सौर मंडल के बाहर मिला पृथ्वी जैसा ग्रह प्रॉक्सिमा बी

खगोलविदों ने सौरमंडल के बाहर एक नया ग्रह खोज निकाला है. अभी तक ढूंढ़े गये ग्रहों में यह पृथ्वी से सबसे नजदीक है. यह आकार में धरती से कम से कम 1.3 गुना बड़ा है और सूरज के सबसे नजदीकी पड़ोसी प्रॉक्सिमा सेंचुरी का चक्कर लगाता है. खगोलविद उम्मीद लगा रहे हैं कि यहां का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 26, 2016 8:30 AM

खगोलविदों ने सौरमंडल के बाहर एक नया ग्रह खोज निकाला है. अभी तक ढूंढ़े गये ग्रहों में यह पृथ्वी से सबसे नजदीक है. यह आकार में धरती से कम से कम 1.3 गुना बड़ा है और सूरज के सबसे नजदीकी पड़ोसी प्रॉक्सिमा सेंचुरी का चक्कर लगाता है. खगोलविद उम्मीद लगा रहे हैं कि यहां का तापमान पृथ्वी से मिलतना-जुलता होगा और यह एलियंस की मौजूदगी की संभावना वाला ग्रह हो सकता है. नेचर पत्रिका में प्रकाशित ताजा शोध के अनुसार, खगोलविदों ने ला सिला टेलीस्कोप की मदद से इसकी खोज की है. खगोलशास्त्रियों को लंबे समय से शक था कि प्रॉक्सिमा सेंचुरी तारे में एक ग्रह मौजूद है, मगर अब तक इसके सबूत हाथ नहीं लगे थे. प्रॉक्सिमा जैसे हल्के लाल बौने तारों के चारों तरफ खरबों छोटे-छोटे ग्रह चक्कर लगाते पाये गये हैं.

सूर्य से करीब 4.25 प्रकाश वर्ष दूर स्थित प्रॉक्सिमा अपने साथ चक्कर लगाने वाले अल्फा सेंचुरी बाइनरी सितारे से कम मशहूर है. लेकिन जहां अल्फा सेंचुरी सूरज जैसे दो सितारों से मिल कर बना है, वहीं प्रॉक्सिमा वास्‍तविकता में ज्यादा नजदीक है. इसे प्रॉक्सिमा बी नाम दिया गया है. यह अपने तारे का हर 11 दिन में चक्कर लगाता है. द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, इसे खोजने के लिए जो तरीका अपनाया गया है, उससे हमें यह पता नहीं चलता कि ग्रह कितना बड़ा है. लेकिन यह जरूर साफ होता है कि यह धरती से कम से कम 1.3 गुना बड़ा है.

यह अपने तारे से चार मिलियन मील से थोड़ी ज्यादा दूरी पर है. इसलिए इस ग्रह पर इतना रेडिएशन है, जो बाहरी परत का तापमान माइनस 40 डिग्री फारेनहाइट रखता है. इस ग्रह की खोज एक दल ने की है जिसे रेड डॉट के नाम से जाना जाता है. इसमें हर्टफोर्डशायर विश्वविद्यालय,लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय, ग्रेनेडा के इंस्टिट्यूटो अस्ट्रोफिसिया डी अनडाल्का, स्पेन और जर्मनी में गौटिंगेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता भी शामिल हैं.

इस ग्रह पर शक्तिशाली पराबैंगनी किरणों और एक्स-रे जैसी किरणें पायी गयीं हैं. इस वजह से खगोलविद मानते हैं कि अगर यहां जीवन है, तो वे इनसे बचने के लिए कोई विकल्प जरूर रखते होंगे. अभी तक लाल बौने सितारों के बारे में वैज्ञानिक जितना जानते हैं, उसके मुताबिक शायद यह ग्रह धरती, बुध और मंगल की तरह पर्वतों से बना है. इस ग्रह का एक हिस्सा अपने तारे की तरफ रहता है और आधा अंधेरे से घिरा हुआ है.

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