विदेशी सरजमीं से राहुल गांधी ने आर्थिक मामलों को लेकर पीएम मोदी पर साधा निशाना, 10 महत्वपूर्ण बातें…

वाशिंगटन : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आर्थिक पहलुओं को लेकर विदेशी सरजमीं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने पीएम मोदी कीआर्थिक नीतियों की मंगलवार को आलोचना करते हुए कहा कि नोटबंदी का निर्णय अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था. इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कोदो फीसदी तक नुकसान हुआ है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2017 6:01 PM

वाशिंगटन : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आर्थिक पहलुओं को लेकर विदेशी सरजमीं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने पीएम मोदी कीआर्थिक नीतियों की मंगलवार को आलोचना करते हुए कहा कि नोटबंदी का निर्णय अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था. इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कोदो फीसदी तक नुकसान हुआ है. गांधी दो सप्ताह की अमेरिका यात्रा पर आये हुए हैं और वह समकालीन भारत एवं विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का भविष्य मुद्देपर बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित कर रहे थे.

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उन्होंने कहा कि आठ नवंबर को नोटबंदी का फैसला मुख्य आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया था. इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसानहुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी से देश को भयानक कीमत चुकानी पड़ी है. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत के बेमिसाल संस्थागत ज्ञान कोनजरअंदाज कर इस तरह का निर्णय लेना मूर्खतापूर्ण और खतरनाक है. उन्होंने आगे कहा कि भारत में हर रोज 30 हजार नये युवा श्रम बाजार में पहुंच रहे हैं,जबकि सरकार प्रतिदिन के हिसाब से रोजगार के महज 500 अवसर मुहैया करा पा रही है.

जीएसटी और नोटबंदी से हो रहा खतरनाक तरीके से नुकसान

उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में गिरावट से आज देश में लोगों की नाराजगी बढ़ रही है. सरकार की नोटबंदी और हड़बड़ी में लाये गये जीएसटी जैसी आर्थिकनीतियों से खतरनाक नुकसान हुआ है. गांधी ने सरकार पर नोटबंदी से लाखों लोगों को तबाह करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के परिणामके रूप में लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गये. किसान एवं अन्य लोग जो नकदी का इस्तेमाल करते हैं, बुरी तरह प्रभावित हुए.

खेती-बाड़ी की स्थिति नहीं है बेहतर

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि कृषि काफी बुरी स्थिति में है और देश में किसानों की आत्महत्याएं आसमान छू रही हैं. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था किनोटबंदी से आयी गिरावट पूर्वानुमान के हिसाब से ही है और मध्यम तथा लंबे समय में अर्थव्यवस्था को इससे लाभ मिलेगा. जेटली का यह बयान तब आया,जब रिजर्व बैंक ने कहा कि बंद किये नोटों में से 99 फीसदी बैंकिंग प्रणाली में लौट आये हैं. जेटली ने यह भी कहा था कि बैंकों में पैसे के जमा होने का मतलबसारे नोटों का वैध होना नहीं है.

रोजगार सृजन में वृद्धि के लिए जोखिम नहीं उठा रही सरकार

गांधी ने कहा कि भारत मौजूदा दर की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन की रफ्तार से आगे बढ़ने का जोखिम नहीं उठा सकता है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगरहम इसी दर से आगे बढ़ते रहे, यदि भारत श्रम योग्य आयु में प्रवेश कर रहे लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध नहीं कराता है, तो इससे नाराजगी बढ़ेगी. इससेअब तक जो भी हासिल हुआ है, वह सब समाप्त होने का खतरा है. यह स्थिति भारत और शेष विश्व के लिए काफी नुकसानदायक होगी.

हर साल 1.2 करोड़ पैदा हो रही है श्रम शक्ति

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि आज देश के समक्ष मुख्य चुनौती रोजगार सृजन करना है. उन्होंने कहा कि देश में हर साल करीब 1.2 करोड़ युवा श्रम योग्य आयुमें पहुंच जाते हैं. इनमें से करीब 90 फीसदी हाई स्कूल या कमतर शिक्षा प्राप्त होते हैं. भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां जोर जबरदस्ती वाला चीनी तरीकानहीं चल सकता.

