सरकारी राशन की दुकानों से गरीबों को अब मिलेगा मड़ुआ, सावां आैर कोदो

नयी दिल्ली : सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये ज्वार, बाजरा तथा अन्य पोषक मोटे अनाजों को वितरित करने का फैसला किया है. आधिकारिक आदेश के मुताबिक, गरीबों को पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराने के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है. खाद्य कानून के तहत सरकार राशन की दुकानों के जरिये देश की 81 करोड़ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 16, 2018 8:11 PM

नयी दिल्ली : सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये ज्वार, बाजरा तथा अन्य पोषक मोटे अनाजों को वितरित करने का फैसला किया है. आधिकारिक आदेश के मुताबिक, गरीबों को पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराने के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है. खाद्य कानून के तहत सरकार राशन की दुकानों के जरिये देश की 81 करोड़ जनता को गेहूं, चावल जैसे खाद्यान्नों को भारी सब्सिडी के साथ एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर पर उपलब्ध करा रही है.

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कृषि मंत्रालय की आेर से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा पोषण स्थिति में सुधार के लिए राशन दुकानों के जरिये ज्वार एवं बाजरा जैसे मोटे अनाज को शामिल करने पर विचार करने के लिए गठित एक समिति ने सिफारिश की है कि देश भर में पीडीएस से वितरित होने वाले खाद्यान्नों की सूची में ज्वार, बाजरा सहित अन्य मोटे अनाज को भी शामिल किया जाये.

इस सिफारिश को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है. सरकार ने उत्पादन, खपत और व्यावसायिक दृष्टिकोण के तहत कुछ मोटे अनाजों को ‘पोषक-अनाज ‘ घोषित किया है, जिनमें उच्च पोषण गुणवत्ता हैं. इन मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, रागी अथवा मडुआ, कंगनी या काकून, चीना, कोदो, सावा / सानवा / झांगोरा, लिटिल मिलेट ( कुटकी ) और दो आभासी मोटे अनाज (काला-गेहूं (कुट्टू ) और चौलाई शामिल हैं.

मंत्रालय के अनुसार, मोटे अनाज में देश को खाद्य और पोषण संबंधी सुरक्षा प्रदान करने की बेहतर संभावनाएं हैं और इस तरह ये न केवल पोषक तत्वों का खजाना हैं, बल्कि विषम जलवायु परिस्थिति का सामना करने लायक फसलें भी हैं, जो अद्वितीय पोषण क्षमता से लैस हैं. मंत्रालय ने कहा कि हाल के शोध निष्कर्षों में यह भी पता चला है कि बाजरा में मधुमेह रोधी गुण मौजूद हैं और मोटे अनाज-आधारित खाद्य पदार्थो का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई ) कम होता है, जो बाद में रक्त शर्करा और ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन स्तर को भी कम करता है.

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