Bihar Election 2025: बिहार के ये 6 जिले वोटिंग से पहले ही BJP मुक्त, EVM में कमल का निशान नहीं दिखेगा, जानिए वजह

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार 243 में से 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. दिलचस्प बात यह है कि पार्टी छह जिलों- मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास में पूरी तरह चुनाव मैदान से बाहर है, ताकि गठबंधन संतुलन बरकरार रहे.

By Abhinandan Pandey | October 25, 2025 1:12 PM

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 243 में से 101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उम्मीदवारों की सूची जारी होते ही यह साफ़ हो गया कि पार्टी इस बार मैदान में पूरी तरह से गठबंधन संतुलन साधने की नीति पर चल रही है. दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने इस बार बिहार के छह जिलों- मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास में एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा है.

इन जिलों में पार्टी ने एक-एक सीट पर उम्मीदवार उतारे

इन जिलों में एनडीए के सहयोगी दलों को मैदान में उतारकर भाजपा ने सियासी रूप से यह संकेत दिया है कि गठबंधन धर्म को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है. वहीं, कुछ जिलों में पार्टी ने केवल एक-एक सीट पर ही उम्मीदवार उतारे हैं, जैसे सहरसा, लखीसराय, नालंदा, बक्सर और जमुई. भाजपा की यह रणनीति बताती है कि वह सीट शेयरिंग में सहयोगियों के लिए पर्याप्त स्पेस छोड़ते हुए अपने चुनावी संसाधनों को सीमित इलाकों में केंद्रित कर रही है.

2020 में इन पांच जिलों में बीजेपी ने नहीं उतारे थे उम्मीदवार

गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने पांच जिलों- शिवहर, खगड़िया, शेखपुरा, जहानाबाद और मधेपुरा में उम्मीदवार नहीं उतारे थे. इस बार रोहतास भी उस सूची में जुड़ गया है. रोहतास की डिहरी और काराकाट सीट पर पिछली बार भाजपा ने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन अब इन सीटों को सहयोगी दलों को सौंपा गया है.

जिस पार्टी का जहां ज्यादा प्रभाव वहां मिली सीट

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह कदम भाजपा की गठबंधन राजनीति का परिपक्व रूप है. पार्टी जहां अपनी ऊर्जा पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, पटना, दरभंगा और भोजपुर जैसे मजबूत जिलों पर केंद्रित कर रही है. वहीं, गठबंधन दलों को उन क्षेत्रों में आगे बढ़ने का मौका दिया गया है जहां उनका प्रभाव अधिक है.

चंपारण में बीजेपी ने उतारे 15 उम्मीदवार

भाजपा ने इस बार पश्चिम चंपारण में आठ और पूर्वी चंपारण में सात सीटों पर उम्मीदवार उतारकर अपने परंपरागत वोट बैंक को मज़बूत करने की कोशिश की है. कुल मिलाकर, यह रणनीति यह बताती है कि भाजपा अब बिहार में ‘अकेले नहीं, बल्कि असरदार साझेदारी’ के फॉर्मूले पर दांव खेल रही है. आने वाले चुनाव परिणाम ही तय करेंगे कि यह सियासी संतुलन भाजपा को कितनी मजबूती देता है.

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