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लोकतांत्रिक माहौल में करना होगा रोजगार का सृजन

उन्होंने कहा कि हमें चीन के तौर तरीकों से हटकर लोकतांत्रिक माहौल में रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे. हम कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित बड़े-बड़े कारखानोंका मॉडल नहीं अपना सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत में नौकरियां छोटे एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों से आयेंगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत कोभारी संख्या में छोटे एवं मध्यम उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में तब्दील करना होगा.

टॉप के सिर्फ 100 कंपनियों को दिये जा रहे हैं सारे संसाधन

गांधी ने आरोप लगाया कि भारत में इस समय शीर्ष सौ कंपनियों पर ही सारा ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सब कुछ उनके लिए उपलब्ध है, बैंकिंगप्रणाली पर उनका एकाधिकार है और सरकार के दरवाजे भी उनके लिए हमेशा खुले हुए हैं. उनके ही द्वारा कानून के बारे में सुझाव दिये जा रहे हैं. उन्होंने आगेकहा कि छोटे एवं मध्यम कारोबार चला रहे उद्यमियों को ऋण लेने में मशक्कत करनी पड़ रही है.

छोटे एवं मध्यम उद्योगों को नहीं मिल पा रहा समर्थन व संरक्षण

उन्होंने कहा कि उन्हें कोई समर्थन या संरक्षण नहीं मिल पा रहा है. छोटे एवं मध्यम उद्योग भारत और विश्व के नवाचार के आधार हैं. बड़े कारोबारी भारत मेंअप्रत्याशित स्थिति का आसानी से सामना कर सकते हैं. वे अपनी भारी-भरकम संपत्ति और ऊंचे संपर्कों के दम पर संरक्षित हैं. गांधी ने कहा कि भारत नेमानव बदलाव की वृहद प्रक्रिया की शुरुआत की है. भारत की यह पहल प्रभावी है. उन्होंने कहा कि हमारी सफलता विश्व को प्रभावित करती है. उन्होंने चेतावनीदी कि इस रफ्तार को नफरत, नाराजगी और हिंसा खत्म कर सकती है.

नफरत की राजनीति बांट रही है भारत को

उन्होंने उदारवादी पत्रकारों की हत्या की बात करते हुए कहा कि भारत में ध्रुवीकरण की राजनीति सिर उठा रही है. वह इशारों में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या काहवाला दे रहे थे. उन्होंने कहा कि लोगों को दलित होने के कारण मारा जा रहा है. मुस्लिमों को गौमांस खाने के संदेह पर मार दिया जाता है. यह सब भारत मेंनया है और इसने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि नफरत की राजनीति भारत को बांट रही है और लाखों लोगों को ऐसा महसूस होने लगाहै कि अपने देश में ही उनका कोई भविष्य नहीं है.

पीएम मोदी बेहतरीन वक्ता हैं, उन्हें भीड़ में अपनी बात पहुंचाने की आती है कला

राहुल गांधी ने कहा कि आज की आपस में जुड़ी दुनिया में यह बेहद खतरनाक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने मोदी को खुद सेबेहतर वक्ता बताते हुए कहा कि मैं विपक्ष का एक नेता हूं, लेकिन मोदी मेरे भी प्रधानमंत्री हैं. मोदी के पास कुछ कुशलताएं हैं. वह एक अच्छे वक्ता हैं. संभवत:मुझसे काफी बेहतर. उन्हें यह मालूम है कि भीड़ में तीन-चार समूहों तक कैसे बेहतर ढंग से अपनी बात पहुंचाई जा सकती है. अपनी बात बेहतर तरीके सेपहुंचाने की उनकी क्षमता बेहतर है.

मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत को बताया बेहतर

उन्होंने मोदी की प्रमुख योजनाओं मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत को अच्छा विचार बताया. हालांकि, उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का उनका अपना विचारकुछ हटकर है. राहुल ने कहा कि वह मेक इन इंडिया में छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों पर अधिक ध्यान देना चाहेंगे.

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