आंगनबाड़ी केंद्रों पर हुआ बच्चों का अन्नप्रासन

डुमरांव : प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सरकार के आदेशा अनुसार अन्नप्रासन कार्यक्रम आयोजित कर केंद्रों पर हाल में ही छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों को अन्नप्रासन कराया गया. यह कार्यक्रम बच्चों को कुपोषण से दूर रखने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं. इसमें हाल छह माह पूर्ण कर चुके तक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 20, 2019 4:36 AM

डुमरांव : प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सरकार के आदेशा अनुसार अन्नप्रासन कार्यक्रम आयोजित कर केंद्रों पर हाल में ही छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों को अन्नप्रासन कराया गया.

यह कार्यक्रम बच्चों को कुपोषण से दूर रखने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं. इसमें हाल छह माह पूर्ण कर चुके तक के सभी बच्चों को पहली बार केंद्रों पर अन्नप्रासन कराया गया. इस योजना का उद्देश्य बच्चों को मां के दूध के साथ ऊपरी पौष्टिक आहार देना है ताकि बच्चे स्वस्थ रह सकें. प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविका ने हाल में छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों को अन्नप्रासन कराया.
इस दौरान केंद्रों पर माताएं अपने छह माह के बच्चों को लेकर पहुंची. अनुमंडल के सिमरी प्रखंड अंतर्गत नियाजीपुर पंचायत स्थित केंद्र संख्या 100 पर 6 माह पूर्ण कर चुके दिव्या कुमारी का अन्नप्रासन संगीता कुमारी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, सिमरी द्वारा किया गया. अन्नप्रासन कार्यक्रम की शुरुआत सीडीपीओ ने दीप जलाकर की.
सीडीपीओ द्वारा लोगों को बच्चों के ऊपरी आहार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी. खासकर खाना बनाने एवं बच्चों को खिलाने से पूर्व साफ-सफाई का ध्यान देने पर बल दिया. दिव्या कुमारी को कटोरी चम्मच दिया गया और उनकी माता पुष्पा देवी को कटोरी चम्मच से ही खिलाने की अपील की.
इस दौरान केंद्र पर सेविका उर्मिला देवी, सहायिका सहित अन्य मौजूद थे. वहीं डुमरांव प्रखंड अंतर्गत नुआवं पंचायत के पासवान टोली स्थित केंद्र संख्या 47 पर अन्नप्रासन हुआ. पहला बच्चा आदित्य, माता फुलकुमारी देवी और पिता सतवीर पासवान और दूसरा बच्चा आराधना, माता खुशबू कुमारी और पिता जितेंद्र सिंह शामिल रहे.
सीडीपीओ ने बताया कि अन्नप्रासन के दिन कार्यकर्ता चतुरंगी आहार (लाल, सफेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाते हैं. तरल व पानी वाला भोजन जैसे दाल का पानी या माढ़ आदि न देकर उतना ही अर्धठोस आहार दिया जाता है, जितना बच्चे खा सकें. धीरे-धीरे भोजन की मात्रा, भोजन का गाढ़ापन बढ़ाये जाने की सलाह दी जाती है.

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