यूक्रेन संकट : रूस ने कसा शिकंजा
कीव/वाशिंगटन/मॉस्को : यूक्रेन पर रूस का शिकंजा कसता जा रहा है. अमेरिका समेत तमाम विदेशी ताकतों की अनदेखी करते हुए उसकी सेना लगातार आगे बढ़ी और सोमवार को सेवास्तोपोल स्थित यूक्रेन के नेवी मुख्यालय पर कब्जा कर लिया. हालांकि, इस दौरान कोई हिंसा नहीं हुई. उधर, क्रीमिया पेनिन्सुला को बचाने की यूक्रेन सभी कोशिशें कर […]
कीव/वाशिंगटन/मॉस्को : यूक्रेन पर रूस का शिकंजा कसता जा रहा है. अमेरिका समेत तमाम विदेशी ताकतों की अनदेखी करते हुए उसकी सेना लगातार आगे बढ़ी और सोमवार को सेवास्तोपोल स्थित यूक्रेन के नेवी मुख्यालय पर कब्जा कर लिया. हालांकि, इस दौरान कोई हिंसा नहीं हुई. उधर, क्रीमिया पेनिन्सुला को बचाने की यूक्रेन सभी कोशिशें कर रहा है. उसने सभी सेनाओं को हाई अलर्ट कर दिया है.
रूस समर्थक बागी नेवी चीफ डेनिस बेरेजोस्की को बरखास्त कर दिया. उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने के आदेश भी दे दिये. बेरेजोस्की की जगह सेरहिय हाइदुक को नया नेवी चीफ नियुक्त किया गया है. रविवार को बेरेजोस्की ने खुद को क्रीमिया का प्रमुख घोषित कर दिया और रूस के मददगार अधिकारियों को देशद्रोही करार दे दिया. सोमवार को अधिकारियों ने उनका आदेश मानने से इनकार करते हुए कहा कि यूक्रेन की रक्षा करेंगे.
यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी मदद मांगी है. राष्ट्रपति अलेक्जेंडर टुवर्चीनोव ने परमाणु संयंत्र समेत सभी मुख्य जगहों की सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिये हैं. नये पीएम ने चेतावनी दी है कि रूस ने यूक्रेन में सैन्य गतिविधियां नहीं रोकीं, तो दोनों देशों के संबंध खत्म हो जायेंगे. वहीं, जी-8 की बैठक पर खतरा मंडराने लगा है.
जी-7 ने जून में सोचि में होनेवाली जी-8 की बैठकों की तैयारियां रोकते हुए बयान जारी किया है कि रूस की हरकत हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है. बयान पर ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान व अमेरिका ने दस्तखत किये हैं. इधर, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने उप प्रमुख जॉन एलिसन को यूक्रेन भेज कर वहां के हालात की रिपोर्ट मांगी है.
* अमेरिका ने फिर रूस को चेताया
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि रूस आक्रामक हरकतें वापस ले. ओबामा ने ब्रिटेन, जर्मनी व पोलैंड के नेताओं से इस पर बात की. रूसी कार्रवाई को शांति व सुरक्षा के लिए खतरा बताया.
* लोगों का हित देखें : रूस
तमाम अलोचना को खारिज करते हुए रूस ने कहा है कि भौगोलिक गणना के बजाय पश्चिम को यूक्रेन के लोगों की चिंता करनी चाहिए. क्रीमिया में रूस लोगों की सुरक्षा करने के लिए गयी है. यहां के लोग रूस के प्रति अस्था रखते हैं.
* जॉर्जिया जैसी स्थिति
यूक्रेन और रक्षा विशेषज्ञ क्रीमिया की तुलना जॉर्जिया से कर रहे हैं. 2008 में रूस की सेना जॉर्जिया की सीमा में हथियार और टैंकों के साथ घुस गयी. दक्षिण ओसेतिया और अबखाजिया में रूसी सेना ने पांच दिन तक कहर बरपाया.
* महंगी होगी गैस!
वर्ष 2013 में यूक्रेन आर्थिक संकट में घिर गया. वह दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया. वह भारी मात्रा में रूस से गैस आयात करता है. विवाद की जड़ यहीं है. रूस से यूरोप को यूक्रेन के रास्ते ही गैस सप्लाई होती है. दिसंबर, 2013 में यानुकोविच ने मॉस्को से 15 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज लिया. साथ में रूस ने गैस कीमतों में छूट भी दी. यूक्रेन ने गैस का आयात बढ़ा दिया. बाद में मॉस्को ने तीन अरब डॉलर का भुगतान करने के बाद डील तब रद्द कर दिया, जब यूक्रेन ने यानुकोविच को सत्ताच्युत कर दिया. अब दुनिया भर के देश यूक्रेन के लिए 15 अरब डॉलर की व्यवस्था में लगे हैं, क्योंकि उसका मुद्रा भंडार खाली हो चुका है. यूक्रेन को आशंका है कि रूस गैस की कीमतें बढ़ा सकता है.
* त्रासदी झेल चुका है यूक्रेन
26 अप्रैल, 1986 को दुनिया की सबसे भीषण परमाणु दुर्घटना चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुई. 30 लोगों की मौत हो गयी और 2,500 लोग रेडिएशन से जुड़ी बीमारी से काल के गाल में समा गये. रिएक्टर को 2,000 में बंद कर दिया गया.
– यूक्रेन : एक नजर में
* पश्चिमी यूरोप एवं पूर्व सोवियत बेलारुस, मोलदोवा और रूस और ईयू सदस्य हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया के बीच सैंडविच बन गया है
* 6,03,700 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला यूक्रेन रूस के बाद यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है
* 4.56 करोड़ थी वर्ष 2012 में यूरोप की आबादी
* रूसी यहां सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं
* यूक्रेन कभी सोवियत रूस का अंग था. इसका पश्चिमोत्तर भाग ऑस्ट्रो-हंगेरियन एंपायर का हिस्सा था
* रूस क्रांति के बाद यूक्रेन यूएसएसआर का अंग बन गया
* 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यह स्वतंत्र देश बना
