कहां से आया कोविड-19, पता लगाओ नहीं तो और खतरनाक कोरोना वायरस करेगा अटैक, अमेरिकी एक्सपर्ट की चेतावनी

Origin Of Coronavirus, US Experts Warning: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तांडव मचाया है. दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं है जिसने इस महामारी के प्रकोप को नहीं झेला हो. इस बीमारी के कारण जहां लाखों लोगों की मौत हुई वही वैश्विक इकोनॉमी पर भी इसका असर पड़ा है. कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनायी जा चुकी है, इसके बावजूद यह नये नये संस्करण में दुनिया के सामने आकर एक पहेली बना हुआ है कि आखिर इसकी उत्पति कैसे हुई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2021 10:31 AM

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तांडव मचाया है. दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं है जिसने इस महामारी के प्रकोप को नहीं झेला हो. इस बीमारी के कारण जहां लाखों लोगों की मौत हुई वही वैश्विक इकोनॉमी पर भी इसका असर पड़ा है. कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनायी जा चुकी है, इसके बावजूद यह नये नये संस्करण में दुनिया के सामने आकर एक पहेली बना हुआ है कि आखिर इसकी उत्पति कैसे हुई.

अब इसे लेकर टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट के सह-निदेशक पीटर होटेज़ ने एक चेतावनी जारी है. उन्होंने कहा हि कोरोना महामारी की शुरूआत कैसे हुई इसकी उत्पति के बारे में हमें जानना होगा. क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो दुनिया के सामने भविष्य में एक खतरा मंडराता रहेगा. उन्होंने कहा कि अगर हम कोविड 19 की उत्पति को नहीं समझते हैं तो हमारे सामने कोविड 26 और कोविड 30 का खतरा बना रहेगा. होटेज़ ने कहा कि इसके लिए अमेरिका को चीन पर दवाब बनाना चाहिए.

पीटर होटेज़ ने कहा कि वैज्ञानिकों की एक टीम को चीन के हुम्बेई प्रांत में छह महीने तक रहने की इजाजत दी जानी चाहिए. वैज्ञानिकों की टीम में वायरोलॉजिस्ट, एपिडरमेलॉजिस्ट, महामारी वैज्ञानिक और बैट विशेषज्ञ रहेंगे, जो वहां पर रहकर इंसानों और जानवरों के रक्त के नमूने लेकर यह पता लगाने का प्रयास करेंगे की कोरोना वायरस की उत्पति कैसे हुई. इसके लिए छह महीने से अधिक का भी समय लग सकता है. गौरतलब है कि हुबेई प्रांत में ही नवंबर 2019 में कोरोना के पहले मरीज की अधिकारिक तौर पर पुष्टि हुई थी.

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इससे पहले अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के पूर्व आयुक्त, डॉ स्कॉट गोटलिब ने स्प्षट कहा था कि यह हो सकता है कि कोरोना वायरस की उत्पति चीन के वुहान लैब से हुई हो. डॉ स्कॉट गोटलिब का यह बयान ऐसे समय में आया है जब वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के बाद महामारी की उत्पत्ति की जांच के मांग तेज हो रही है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वुहान वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ताओं ने नवंबर 2019 ने चिकित्सा सहायता मांगी थी. जबकि इसके बाद चीन में पहले कोराना वायरस की अधिकारिक तौर पर पुष्टि हुई थी. डॉ स्कॉट गोटलिब ने आगे कहा कि कोरोना वायरस की उत्पति का पता लगाने के लिए चीन को सहयोग करना चाहिए था. क्योंकि प्रयोगशाला में दुर्घटना होना और कोरोना वायरस का लीक होना कोई आसान बात नहीं है.

पूर्व एफडीए प्रमुख ने कहा कि यही कोरोना वायरस की उत्पति की जांच की जाती तो जानवरों से मनुष्य में फैलने से पहले यह उजागर हो सकता था. हमने जांच की पर किसी भी जानवर में ऐसा वायरस नहीं पाया गया है. इसलिए वारयरस की उत्पति पर आज भी बहस जारी है. उन्होंने कहा कि जांच चीन वुहान लैब से वायरस के लीक होने के सबूत प्रदान कर सकती थी पर ऐसा नहीं हुआ.

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उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पिछले सप्ताह ही अमेरिकी खुफिया समुदाय को कोरोनवायरस की उत्पति का पता लगाने के लिए जांच के प्रयासों को दोगुना करने के आदेश दिये हैं. क्योंकि डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट ने इसके प्रसार के समयरेखा पर आशंका जतायी है. बाइडेन ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन को मार्च में कोरोनावायरस उत्पत्ति के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया.

Posted By: Pawan Singh

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