भारत को अमेरिका ने दिया बड़ा झटका, अब आसानी से नहीं मिलेगा एच-1बी वीजा

वाशिंगटन : सूचना तकनीक से जुड़ी भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका से बुरी खबर आयी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपएक ऐसे कार्यादेश पर हस्ताक्षर करनेवाले हैं, जिससे सूचना तकनीक उद्योग से जुड़े भारतीयों काआसानी से अमेरिका जाना मुश्किल हो जायेगा. जी हां, मामला एच-1बी वीजा से जुड़ा है. भारतीय आइटीकंपनियों और प्रोफेशनल्स में सर्वाधिक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 18, 2017 11:27 AM

वाशिंगटन : सूचना तकनीक से जुड़ी भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका से बुरी खबर आयी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपएक ऐसे कार्यादेश पर हस्ताक्षर करनेवाले हैं, जिससे सूचना तकनीक उद्योग से जुड़े भारतीयों काआसानी से अमेरिका जाना मुश्किल हो जायेगा. जी हां, मामला एच-1बी वीजा से जुड़ा है.

भारतीय आइटीकंपनियों और प्रोफेशनल्स में सर्वाधिक लोकप्रिय इस वीजाको जारी करने के नियमों में अमेरिका ने आमूलचूल परिवर्तन कियाहै.

एच-1बी वीजा तो बस बहाना है

यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआइएस)ने एच-1बी वीजा मांगनेवालों के आवेदन की प्रक्रिया पूरीकर ली है. अबवीजा से जुड़े इस कार्यादेश पर राष्ट्रपतिको हस्ताक्षर करना है.

यूएससीआइएस ने कहा है किउसे 1,99,000आवेदनमिले हैं. इसमेंसे65,000लोगोंनेएच-1बीवीजामांगेहैं.इसमें 20,000आवेदनऐसेलोगोंकेथे,जिन्होंनेअमेरिकीशिक्षणसंस्थानोंसेपढ़ाईकीहै.

पारंपरिक लॉटरीसिस्टमकाविरोधकरतेहुएव्हाइट हाउस के एकवरिष्ठप्रशासनिकअधिकारीनेकहाकिकंपनियांइस वीजा का इस्तेमाल विदेशीकामगारोंकोअमेरिकालानेमेंकरतीहैं.विदेश से आनेवाले कामगारों को कम मजदूरी दी जाती है और इस तरह स्थानीयलोगोंकारोजगारछिनजाताहै.

अमेरिका : एच-1 बी वीजा बिल से विदेशियों को नौकरी पर रखना हो जायेगा मुश्किल

अधिकारी ने कहा कि हमारे देश में योग्य आइटी प्रोफेशनल्स की कमी नहीं है. ये लोग हमारे देश की जरूरतें पूरी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक एच-1बी वीजा का सवाल है, यह स्टेम फील्ड से जुड़ा है. हमारे देश में स्टेम फील्ड में जितने विदेशी काम करते हैं, उससे दो गुना स्टेम स्टूडेंट्स को हम अपने देश में डिग्री देते हैं.

अधिकारी ने कहा कि सच्चाई यह है कि अपने ही देश में भारी संख्यामें लोग बेरोजगार हैं. यही वजह है कि ऐसीयोजना पर काम कर रहे हैं, जहां मेहमान-कामगारों को प्राथमिकता न मिले. इसका असर यह होगा कि हमारे लोगों को अपने देश में काम मिलेगा. जरूरत पड़ने पर हम उन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दे पायेंगे.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरानवीजा को एक बड़ा मुद्दा बनाया था. कार्यादेश पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अमेरिकी श्रमविभाग सभी कानूनों के अनुपालन के लिए बाध्य होगा, जिससे लोगों को उच्च वेतनमान मिल सकेगा.

वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, अमेरिकी श्रमिकोंका प्रतिनिधित्व करनेवाले गुटों ने बड़े पैमाने पर इन सुधारों का समर्थन किया है. नये सुधारों में एक विशेष प्रावधान यह किया गया है कि एच-1बी वीजा ऐसेही आवेदकों को मिले, जो या तो अपने काम में अति कुशल हैं या उन्हें अत्यधिक वेतन मिल रहा है.

वर्तमान व्यवस्था में एच-1बी वीजाआवेदकों का चयन रैंडम लॉटरी के जरिये होता है. ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों को वीजा मिलता है, उनमें से अधिकतर को उनके क्षेत्र के औसत वेतनमान सेभी कम वेतन मिलता है.

महज पांच से छह फीसदीलोग हीउच्च वेतनमान पर अमेरिका में काम कर रहे हैं. ये वे लोग हैं, जो लंबे अरसे से यहां टिके हुए हैं. अधिकारी ने कहा कि सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा हासिल करनेवाली तीनकंपनियां टाटा (टीसीएस), इन्फोसिस और कॉग्निजेंट हैं. अमेरिका में ये कंपनियां आउटसोर्सिंग फर्म के रूपमें जानी जाती हैं.

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