपाल की प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली नयी सरकार पर अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहता है, जिनके बारे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 18, 2018 4:39 PM

बीजिंग : चीन ने बुधवार को एक भारत-नेपाल-चीन आर्थिक गलियारे का प्रस्ताव किया है. वह हिमालय के जरिये क्षेत्र में बहुआयामी संपर्क कायम करना चाहता है. माना जा रहा है कि वह ऐसा प्रस्ताव कर नेपाल की प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली नयी सरकार पर अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहता है, जिनके बारे में माना जाता है कि वह चीन का समर्थन करते हैं.

इसे भी पढ़ें : आर्थिक गलियारे की संभावना का अध्ययन करेंगे भारत- चीन

चीन का यह प्रस्ताव नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्वाली की अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात के बाद सामने आया है. बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस वार्ता में यी ने कहा कि मुझे यह कहने दीजिए कि चीन और नेपाल ने हिमालय पार एक बहुआयामी संपर्क नेटवर्क स्थापित करने के दीर्घकालीन दृष्टिकोण पर सहमति जतायी है.

हाल ही में चुनाव के बाद नेपाल में ओली सरकार बनने के बाद ग्वाली अपनी पहली चीन यात्रा पर गये थे. वांग ने कहा कि चीन और नेपाल पहले ही चीन की कई डॉलर वाली बेल्ट एंड रोड पहल ( बीआरआई ) पर हस्ताक्षर कर चुका है, जिसका एक हिस्सा संपर्क नेटवर्क के लिए सहयोग बढ़ाना भी है. इसके तहत दोनों देशों के बीच बंदरगाह, रेलवे, राजमार्ग, विमानन, बिजली और संचार संबंधी संपर्क नेटवर्क को स्थापित किया जाना है.

वांग यी ने कहा कि हमारा विश्वास है कि इस तरह अच्छे से विकसित संपर्क नेटवर्क चीन, नेपाल और भारत को जोड़ने वाले एक बेहतर आर्थिक गलियारे की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर सकता है. उन्हें उम्मीद है कि इस तरह के सहयोग से तीनों देशों के विकास और समृद्धि में योगदान मिलेगा. एक सवाल के जवाब में कि क्या ग्वाली की चीन यात्रा ओली की भारत यात्रा के बाद संतुलन स्थापित करने की कोशिश है?

इसके जवाब में यी ने कहा कि यह भारत, चीन और नेपाल के बीच त्रिपक्षीय सहयोग की बात है. भारत और चीन को इसका स्वागत करना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत, चीन और नेपाल प्रकृति द्वारा बनाये गये दोस्त और सहयोगी हैं. यह एक तथ्य है और इसे बदला नहीं जा सकता है.

Next Article

Exit mobile version