महिला जागरूकता का दिवस

शफक महजबीन टिप्पणीकार mahjabeenshafaq@gmail.com बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन कहते हैं- ‘क्योंकि आप महिलाएं हैं, इसलिए लोग आप पर अपनी सोच थोपेंगे. वे आपको बतायेंगे कि कैसे कपड़े पहनें, कैसे व्यवहार करें, किससे मिलें और कहां जायें. लेकिन, मैं कहता हूं कि लोगों के फैसले के साये में आप न रहें, बल्कि अपने ज्ञान की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 8, 2019 6:05 AM
शफक महजबीन
टिप्पणीकार
mahjabeenshafaq@gmail.com
बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन कहते हैं- ‘क्योंकि आप महिलाएं हैं, इसलिए लोग आप पर अपनी सोच थोपेंगे. वे आपको बतायेंगे कि कैसे कपड़े पहनें, कैसे व्यवहार करें, किससे मिलें और कहां जायें.
लेकिन, मैं कहता हूं कि लोगों के फैसले के साये में आप न रहें, बल्कि अपने ज्ञान की रोशनी में अपनी पसंद-नापंसद तय करें.’ एक महानायक की ये लाइनें आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देश की तमाम लड़कियों-महिलाओं को समर्पित हैं. क्या ही अच्छा हो कि देश के हर पुरुष अमिताभ बच्चन की तरह सोचने लगें.
आज का दिन लड़कियों-महिलाओं के लिए बहुत खास है, क्योंकि आज महिला दिवस है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है. इसे मनाने का मकसद लड़कियों-महिलाओं के साथ होनेवाले शोषण और भेदभाव को लेकर उठनेवाले विद्रोह के स्वरों को बल देना है. और जागरूकता के जरिये उनका सशक्तिकरण करना है.
न्यूयार्क में 28 फरवरी, 1908 को कपड़ा मिलों में काम करनेवाली लगभग पंद्रह हजार औरतों ने अपने साथ हो रहे शोषण से परेशान होकर एक मार्च निकाला था और नौकरी में कम घंटे देने व बेहतर वेतन की मांग की थी.
उसके एक साल बाद यानी 28 फरवरी, 1909 को अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने इस संघर्ष को समर्थन देते हुए उन औरतों को सम्मानित किया और उसे महिला दिवस के रूप में मनाया. क्लारा जेटकिन नामक महिला ने 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के लिए आयोजित एक सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मशवरा दिया था.
रूस की महिलाओं ने भी 1917 में प्रथम विश्व युद्ध के विरोध में ‘ब्रेड एंड पीस’ की मांग की थी. उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर के अनुसार, 1917 की फरवरी का आखिरी रविवार 23 फरवरी को था, जबकि दुनिया के बाकी देशों में चलनेवाले ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था. तब से 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा. इस वक्त पूरी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर ही चलता है.
संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को 1975 में आधिकारिक तौर पर मान्यता दी. उसी साल संयुक्त राष्ट्र ने एक थीम के साथ इसे हर साल मनाने की घोषणा की. वह थीम थी- ‘सेलीब्रेटिंग दि पास्ट, प्लानिंग फॉर दि फ्यूचर.’
इस थीम से जाहिर है कि महिलाओं के भविष्य के बारे में सोचा जाये. यही वजह है कि दुनियाभर की सरकारें महिलाओं को ढेर सारे अधिकार दे रही हैं, ताकि वे सशक्त हो सकें. इन्हीं अधिकारों में एक है कि कामकाजी महिला को पुरुष के बराबर वेतन दिया जाये. जाहिर है, सामाजिक व राजनीतिक मजबूती के साथ ही आर्थिक रूप से बराबर होना ही महिला सशक्तिकरण है.
इस्लाम में औरतों का मर्तबा बहुत ऊंचा रखा गया है और लड़कियां तो घरों की जीनत मानी गयी हैं. जाहिर है, जिस मजहब में मां के पांवों के नीचे जन्नत की मान्यता हो, वह औरतों को उनके अधिकार से वंचित नहीं रख सकता.

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