EV क्रांति की जान ‘रेयर अर्थ एलिमेंट्स’ क्या चीज हैं, जिसके लिए चीन के पीछे पड़े भारत अमेरिका और पाकिस्तान?
What are Rare Earth Elements: 2025 में रेयर अर्थ एलिमेंट्स की मांग इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में उछाल के साथ बढ़ी. चीन के निर्यात प्रतिबंधों ने वैश्विक आपूर्ति को प्रभावित किया. पाकिस्तान ने अमेरिका को पहली खेप भेजी, जबकि भारत ने आत्मनिर्भरता की रणनीति अपनाई. भू-राजनीति और अवसरों की पूरी जानकारी.
What are Rare Earth Elements: इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग की वैश्विक उछाल ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) की मांग को अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. नियोडिमियम और डिसप्रोसियम जैसे तत्व, जो ईवी मोटरों की रीढ़ हैं, अब भारत, चीन, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच भू-राजनीतिक तनाव का केंद्र बन गए हैं. चीन के 2025 में सात आरईई पर निर्यात प्रतिबंधों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को झटका दिया, जिससे कीमतें 20-30% बढ़ गईं. इस बीच, पाकिस्तान ने अमेरिका को $500 मिलियन की पहली लैंथेनम खेप भेजी, जबकि भारत ने अपनी 6.9 मिलियन टन भंडारों को टैप कर ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में कदम उठाया. यह जंग ईवी क्रांति को शक्ति दे सकती है या क्षेत्रीय संघर्षों को हवा दे सकती है.
रेयर अर्थ एलिमेंट्स बने वैश्विक शक्ति संतुलन का हथियार
रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) अब सिर्फ खनिज नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन का हथियार बन चुके हैं. चीन के हालिया निर्यात प्रतिबंधों से अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध तेज हो गया है, जिसका असर भारत और पाकिस्तान पर भी पड़ रहा है. पाकिस्तान ने अमेरिका को पहली आरईई खेप भेजकर $500 मिलियन के सौदे की शुरुआत की, जबकि भारत ने अपनी भंडारों को टैप कर चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति अपनाई. यह विकास इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है, जहां आरईई की जगह कोई चीज नहीं ले सकती है.
रेयर अर्थ एलिमेंट्स क्या हैं और क्यों महत्वपूर्ण?
आरईई 17 धातु तत्वों का समूह है, जैसे नियोडिमियम, डिसप्रोसियम और यूरोपियम, जो पृथ्वी की पपड़ी में बिखरे पाए जाते हैं. ये चुंबकीय, उत्प्रेरक और प्रकाशीय गुणों के कारण आधुनिक तकनीक की रीढ़ हैं. स्मार्टफोन, ईवी मोटर, विंड टरबाइन और मिसाइल गाइडेंस सिस्टम में इनका उपयोग होता है. 2025 तक वैश्विक मांग तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन चीन 60% खनन और 85% प्रसंस्करण पर नियंत्रण रखता है. हाल के अमेरिकी टैरिफ से चीन ने सात आरईई पर निर्यात कड़ा कर दिया, जिससे कीमतें 20-30% बढ़ गईं.
चीन की एकाधिकार और वैश्विक चुनौतियां
बीजिंग आरईई को ‘ट्रम्पकार्ड’ मानता है. 2025 में म्यांमार सीमा विवाद के बीच चीन ने भारी आरईई जैसे डिसप्रोसियम पर नियंत्रण बढ़ाया. यह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में संपत्तियां हासिल कर रहा है. अमेरिका, जो 80% आयात चीन से करता है, अब ‘फ्रेंड शोरिंग’ पर जोर दे रहा है. माउंटेन पास खदान से 15% उत्पादन के बावजूद, अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अब भारत-पाकिस्तान से साझेदारी कर रहा है.
Earth Elements – REE) के भंडार, उत्पादन हिस्सेदारी और प्रमुख भू-राजनीतिक गतिविधियों को हिंदी में दर्शाती है:
| देश | REE भंडार (मिलियन टन, अनुमानित) | उत्पादन हिस्सेदारी | प्रमुख भू-राजनीतिक गतिविधियां |
|---|---|---|---|
| चीन | 44 | लगभग 60% खनन, 85% प्रसंस्करण | निर्यात प्रतिबंध; बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) के तहत संपत्ति अधिग्रहण |
| अमेरिका | 1.8 | लगभग 15% खनन | मित्र देशों के साथ साझेदारी; घरेलू सब्सिडी |
| भारत | 6.9 | 1% से कम | खनन नीलामी; क्वाड साझेदारी |
| पाकिस्तान | 0.05–0.1 (अप्रयुक्त) | नगण्य | अमेरिका के साथ निर्यात समझौते; CPEC के साथ संतुलन |
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भारत की रणनीति: आत्मनिर्भरता की ओर
भारत के पास 6.9 मिलियन टन आरईई भंडार हैं, मुख्यतः केरल और ओडिशा में मोनाजाइट रेत. लेकिन प्रसंस्करण में <1% हिस्सा है, जिससे 90% आयात चीन से होता है. 2025 में राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) शुरू कर सरकार ने 1,200 खोज परियोजनाएं लॉन्च कीं. क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के साथ साझेदारी से खनन ब्लॉक नीलामी हो रही है. म्यांमार विद्रोहियों से सैंपल प्राप्त करने की कोशिशें भी जारी हैं. इससे ईवी और रक्षा क्षेत्र में देरी कम होगी, जैसे तेजस जेट में. ‘आत्मनिर्भरभारत’ के तहत पीएलआई स्कीम से 1,500 टन मैग्नेट उत्पादन लक्ष्य है.
पाकिस्तान का संतुलन: अमेरिका-चीन के बीच
पाकिस्तान के बालोचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान में 50-100 मिलियन टन अनटैप्ड भंडार हैं. सीपीईसी से चीन निवेश कर रहा है, लेकिन $62 बिलियन कर्ज से चिंता बढ़ी. 2025 में पाकिस्तान ने अमेरिका को लैंथेनम ओरे की पहली खेप भेजी, $500 मिलियन डील के तहत. पासनी बंदरगाह ऑफर से अमेरिका को महत्वपूर्ण खनिज पहुंच मिलेगी, जो सीपीईसी को चुनौती देगा. यह जीडीपी में 5-7% वृद्धि ला सकता है, लेकिन चीन को नाराज कर सकता है. कश्मीर संसाधन विवाद से भारत-पाक तनाव बढ़ सकता है.
यह आरईई जंग आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर कर सकती है, लेकिन क्षेत्रीय संघर्षों को बढ़ावा देगी. बहुपक्षीय फ्रेमवर्क जैसे मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप जरूरी हैं.
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