अमेरिकी संसद में उठी मांग, पाकिस्तान को घोषित किया जाए आतंकी देश

वाशिंगटन : अमेरिका के एक कद्दावर सांसद ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को नये सिरे से तय करने की मांग करते हुए कांग्रेस में एक विधेयक पेश किया है. इस विधेयक में अमेरिकी सरकार से पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने की मांग की गयी है. सदन की आतंकवाद संबंधी उपसमिति के अध्यक्ष […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 10, 2017 2:58 PM

वाशिंगटन : अमेरिका के एक कद्दावर सांसद ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को नये सिरे से तय करने की मांग करते हुए कांग्रेस में एक विधेयक पेश किया है. इस विधेयक में अमेरिकी सरकार से पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने की मांग की गयी है. सदन की आतंकवाद संबंधी उपसमिति के अध्यक्ष टेड पो ने निचले सदन में कल पाकिस्तान स्टेट स्पांसर ऑफ टेरेरिज्म एक्ट (एचआर 1449) पेश किया.

विधेयक पेश करते हुए पो ने कहा, कि पाकिस्तान न सिर्फ एक गैरभरोसेमंद सहयोगी है बल्कि इस्लामाबाद ने वर्षों तक अमेरिका के कट्टर शत्रु की सहायता भी की. उन्होंने कहा, कि ओसामा बिन लादेन को आश्रय देने से ले कर हक्कानी नेटवर्क के साथ उसके नजदीकी रिश्तों तक, इस बात के पर्याप्त से भी अधिक प्रमाण हैं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान किसके साथ है. सांसद ने कहा, कि यही वक्त है जब हमें पाकिस्तान को उसकी धोखाधडी के लिए सहायता देना बंद करना चाहिए और उसे वह नाम देना चाहिए जो वह है (आतंकवाद का प्रायोजक देश).

विधेयक में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से 90 दिन के भीतर एक रिपोर्ट जारी कर यह बताने के लिए कहा गया है कि क्या पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में सहयोग दिया है. इसके 30 दिन के बाद विदेश मंत्री से इस संकल्प वाली फॉलो अप रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है जिसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा जाए कि पाकिस्तान ‘‘आतंकवाद का प्रायोजक देश’ है या फिर विस्तार से यह बताने के लिए कहा गया है कि उसे यह तमगा नहीं दिया जाना ,कौन से कानूनी मापदंड के अनुरुप है.

इसके अलावा द नेश्नल इंटरेस्ट मैग्जीन में पो ने जेम्स क्लाड के साथ संयुक्त रुप से पाकिस्तान के साथ संबंधों को पुन:परिभाषित करने कर मांग की. जेम्स जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन में रक्षा विभाग में उप सहायक मंत्री रह चुके हैं. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तान के बर्ताव को बदलने के सारे प्रयास असफल हो चुके हैं और अब वक्त है कि अमेरिका खुद अपने दखल की सीमा को निर्धारित करें. पो और क्लाड ने लिखा, कि पाकिस्तान को लेकर हमारे विचारों में बदलाव जल्दी नहीं होगा लेकिन यह होना चाहिए खासतौर पर अमेरिका-भारत के संबंधों के संकेतकों को देखते हुए, जो कि बुश प्रसाशन के समय से सतत सुधार की दिशा में बढ रहे हैं. एक सोच बन गई है कि पाकिस्तान और भारत के बीच हमेशा झगडा बना रहता है. यह अब पुरानी बात हो गई है और भारत के साथ भी हमारे अपने कुछ मुद्दे हैं.

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