मुकेश अंबानी, अजीम प्रेमजी और सुनील मित्तल आदि को छोड़ना होगा एक पद, जानिये क्यों…?

नयी दिल्ली : देश के बड़े उद्योगपतियों और अमीर व्यक्तियों में शुमार रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी, विप्रो के अजीम प्रेमजी और एयरटेल भारती के सुनील मित्तल समेत कई उद्योगपतियों को दो में से एक पद छोड़ना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए करना पड़ेगा, क्योंकि बाजार विनियामक सेबी ने कंपनियों में लाभ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2018 6:05 PM

नयी दिल्ली : देश के बड़े उद्योगपतियों और अमीर व्यक्तियों में शुमार रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी, विप्रो के अजीम प्रेमजी और एयरटेल भारती के सुनील मित्तल समेत कई उद्योगपतियों को दो में से एक पद छोड़ना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए करना पड़ेगा, क्योंकि बाजार विनियामक सेबी ने कंपनियों में लाभ के दो पदों को लेकर एक नये नियम को लागू करने का फैसला किया है. सेबी के फैसले के मुताबिक, नये नियम के तहत अप्रैल, 2020 से देश के 10 कंपनियों के चेयरमैन और एमडी अपने पास सिर्फ एक ही पद रख सकेंगे.

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दरअसल, कोटक कमेटी ने ऐसी कंपनियों में एमडी, सीईओ और चेयरमैन के पद को अलग-अलग करने की सिफारिश की थी. सेबी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर कोटक कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है. इसका मतलब साफ है कि अब ऐसी कंपनियों में सीएमडी का कोई पद नहीं होगा, बल्कि यह दो अलग-अलग पद होंगे, जो एक व्यक्ति के पास नहीं रहेंगे.

कंपनी नियमावाली के मुताबिक, चेयरमैन कंपनी बोर्ड का नेतृत्व करता है. वहीं, एमडी प्रबंधन का प्रमुख होता है. एमडी कंपनी के रोजमर्रा के कार्यों की देखरेख करता है. चेयरमैन कंपनी के विकास की चिंता करता है. बोर्ड की बैठक में चेयरमैन इसका नेतृत्व करता है. वह मैनेजमेंट से कंपनी के कामकाज से जुड़ा सवाल करता है. मैनेजमेंट के किसी प्रस्ताव का वे समर्थन या विरोध कर सकते हैं या रद्द भी कर सकते हैं.

कोटक कमिटी की सिफारिशों में इस बात का जिक्र किया गया है कि एक ही शख्स अगर चेयरमैन और एमडी दोनों की भूमिका निभा रहा है, तो मैनेजमेंट से सवाल करने की बोर्ड की आजादी पर अंकुश लगता है. दोनों के अधिकारों में बंटवारा कंपनी को बेहतर तरीके से चलाने में मदद करेगा.

मीडिया में खबर यह भी है कि इस वक्त एनएसई में सूचीबद्ध 640 कंपनियों में एक ही व्यक्ति चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के तौर पर काम कर रहा है. अगर कोटक कमेटी की सिफारिशें लागू हो जाती हैं, तो इन कंपनियों को अपने यहां उच्च पदों पर अलग-अलग व्यक्तियों की नियुक्ति करनी होगी. भारतीय उद्योगपतियों को लगता है कि अगर उन्होंने अपना कोई पद छोड़ा, तो कंपनी से उनका नियंत्रण खत्म हो जायेगा. अगर उन्होंने चेयरमैन का पद छोड़ दिया, तो बोर्ड को प्रभावित नहीं कर सकेंगे.

सरकार के अधीन आने वाली सेबी की मंजूरी के बाद भी यह सिफारिश अभी दो साल बाद यानी अप्रैल 2020 से लागू होगी. यह फैसला उन टॉप कंपनियों पर लागू होगा, जिनकी बाजार मूल्यांकन सबसे अधिक होगा. कोटक कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चेयरमैन और एमडी की भूमिकाओं के बंटवारे से सारे अधिकार एक व्यक्ति के हाथ में नहीं रहेंगे. इससे कंपनी के परिचालन में बेहतरी आयेगी और उसका प्रदर्शन सुधरेगा.

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